- उच्च शिक्षण संस्थानों में आयोजित की जाएंगी टीबी जागरूकता गतिविधियां
लखनऊ - साल का दूसरा सक्रिय क्षय रोगी खोज(एसीएफ) अभियान 23 नवंबर से पाँच दिसम्बर तक चलाया जाएगा जिसके तहत 1365 स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा संभावित क्षय रोगियों की पहचान की जाएगी तत्पश्चात इन संभावित क्षय रोगियों की टीबी की जांच की जाएगी और टीबी की पुष्टि होने पर उनका टीबी का इलाज शुरू किया जाएगा। यह जानकारी जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ ए.के.सिंघल ने दी। उन्होंने बताया कि यह अभियान साल 2025 तक देश को टीबी मुक्त करने का अहम हिस्सा है।
एसीएफ ग्रामीण क्षेत्रों सहित अनाथालय, वृद्धाश्रम, नारी निकेतन, ईंट भट्टे, निर्माणाधीन प्रोजेक्ट, फल मंडी, सब्जी मंडी, क्रेशर, खदानों, बाल संरक्षण गृह, लेबर मार्केट, नवोदय विद्यालय आदि में भी चलाया जाएगा।
जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि एसीएफ जनपद की कुल आबादी की 20 फीसद आबादी को आच्छादित करते हुए शहरी एवं ग्रामीण बस्ती तथा उच्च जोखिम क्षेत्रों में चलेगा अर्थात जनपद की कुल आबादी 56 लाख है, इसका 20 फीसद यानि 12 लाख आबादी में एसीएफ चलेगा जिसके लिए माइक्रोप्लान तैयार कर लिया गया है। एसीएफ में 455 टीमें लगाई गयी हैं और हर टीम में आशा, आंगनबाड़ी एवं कम्युनिटी वोलेंटियर रहेंगे।
इस दौरान धर्मगुरुओं के साथ बैठक कर उनसे एसीएफ में सहयोग करने की भी गुजारिश की जाएगी साथ ही टीबी फोरम की बैठक का भी आयोजन किया जाएगा। जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि इसके साथ ही 20 नवंबर से 31 दिसंबर तक लखनऊ विश्वविद्यालय, आईआईएम, एकेटीयू, इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी और एमिटी विश्वविद्यालय में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर शिक्षकों एवं छात्रों को टीबी के लक्षण, बचाव एवं उपचार की जानकारी दी जाएगी।
जिला क्षय रोग अधिकारी ने जानकारी दी कि एसीएफ साल 2017 में शुरू हुआ था। यह साल में दो बार चलाया जाता है। इस साल मार्च में यह अभियान चला था जिसमें 323 लोगों में टीबी की पुष्टि हुई थी तथा सभी का टीबी का इलाज शुरू हुआ और वर्तमान में 279 टीबी रोगियों का इलाज पूरा हो चुका है।