- महोना पीएचसी पर फाइलेरिया रोगियों का हुआ एमएमडीपी पर अभिमुखीकरण
- प्रदान की गयी एमएमडीपी किट
लखनऊ - बक्शी का तालाब ब्लॉक के महोना प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) पर शुक्रवार को स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान और स्वयंसेवी संस्था पाथ और सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च(सीफॉर) के सहयोग से फाइलेरिया मरीजों का रुग्णता प्रबंधन एवं दिव्यांगता प्रबंधन (एमएमडीपी) पर अभिमुखीकरण किया गया । इस मौके पर 56 फाइलेरिया मरीजों को एमएमडीपी किट भी प्रदान की गयी ।
इस अवसर पर महोना पीएचसी के प्रभारी डा. राजेन्द्र कुमार ने कहा कि सरकार ने साल 2027 तक फाइलेरिया उन्मूलन का लक्ष्य रखा है। इसी क्रम में एकीकृत निक्षय पोषण दिवस के तहत हर माह की 15 तारीख को भी फाइलेरिया के मरीजों की पहचान कर उनका इलाज शुरू किया जाता है। पीएचसी प्रभारी ने बताया कि फाइलेरिया का दूसरा नाम हाथी पाँव है। यह मच्छरजनित बीमारी है। इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है। इसको केवल प्रबंधन से ही नियंत्रित किया जा सकता है।
उन्होंने प्रतिभागियों को बताया मच्छरों से बचने के लिय मच्छरदानी और मच्छररोधी क्रीम का उपयोग करना चाहिए। घर व घर के आस पास पानी न इकट्ठा होने दें क्योंकि ठहरे हुए पानी में मच्छर पनपते हैं।
फाइलेरिया प्रभावित अंगों की देखभाल के लिए फाइलेरिया रोगियों को एमएमडीपी किट (बाल्टी, टब और मग ) दिये गए । उन्होंने उपस्थित फाइलेरिया रोगियों से कहा कि जो भी समान दिया गया है उसका उपयोग फाइलेरिया प्रभावित अंगों की देखभाल में करें और प्रशिक्षण में फाइलेरिया प्रभावित अंगों की देखभाल करने के बारे में जो जानकारी दी जाए उसको अमल में लाएं।
इस मौके पर पाथ के प्रतिनिधि डा.अनंत विशाल ने उपस्थित फाइलेरिया मरीजों को बताया कि फाइलेरिया प्रभावित अंगों में सूजन न बढ़े इसलिए जरूरी है कि उनमें व्यापक मूवमेंट हो । इसके अलावा महिलाएं फाइलेरिया ग्रसित पैरों में बिछिया या पायल और हाथों में अंगूठी या चूड़ियाँ पहनने से बचें ।
सीफार के सर्वेश ने फाइलेरिया प्रभावित अंगों को कैसे साफ करें इसका प्रदर्शन किया इसके साथ ही उन्होंने बताया कि फाइलेरिया प्रभावित अंगों की नियमित रूप से सफाई करना बहुत जरूरी होता है। इसके साथ ही प्रभावित अंगों की साफ सफाई करते समय विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है अन्यथा संक्रमण होने की संभावना होती है। उन्होंने बताया कि प्रभावित अंगों को साबुन से धोना चाहिए और इस बात का विशेष ध्यान रखें कि साबुन को सीधे प्रभावित अंगों पर नहीं लगाना लगाएं बल्कि साबुन का फेना बनाकर और उसे ऊपर से नीचे की ओर हल्के हाथों से लगाना चाहिए। फिर पोंछकर उस पर एंटी सेप्टिक क्रीम लगानी चाहिए। इसके अलावा सर्वेश ने व्यायाम करके भी दिखाया।
इस मौके पर पहले से एमएमडीपी का प्रशिक्षण प्राप्त 23 वर्षीय हेमलता और 43 वर्षीय श्यामावती ने बताया कि वह फाइलेरिया नेटवर्क समूह की सदस्य हैं और प्रशिक्षण के दौरान जो व्यायाम और साफ सफाई के बारे में बताया गया है उसका नियमित रूप से अभ्यास कर रहें है इससे उन्हे बहुत आराम है और अब किट से वो और अच्छे से देखभाल कर पाएंगी।
इस मौके पर बीसीपीम अजीत कुमार यादव, सीनियर मलेरिया इंस्पेक्टर बी.के. गौतम, हेल्थ सुपरवाइजर रवि मित्रा, सुरेन्द्र कुमार लैब टैक्नीशियन श्री कृष्णा, बाल सिंह, आशा संगिनी उषा, आशा कार्यकर्ता राजेश्वरी, सहित पीएचसी के कर्मचारी, सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) की प्रतिनिधि, फाइलेरिया नेटवर्क समूह के 46 सदस्य तथा 10 फाइलेरिया रोगी मौजूद रहे।