नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म दिन "पराक्रम दिवस " के रूप में मनाया गया



लखनऊ। सांस्कृतिक गौरव संस्थान (अवध प्रांत) ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस चौराहा (लखनऊ) स्थित नेताजी सुभाष चंद्र बोस की विशाल प्रतिमा पर उनके जन्म दिवस समारोह का आयोजन किया।

विभिन्न क्षेत्रों से सैकड़ों व्यक्ति तिरंगा झंडा लेकर भारत माता की जय, जय हिंद का उदघोष करते हुए नेताजी की मूर्ति पर पहुंचे और नेताजी की मूर्ति पर माल्यार्पण व पुष्पांजलि अर्पित की । कार्यक्रम में डॉ. सूर्यकांत (अध्यक्ष), विजय कुमार तिवारी (प्रमुख परामर्शदाता), डॉ. रवीश कुमार, डॉ. मनोज पांडे, हरिशरण मिश्रा, कृष्ण कुमार मिश्रा (बाबू मिश्रा), सूर्यभान विश्वकर्मा, नीतीश तिवारी, सुनील कपूर, रवीन्द्रनाथ दीक्षित, संतोष कुमार सिंह आदि उपस्थित रहे।

सभा को संबोधित करते हुए डॉ. सूर्यकांत (अध्यक्ष, सांस्कृतिक गौरव संस्थान) ने भारत सरकार से निम्न प्रस्तावों की मांग की - नेताजी सुभाष चंद्र बोस को भारत का प्रथम प्रधानमंत्री घोषित किया जाये क्योंकि सन् 1943 में नेताजी सुभाषचंद्र बोस की आज़ाद हिंद सरकार को विश्व के नौ देशों ने मान्यता दी थी और नेताजी सुभाष चंद्र बोस आज़ाद हिंद सरकार के प्रधानमंत्री थे। इस प्रकार नेताजी सुभाष चंद्र बोस को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रथम प्रधानमंत्री घोषित किया गया था।

नेताजी की आज़ाद हिंद फौज ने पूरा बर्मा (म्यांमार), उत्तर पूर्व के अनेक राज्य, बंगाल का बड़ा भूभाग (आधुनिक बांग्लादेश) जीत लिया था। भारतीय मुद्रा पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी का चित्र मुद्रित किया जाये। नेताजी अयोध्या में गुमनामी बाबा के नाम से निवास करते थे, उनका देहावसान सन् 1986 में हुआ और गुप्तारघाट पर सरयू नदी के किनारे उनकी समाधि बनी हुई है।

गुमनामी बाबा के निवास से नेताजी सुभाष चंद्र बोस के अनेकों समान एवं कागजात प्राप्त हुए थे। कलकत्ता से सुभाष चंद्र बोस के पारिवारिक सदस्य एवं अनेकों राष्ट्रीय स्तर के प्रतिष्ठित व्यक्ति गुमनामी बाबा से मिलने जाते रहते थे। अनेकों प्रमाणों से यह सिद्ध होता है कि गुमनामी बाबा ही नेताजी सुभाष चंद्र बोस थे।

सरकार से यह भी मांग की गयी कि अयोध्या में नेताजी सुभाष चंद्र बोस  का भव्य राष्ट्रीय स्मारक का निर्माण कराया जाये।