लखनऊ - राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम एवं राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के संयुक्त सहयोग से सदर स्थित यातायात पुलिस मुख्यालय में कार्यरत अधिकारियों एवं कर्मचारियों को तंबाकू और अन्य तम्बाकू उत्पादों के उपयोग से होने वाले दुष्प्रभाव, सिगरेट एवं अन्य तम्बाकू उत्पाद अधिनियम (कोटपा - 2003) और कार्यस्थल पर तनाव प्रबंधन विषय पर बुधवार को संवेदीकरण कार्यशाला आयोजित हुई।
इस मौके पर जिला अस्पताल बलरामपुर के मानसिक विभाग की मनोचिकित्सक गरिमा सिंह ने कार्यस्थल पर तनाव और उसके प्रबंधन के बारे में बताया कि कार्यस्थल ही नहीं परिवार या अन्य कहीं भी सामंजस्य बहुत जरूरी होता है । सामंजस्य न होने से लोग तनाव, चिंता, अवसाद जैसी मानसिक बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं । इनसे निपटने का एक आसान सा रास्ता है कि समस्या पर बात करना, उससे दूर नहीं भागना जो कि स्वयं के हाथ में होता है।
इसके साथ ही इसके लक्षणों को पहचानना भी बहुत जरूरी होता है। जिस तरह से शारीरिक रोगों की समय से पहचान कर इलाज आसान हो जाता है उसी तरह से मानसिक बीमारियों की समय से पहचान कर सही इलाज सुनिश्चित किया जा सकता है। मानसिक बीमारी को छुपाएं नहीं । मानसिक बीमारी को लेकर लोगों में यह धारणा है कि इसका इलाज जीवन पर्यंत चलता है जबकि ऐसा नहीं है। कुछ बीमारियों को छोड़कर अन्य सभी बीमारियों का इलाज थोड़े समय के लिए ही चलता है। गरिमा सिंह ने बताया कि आज के समय में दिनचर्या बहुत व्यस्त है ऐसे में हम संगीत सुनकर, योग और व्यायाम कर, बागवानी कर, अपने पसंद का काम कर तनाव को कम कर सकते हैं ।
गरिमा ने बताया कि नशा और मानसिक बीमारी एक दूसरे से जुड़े हैं । एक तरफ नशा करने से लोग बीमारी की चपेट में आते हैं वहीं मानसिक रूप से बीमार भी नशा करने लगते हैं।
इस मौके पर जिला तंबाकू सलाहकार डा. मयंक चौधरी ने सिगरेट एवं अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम (कोटपा), 2003 के बारे में विस्तार से बताया कि तंबाकू उत्पादों के प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष विज्ञापनों पर पूर्ण प्रतिबंध है ।इसके साथ ही सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान करना अपराध है। शैक्षणिक संस्थानों के 100 गज की परिधि में तंबाकू बेचना प्रतिबंधित है। 18 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति को और व्यक्ति के द्वारा तंबाकू बेचना प्रतिबंधित है । तंबाकू या तंबाकू उत्पादों पर चित्रमय स्वास्थ्य चेतावनी प्रदर्शित करना अनिवार्य है। अधिनियम के प्रावधानों का पालन न करने पर अर्थदंड या कारावास का प्रावधान है।
बलरामपुर जिला अस्पताल स्थित तंबाकू उन्मूलन केंद्र की काउन्सलर डा. रजनीगंधा श्रीवास्तव ने केंद्र के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि केंद्र पर न केवल तम्बाकू छोड़ने के बारे में काउंसलिंग की जाती है बल्कि दवाएं भी दी जाती हैं ।
इस मौके पर जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम से आदेश टंडन, जिला तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के सामाजिक कार्यकर्ता विनोद सिंह यादव, यातायात पुलिस के एएसआई धर्मेंद्र सिंह सहित यातायात पुलिस मुख्यालय के लगभग 40 कर्मचारी उपस्थित रहे ।