- रामा मेडिकल कालेज में जल्द शुरू होगा जनपद का दूसरा डीआरटीबी सेंटर, मिलेगा इलाज
कानपुर - मंधना स्थित रामा मेडिकल कॉलेज में बुधवार को राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) की टास्क फोर्स व कोर कमेटी की बैठक हुई। इसमें वर्ष 2025 तक जनपद से टीबी को खत्म करने की रणनीति तैयार की गई। बैठक में राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के सूचकांकों-रोगियों के नोटिफिकेशन एवं शत-प्रतिशत टीबी मरीजों की एचआईवी व शुगर की जांच कराने और टीबी वार्ड व डीआर टीबी सेंटर पर चर्चा हुई। इसके साथ ही जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) द्वारा डीआरटीबी सेंटर की प्रगति का निरीक्षण किया गया और आवश्यक निर्देश भी दिये गए।
बैठक में जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ आरपी मिश्रा ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम चल रहा है। केंद्र सरकार की ओर से वर्ष 2025 तक टीबी यानि ट्यूबरक्लोसिस जैसी खतरनाक बीमारी को खत्म करने का संकल्प लिया गया है। डॉ मिश्रा ने कहा कि कई बार जानकारी के अभाव में हम गंभीर बीमारियों का शिकार हो जाते हैं। इनमें टीबी की बीमारी भी शामिल है, जो काफी घातक है। यदि समय से उपचार नहीं शुरू हो तो यह जानलेवा भी साबित हो जाती है। रामा मेडिकल कॉलेज में अब जनपद के दूसरे डीआरटीबी सेंटर शुरू होने से जिले के मल्टी ड्रग रजिस्टेंट (एमडीआर) टीबी के मरीजों की जांच में काफी आसानी होगी। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने देश में क्षय रोग को वर्ष 2025 तक पूरी तरह समाप्त करने का लक्ष्य रखा है, इसी कड़ी में यह केंद्र महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने बताया कि इससे पहले मुरारीलाल चेस्ट अस्पताल में जनपद का पहला डीआरटीबी केंद्र स्थापित है।
रामा मेडिकल कॉलेज के प्रो.सुधीर चौधरी ने बताया कि यह केंद्र विशेष रूप से बिगड़ी हुई टीबी के मरीजों के उपचार के लिए तैयार किया जा रहा है। डीआर टीबी में मरीज को आइसोलेट करके रखा जाता है। ऐसे मरीजों को उपचार की सभी सुविधाएं डीआर टीबी सेंटर में उपलब्ध होंगी।
कोर समिति के नोडल अधिकारी डॉ अनिल निगम ने कहा कि यदि ज़िले के 20 से 30 प्रतिशत टीबी मरीजों का उपचार मेडिकल कॉलेज के माध्यम से किया जाए तो वर्ष 2025 तक लक्ष्य पूरा करना आसान होगा। उन्होंने कहा कि ऐसा जरूरी नहीं है कि सभी में टीबी के लक्षण मौजूद हों, लेकिन टीबी के लक्षण या किसी अन्य जांच में अनियमितता मिलने पर टीबी की जांच जरूर करवा लेनी चाहिए। 40 प्रतिशत मरीज ऐसे होते हैं, जिनमें लक्षणों के आधार पर बलगम की जांच कराई जाने पर टीबी धनात्मक मिलती है। ऐसे में सभी मरीजों की सीबीनाट एवं ट्रूनेट जांच कराना भी बहुत जरूरी है।
इस दौरान उप जिला क्षयरोग अधिकारी डॉ राजेश्वर सिंह, विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रतिनिधि डॉ मोईन अख्तर , रामा मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य प्रो कर्नल बीके प्रसाद सहित जिला कार्यक्रम समन्वयक राजिव सक्सेना व अन्य सदय मौजूद रहे।