- डॉ. सूर्यकान्त की वर्ष 1991 में हिंदी में लिखी थीसिस को ऐतिहासिक बताया
- तीन दिवसीय विश्व हिंदी सम्मेलन में शिरकत करने फिजी पहुंचे डॉ. सूर्यकान्त
नांदी (फिजी) - विश्व हिंदी सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधि मंडल के सदस्य के रूप में शिरकत करने फिजी के नांदी पहुंचे किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय, लखनऊ के रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. सूर्यकान्त के चिकित्सा के क्षेत्र में किये गए प्रयासों को सराहा गया। तीन दिन (15 से 17 फरवरी) तक चलने वाले इस सम्मेलन के दौरान विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने डॉ. सूर्यकान्त द्वारा वर्ष 1991 में हिन्दी में लिखी गयी थीसिस को ऐतिहासिक बताया और उनके प्रयासों को सराहा। सम्मेलन की थीम “हिन्दी-पारंपरिक ज्ञान से कृत्रिम मेधा तक“ तय की गयी है।
ज्ञात हो कि डॉ. सूर्यकान्त ने अपना चिकित्सकीय एम.डी. शोध प्रबंध वर्ष 1991 में “क्षय रोगों की अल्पावधि रसायन चिकित्सा में सह औषधियों की भूमिका“ हिंदी भाषा में लिखकर किंग जॉर्ज मेडिकल कालेज में हिन्दी भाषा के स्थापन व प्रसार में एक नवीन इतिहास व कीर्तिमान स्थापित कर दिया था। चिकित्सा के क्षेत्र में हिन्दी भाषा को बढ़ावा देने के लिए डॉ. सूर्यकान्त को पहले भी मॉरीशस में हुए विश्व हिन्दी सम्मेलन (18 से 20 अगस्त 2018) में भारत के सरकारी प्रतिनिधि के रूप में शामिल होने का गौरव प्राप्त हो चुका है। केजीएमयू व देश के इतिहास में डॉ. सूर्यकान्त पहले चिकित्सक हैं, जिन्होंने किसी भी विश्व हिन्दी सम्मेलन में सरकारी प्रतिनिधि के रूप में प्रतिभाग किया। डॉ. सूर्यकान्त मध्य प्रदेश शासन की ’’चिकित्सा पाठ्यक्रम हिन्दी माध्यम समिति’’ के सलाहकार सदस्य भी हैं। ज्ञात हो कि मध्य प्रदेश में हिन्दी भाषा में चिकित्सा शिक्षा का शुभारम्भ 16 अक्टूबर 2022 को गृहमंत्री अमित शाह द्वारा किया जा चुका है। डॉ. सूर्यकान्त ने केजीएमयू में हिन्दी भाषा में रोगियों एवं परिजनों के लिए विभिन्न बीमारियों के बारे में जानकारी हेतु एक “चिकित्सा ज्ञान वाटिका“ की भी स्थापना की है। यह चिकित्सा ज्ञान वाटिका अपनी तरह का अभिनव प्रयोग है, जो कि हिन्दी भाषा में विश्व में पहली बार किया गया है। इस वाटिका से रोगियों एवं परिजनों को विभिन्न बीमारियों के बारे में जानकारी प्राप्त होती है।