आ गया पोलियो रविवार, दवा पिलाकर करो बीमारी पर वार



  • जन्म से पाँच साल तक के 5.96 लाख बच्चे पिएंगे ‘दो बूंद जिंदगी की’

कानपुर नगर - “दो बूंद जिंदगी की”, इस स्लोगन से तो बात पूरी तरह साफ हो जाती है कि बात पोलियो की हो रही है। ग्लोबल पोलियो इरेडिकेशन इनीशिएटिव के अनुसार ओरल पोलियो वैक्सीन (ओपीवी) आजीवन पोलियो पक्षाघात (लकवा) के खिलाफ बच्चों की सुरक्षा में बेहद सुरक्षित और प्रभावी है। इसलिये जरूरी है की शून्य से पाँच वर्ष तक का हर बच्चा पोलियो की दो बूँद ज़रूर पिये। इस बार जनपद में आगामी रविवार यानि 10 से 18 दिसम्बर तक पोलियो अभियान चलाया जाएगा, जिसके अंतर्गत 10 दिसम्बर को जनपद में निर्धारित जगहों पर कुल 2149 बूथ बनाए जाएंगे, जहां बच्चों को दवा पिलाई जाएगी।

एसीएमओ एवं जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ यूबी सिंह  ने बताया कि पोलियोमाइलाइटिस (पोलियो) अत्यधिक संक्रामक वायरल रोग है, जो पूरे शरीर को प्रभावित करता है। यह संक्रमण मुख्यत: छोटे बच्चों में, जो पांच वर्ष से कम आयु को प्रभावित करता है। विषाणु मुख्यत: मल-मौखिक मार्ग (ओरल-फीकल रूट) के माध्यम से या किसी सामान्य वाहक, उदाहरण के लिए दूषित पानी या भोजन, द्वारा व्यक्ति से व्यक्ति में फैलता है, और आंत में दोगुना, चौगुना बढ़ता जाता है, इसके बाद तंत्रिका तंत्र में पहुँचकर शरीर में कई हिस्सों जैसे हाथों, पैरों आदि में लकवा की स्थिति पैदा करता है।

उन्होने बताया कि इसी को ध्यान में रखते हुये पोलियो मुक्त देश होने बावजूद भी पल्स पोलियो कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसके अलावा हर साल चार से पांच चक्रों में घर-घर जाकर, स्वास्थ्य केन्द्रों, बस स्टॉप, रेलवे स्टेशन आदि जगहों पर पोलियो वैक्सीन पिलाई जा रही है। साथ ही “हर बच्चा-हर बार” और “दो बूंद ज़िंदगी” जैसे स्लोगन के द्वारा लोगों को जागरूक किया जा रहा है। ताकि बच्चों को इस बीमारी से बचाया जा सके क्योंकि जब तक एक भी बच्चा पोलियो से ग्रसित रहेगा, दुनियाभर में इस बीमारी के फैलने का खतरा भी बना रहेगा।

उन्होंने बताया कि रविवार को बूथ पर पोलियो की दवा देने के बाद अगले दो से पांच दिनों में घर-घर जाकर निगरानी (मॉप-अप राउंड) की जाएगी, जिससे बूथों पर टीकाकरण से छूटे हुए बच्चों की पहचान की जा सके और उनका टीकाकरण किया जा सके। इसके अलाव बस टर्मिनल, रेलवे स्टेशन, हवाईअड्डों और फेरी क्रॉसिंग (नौका घाटों) पर टीकाकरण टीम को तैनात किया गया है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी बच्चा इस जीवन रक्षक खुराक से चूक न जाए। 11 से 15 दिसम्बर तक टीम घर घर जाकर शून्य से पांच वर्ष तक के बच्चों को पोलियो ड्रॉप पिलाई जाएगी। जनपद में 1850 टीम बनाई गई हैं, जो लक्षित करीब 5.96 लाख बच्चों को दवा पिलाने का कार्य करेंगी। इसके लिए करीब 10.35 लाख  घरों को लक्षित किया गया हैं।

लक्षण : प्रारंभिक लक्षण बुखार, थकान, सिरदर्द, उल्टी, गर्दन की अकड़न और अंगों में दर्द है। दो सौ संक्रमणों में से एक संक्रमण अपरिवर्तनीय लकवा या विकलांगता आमतौर पर पैरों के अलावा शरीर के किसी भी अंगों में उत्पन्न होता है। वहीं श्वास की मांसपेशियों प्रभावी रूप से कार्य नहीं करती हैं जिस वजह से विकलांगता आने लगती है।

रोकथाम :इसका कोई उपचार नहीं है लेकिन सुरक्षित एवं प्रभावी टीके उपलब्ध हैं। प्रतिरक्षण के माध्यम से पोलियो को रोका जा सकता है। पोलियो का टीका कई बार दिया जाता है। यह हमेशा बच्चे के जीवन की सुरक्षा करता है। पोलियो खत्म करने की रणनीति है कि जब तक कि रोग का संचरण समाप्त न हो जाएं तब तक हर बच्चे को टीकाकरण के द्वारा संक्रमित होने से बचाया जाये।

ओपीवी यानि ओरल पोलियो वैक्सीन संस्थागत प्रसव के दौरान इसे जन्म के समय मुख से दिया जाता है, फिर प्राथमिक तीन खुराकों को छह, दस और चौदह सप्ताह और एक बूस्टर खुराक सोलह से चौबीस महीने की आयु में दी जाती है तथा पांच साल की उम्र में दूसरा बूस्टर दिया जाता है