फाइलेरिया से बचाव के लिए दवा का सेवन जरूर करें : ज़िलाधिकारी



  • सामूहिक दवा सेवन कार्यक्रम की तैयारियों को लेकर जिला टास्क फोर्स की बैठक

लखनऊ - जनपद में फाइलेरिया से बचाव के लिए 10 फरवरी से 10 दिन तक सामूहिक दवा सेवन कार्यक्रम चलाया जाएगा। इसी क्रम में तैयारियों को लेकर आज कलेक्ट्रेट सभागार में जिलाधिकारी सूर्य पाल गंगवार की द्वारा जिला टास्क फोर्स की बैठक आहूत की गईं।

बैठक में जिलाधिकारी ने बताया कि स्वास्थ्य कार्यकर्ता घर-घर जाकर दवा खिलाएंगे। सामूहिक दवा सेवन  कार्यक्रमो को सफल बनाने के लिए व्यापक स्तर पर प्रचार - प्रसार किया जाये। इसके अलावा यू ट्यूब सहित अन्य सोशल मीडिया का भी सहारा लिया जाए। स्कूल, कॉलेजों और समुदाय में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा इस अभियान के प्रति लोगों को जागरूक किया जाए ताकि लक्षित आबादी इस दवा का सेवन जरूर करे। उक्त के साथ ही इस बीमारी के सम्बंध स्कूलों व कालेजों के बाहर बीमारी से बचाव व जागरूक करने के लिए पोस्टर बैनर आदि लगवाते हुए इस अभियान को शत प्रतिशत सफल बनाया जाए।

जिलाधिकारी ने बताया कि इस अभियान के तहत दो साल से कम आयु के बच्चों, गर्भवती और अति गंभीर बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को इस दवा का सेवन नहीं करना है।  खाली पेट दवा का सेवन नहीं करना है। समुदाय में लोगों को बताएं कि जिन व्यक्तियों में फाइलेरिया के कीटाणु रहते हैं उन्हें दवा के सेवन के बाद चक्कर आना, जी मिचलाना, उल्टी आना, हल्का बुखार आना आदि समस्याएँ हो सकती हैं लेकिन इससे घबराना नहीं चाहिए। वह थोड़ी देर  बाद स्वतः ही ठीक हो जाएगा। इसलिए दवा का सेवन जरूर करें।

फाइलेरिया से बचाव ही इसका सही उपचार है। इसलिए अभियान चलाकर जिलों में हर साल एक बार फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाई जाती है। जनपद में पहली बार इस अभियान के तहत आइवर्मेक्टिन की दवा डाई इथाइल कार्बामजीन (डी.ई.सी.) एवं अल्बेंडाजोल के साथ खिलाई जाएगी।

इस मौके पर अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा.अनूप कुमार श्रीवास्तव, उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. के.डी.मिश्रा, जिला मलेरिया अधिकारी डा. रितु श्रीवास्तव,जिला मलेरिया कार्यालय के अधिकारी एवं कर्मचारी, जिला पूर्ति अधिकारी, पंचायती राज विभाग, आईसीडीएस, शिक्षा विभाग, आईएमए, एनसीसी, सिविल डिफेंस, विश्व स्वास्थ्य संगठन, पाथ और सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफॉर) के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

फाइलेरिया के बारे में जानें : फाइलेरिया मच्छर के काटने से होने वाली संक्रामक बीमारी है जिसे सामान्यतः हाथी पाँव के नाम से भी जाना जाता है। इसके लक्षण पाँच से 15 साल बाद दिखाई देते हैं और तब तक बहुत देर हो चुकी होती है । इसलिए मच्छरों से बचें और जब आशा कार्यकर्ता दवा खिलाने के लिए आएं तो उनके सामने ही खुद भी दवाखाएं और घर के सदस्यों और आस-पास के लोगों को भी दवा का सेवन करने के लिए प्रेरित करें।

फाइलेरिया के लक्षण : पैरों व हाथों में सूजन (हाथीपांव), पुरुषों में हाइड्रोसील (अंडकोश का सूजन) और महिलाओं के स्तन में सूजन ।