ड्रग रजिस्टेंस टीबी के गुणवत्तापूर्ण इलाज पर मंथन



  • डिफिकल्ट टू ट्रीट टीबी क्लिनिक यूपी का ऑनलाइन आयोजन
  • दो साल से नियमित क्लिनिक का आयोजन करने वाला पहला राज्य बना यूपी

लखनऊ । ड्रग रजिस्टेंस (डीआर) टीबी रोगियों के गुणवत्तापूर्ण इलाज, रोकथाम और बेहतर प्रबन्धन के उद्देश्य से सेंट्रल टीबी डिवीजन और नेशनल टास्क फ़ोर्स के तत्वावधान में जून 2021 से देश में डिफिकल्ट टू ट्रीट टीबी क्लिनिक (डीट3 सी) के आयोजन की पहल की गयी। इसके माध्यम से प्रदेश के सभी जिला क्षय रोग अधिकारी और अन्य विभागीय कर्मचारी ऑनलाइन माध्यम से सीधे विशेषज्ञों से जुड़कर अपनी समस्या बताते हैं और उसका समाधान पाते हैं । उत्तर प्रदेश देश का ऐसा पहला राज्य बन गया है जो दो साल से नियमित तौर पर इस क्लिनिक का आयोजन कर रहा है ।

राज्य क्षय रोग इकाई के तत्वावधान में मंगलवार को आयोजित 50वीं ऑनलाइन क्लिनिक के दौरान  डॉ. अशोक भारद्वाज-अध्यक्ष राष्ट्रीय टास्क फोर्स मेडिकल कॉलेज, डॉ. राजेंद्र प्रसाद - उपाध्यक्ष राष्ट्रीय टास्क फोर्स मेडिकल कॉलेज, डॉ. रूपक सिंगला-कंसल्टेंट टीबी और नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टीबी एंड रेस्परेटरी डिजीज नई दिल्ली ने बधाई दी कि उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है, जहाँ दो साल से लगातार क्लिनिक का आयोजन किया जा रहा है । संयुक्त निदेशक (क्षय)/राज्य क्षय नियन्त्रण कार्यक्रम अधिकारी डॉ. शैलेन्द्र भटनागर ने इस कार्यशाला की शुरुआत की ।  इस मौके पर डॉ. भारद्वाज ने सलाह दी कि 15 मिनट का जानकारी बढ़ाने का अलग से सत्र आयोजित किया जाए । डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने सलाह दी कि मेडिकल कॉलेज के पीजी छात्र इस आयोजन में जरूर हिस्सा लें । आयोजन में उप राज्य क्षय रोग अधिकारी डॉ. ऋषि सक्सेना, एसटीडीसी आगरा के डॉ. लवानिया, डॉ. अनुराग आदि मौजूद रहे ।

आयोजन के दौरान डीआर टीबी सेंटर से जुड़े कर्मचारियों ने विशेषज्ञों से इलाज में आने वाली दिक्कतों के बारे में बताया, जिसके प्रबन्धन के गुर विशेषज्ञों ने बहुत ही सरल और सहज ढंग से बताये । इसके अलावा आने वाले समय में इलाज को और बेहतर बनाने के लिए चल रहे शोध और आने वाली नई दवाओं के बारे में भी अवगत कराया। इसके माध्यम  से केस प्रेजेंटेशन किया गया, फिर विशेषज्ञों ने राय देते हुए बताया कि केस कैसे मैनेज करना चाहिए ।