- आईडीए अभियान के लिए लोगों को दी गई जानकारी
लखनऊ - राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत बक्शी का तालाब ब्लॉक के पूरब गाँव प्राथमिक विद्यालय में बृहस्पतिवार को स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान और स्वयंसेवी संस्था पाथ और सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च(सीफॉर) के सहयोग से फाइलेरिया मरीजों का रुग्णता प्रबंधन एवं दिव्यांगता प्रबंधन (एमएमडीपी) पर अभिमुखीकरण किया गया । इस मौके पर 25 फाइलेरिया मरीजों को एमएमडीपी किट भी प्रदान की गयी।
पूरब गाँव प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डा. अनिल कुमार पांडे ने बताया कि फाइलेरिया बीमारी का कोई इलाज नहीं है। इसका केवल प्रबंधन किया जा सकता है। एमएमडीटी किट का प्रयोग करते हुए फाइलेरिया प्रभावित अंगों की नियमित साफ सफाई करनी चाहिए इससे किसी भी तरह का संक्रमण नहीं होने की संभावना होती है और नियमित व्यायाम करने से फाइलेरिया प्रभावित अंगों में सूजन बढ़ती नहीं है।
डा. पांडे ने उपस्थित लोगों से कहा कि इस बीमारी से बचने का एकमात्र उपाय फाइलेरियारोधी दवा का सेवन करना है। इसी क्रम में 10 से 28 फरवरी तक फाइलेरियारोधी दवा आइवरमेक्टिन, डाईइथाइल कार्बामजीन और एल्बेंडाजोल(आईडीए) खिलाई जाएगी। यह दवा स्वास्थ्य कार्यकर्ता अपके घर पर खिलाने आएंगे । सभी लोग फाइलेरियारोधी दवा का सेवन जरूर करें और अपने परिवार तथा आस-पास के लोगों को दवा का सेवन करने के लिए प्रोत्साहित करें। एक बात का विशेष ध्यान रखें कि दवा खाली पेट नहीं खानी है। यदि किसी को दवा खाने के बाद उल्टी, जी मितलाना और चक्कर आने जैसी समस्या होती है तो घबराने की जरूरत नहीं है। इस तरह की प्रतिक्रिया होने का मतलब है कि उस व्यक्ति में फाइलेरिया के परजीवी थे जिनके मरने के कारण यह प्रतिक्रिया हुई है। फाइलेरियारोधी दवा गर्भवती, दो साल से कम आयु के बच्चों और गंभीर बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को छोड़कर सभी को खानी है।
स्वयंसेवी संस्था पाथ के प्रतिनिधि डा. अनंत विशाल ने फाइलेरिया प्रभावित अंगों की देखभाल के बारे में बताया कि कभी भी अंगों में रगड़ते हुए साबुन का उपयोग नहीं करना चाहिए। नियमित रूप से फाइलेरिया प्रभावित अंगों की सफाई करनी चाहिए। हल्के हाथों से तौलिए से पोंछना चाहिए। यदि कहीं कटा हुया है तो अच्छे से सुखाकर उस पर एंटी सेप्टिक क्रीम लगानी चाहिए।
स्वयं सेवी संस्था सीफॉर के प्रतिनिधि सर्वेश पांडेय ने फाइलेरिया प्रभावित अंगों के व्यायाम के तरीके बताए। इस मौके पर फाइलेरिया मरीज रामविलास ने बताया कि यहां पर आकर पता चला कि 10 फरवरी से फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाई जाएगी। पिछले साल भी खिलाई गई थी। हमने खाई थी और घर में सभी को खिलाई थी। इस साल भी खाएंगे और लोगों को खाने के लिए कहेंगे। हाँ एक बात और यह जो मग, बाल्टी और टब मिला है उसका उपयोग फाइलेरिया प्रभावित अंगों की देखभाल के लिए करेंगे और किसी को छूने भी नहीं देंगे।
इस अवसर पर आशा संगिनी आशा तथा कार्यकर्ता और 25 फाइलेरिया मरीज मौजूद रहे थे।