प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान : 1937 गर्भवती को जारी किये गए ई-रूपी वाउचर



  • 14 अनुबंधित निजी अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर गर्भवती को मिल रही अल्ट्रासाउंड की सुविधा
  • उच्च जोखिम गर्भावस्था को पहचानने में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान की अहम भूमिका  

कानपुर नगर  - सरकारी स्वास्थ्य इकाइयों पर प्रसव पूर्व जांच करवाने वाली गर्भवती को ई-रुपी वाउचर के जरिए निजी अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर अल्ट्रासाउंड कराने की सुविधा मिल रही है। निजी केंद्रों पर सिर्फ एसएमएस और क्यू आर कोड दिखाकर गर्भवतियों को यह सुविधा मिल जाती है। जनपद के कुल 14 अनुबंधित निजी अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर गर्भवती ई-रूपी वाउचर के जरिए दूसरी व तीसरी तिमाही में एक बार अल्ट्रासाउंड जांच करवा कर पूरा लाभ उठा रहीं हैं । एक अप्रैल 2023 से शुरू हुई योजना के अंतर्गत सितम्बर माह तक कुल 1937 ई-रुपी वाउचर जनरेट किये गये हैं।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आलोक रंजन ने बताया कि अल्ट्रासाउंड के जरिए गर्भ में बच्चे की स्थिति और उसके विकास की स्थिति पता चल जाती है। यदि कोई समस्या नजर आती है तो समय से उसका उपचार किया जाता है | जनपदीय परिवार कल्याण कार्यक्रम के नोडल व एसीएमओ डॉ आरवी सिंह का कहना है कि गर्भावस्था के दौरान प्रसव पूर्व जांच की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। इससे प्रसव के पूर्व या प्रसव के दौरान होने वाली जटिलताओं को बहुत हद तक कम किया जा सकता है। वहीं, कई मामलों में मातृ मृत्यु की संभावनाओं को भी खत्म किया जा सकता है।

मातृत्व खुशियाँ हुईं अपार, पीएमएसएमए दिवस अब चार बार : जिला मातृ स्वास्थ्य परामर्शदाता हरिशंकर मिश्रा बताते हैं  कि प्रसव पूर्व जांच के लिए प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के अंतर्गत माह की 1, 9, 16 व 24 तारीख को सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर गर्भवती की सम्पूर्ण जांच की जाती है। इसी क्रम में जिला चिकित्सालयों सहित समस्त स्वास्थ्य केन्द्रों पर मंगलवार को प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान दिवस मनाया गया, जिसमें जिला महिला अस्पताल में 426  गर्भवती महिलाओं का परीक्षण किया गया, जिसमें से 44 गर्भवती महिलायेँ उच्च जोखिम गर्भावस्था (हाई रिस्क प्रेगनेंसी) की अवस्था में निकली। हाई रिस्क प्रेगनेंसी वाली गर्भवती को प्रसव होने तक विशेष निगरानी में रखा जाएगा। सभी के परिवार को समझाया जाएगा कि उनका प्रसव संस्थागत ही कराएं।

प्रसव पूर्व होने वाली जांचें :
• प्रथम चरण - गर्भ धारण के तुरंत बाद या गर्भावस्था के पहले तीन महीने के अंदर
• द्वितीय चरण- गर्भधारण के 14 से 26 हफ्ते के मध्य
• तृतीय चरण- गर्भधारण के 28 से 34 हफ्ते मध्य के चतुर्थ चरण- गर्भधारण के 36वें हफ्ते से शिशु की जन्म की अवधि तक