योगी सरकार की जैविक खेती प्रोत्साहन नीति का हुआ असर



  • प्रयागराज में 8820 हेक्टेयर में हुआ जैविक खेती का विस्तार
  • जैविक खेती के विस्तार से गंगा नदी के प्रदूषण में भी आई कमी

प्रयागराज। किसानों के खेतो में परम्परागत तरीके से हो रही खेती में रासायनिक खाद और कीटनाशकों के मनमाने इस्तेमाल से खेतों की मिट्टी की गिरती उर्वरता, बढ़ते जलीय प्रदूषण से जनजीवन भी प्रभावित हुआ है। कृषि वैज्ञानिको ने इसके निराकरण के रूप जैविक खेती का जो विकल्प पांच साल पहले दिया योगी सरकार ने इसे अमल में लाते हुए प्रदेश के किसानो के लिए जैविक खेती के लिए प्रोत्साहन की नीति बनाई उससे प्रदेश के किसानो ने तेजी से जैविक खेती अपनाई है। प्रयागराज में जैविक खेती की तरफ किसानों का रुझान तेजी से बढ़ा है।

जैविक खेती को प्रयागराज के किसान तेजी से अपना रहे है। योगी सरकार की रसायन मुक्त खेती के प्रोत्साहन के अभियान और नीति के चलते जैविक खेती करने वाले किसानों में जनपद प्रयागराज में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है। प्रयागराज के कृषि उप निदेशक सत्य प्रकाश श्रीवास्तव बताते हैं कि वर्ष 2021-२२ प्रयागराज में गंगा किनारे बसे 110 गाँव के 6554 किसानो के जैविक खेती करते थे लेकिन अब इनकी संख्या बढ़कर 9623 हो गई है। जिले में इस समय 8820 हेक्टेयर में जैविक खेती की जा रही थी।

योगी सरकार की जैविक खेती के लिए शुरू की गई प्रोत्साहन नीति से समय के साथ किसानों का रुझान तेजी से जैविक खेती के प्रति बढ़ा है। एक तरफ जहां सरकार की तरफ से इसके प्रचार प्रसार के लिए कई अभियान चलाए गए तो वहीं किसान पाठशालाओं के माध्यम से गांव में किसानों को इसकी उपयोगिता और फायदे भी बताई गए।  बात प्रयागराज की करें तो इसी का नतीजा है कि नमामि गंगे योजना के साथ जोड़ कर जिले पांच वर्ष में जैविक खेती का रकबा 10 गुना से  बढ़ गया है। आंकड़ो पर गौर करे तो 2017 के पहले यहाँ लगभग 400 हेक्टेयर के आसपास की भूमि में  जैविक खेती की जाती थी। लेकिन अब साल दर साल जैविक खेती 8820 हेक्टेयर से अधिक में फ़ैल चुकी है।

कृषि उपनिदेशक एसपी श्रीवास्तव बताते हैं कि पिछले वर्ष जिन 187 क्लस्टर में जैविक खेती की शुरुआत की गई थी उसमें 112 क्लस्टर में जैविक खेती के सभी चरण पूरे कर लिए गए हैं। बाकी 75 क्लस्टर में इसे पूरी करने की प्रक्रिया जारी है।