टीबी ग्रसित मरीज के निकट सम्पर्की के लिए छह माह तक बचाव की दवा खाना अनिवार्य



  • जिले के चिकित्सा अधिकारियों के लिए आयोजित की गयी सतत चिकित्सा शिक्षा कार्यशाला

गोरखपुर - टीबी ग्रसित प्रत्येक मरीज के निकट सम्पर्की को टीबी की जांच अवश्य करवाना चाहिए । जांच में अगर टीबी निकलती है तो उसका भी इलाज शुरू कर दिया जाएगा । अगर जांच में टीबी की पुष्टि नहीं होती है तब भी निकट सम्पर्की को छह माह तक बचाव की दवा खाना अनिवार्य है । इस संदेश को मरीज और उसके परिजनों तक पहुंचाने के लिए जिले के चिकित्सा अधिकारियों को सतत चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) कार्यशाला में बुधवार को प्रशिक्षित किया गया । मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे और जिला क्षय अधिकारी डॉ गणेश यादव के दिशा निर्देशन में कार्यशाला का आयोजन सेंटर फॉर हेल्थ रिसर्च एंड इनोवेशन (सीएचआरआई) संस्था के ज्वाइंट एफर्ट फॉर एलिमिनेशन ऑफ टीबी (जीत) कार्यक्रम के तहत किया गया ।

उप जिला क्षय अधिकारी डॉ विराट स्वरूप श्रीवास्तव ने चिकित्सा अधिकारियों से कहा कि वह अपने ओपीडी से फेफड़े वाली टीबी के लक्षण वाले दस फीसदी संभावित मरीजों को जांच के लिए अवश्य रेफर करें । एचआईवी ग्रसित मरीज, लंबे समय से स्टेरॉयड का सेवन करने वाले लोग, अति कुपोषित मरीज और मधुमेह पीड़ित लोग टीबी के हाई रिस्क श्रेणी में आते हैं और ऐसे लोगों की टीबी जांच अवश्य होनी चाहिए । जांच के लिए सभी ब्लॉक स्तरीय अस्पतालों पर सुविधा उपलब्ध है । साथ ही बीआरडी मेडिकल कॉलेज, जिला क्षय रोग केंद्र और बड़हलगंज सीएचसी पर उच्च जांच क्षमता वाली सीबीनॉट मशीन भी गुणवत्तापूर्ण जांच के लिए सक्रिय है । टीबी मरीज को खानपान, पोषण और सहयोग के तौर पर पांच सौ रुपये प्रति माह की दर से इलाज चलने तक धनराशि खाते में देने का प्रावधान किया गया है । मरीज की देखभाल करने वाले ट्रिटमेंट सपोर्टर को सफल इलाज के बाद ड्रग सेंसिटिव टीबी के केस में 1000 रुपये और ड्रग रेसिस्टेंट टीबी के मामलों में 5000 रुपये दिये जाते हैं ।

डॉ श्रीवास्तव ने बताया कि जिले में सी नाइंटिन टीम के सहयोग से शीघ्र ही पोर्टेबल एक्स रे मशीन की सेवा शुरू हो जाएगी । हाई रिस्क क्षेत्रों में हेल्थ कैम्प लगा कर इस मशीन की सहायता से 16 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों का एक्स रे किया जाएगा और मौके पर ही स्वास्थ्य जांच के साथ साथ टीबी जांच की सुविधा भी दी जाएगी । उन्होंने चिकित्सा अधिकारियों से कहा कि टीबी मरीजों के निकट सम्पर्कियों को बचाव की दवा खिलाने के दौरान अगर उन पर कोई प्रभाव नजर आता है तो परामर्श के साथ आवश्यक चिकित्सा सेवा भी देनी है । कार्यशाला को सीएचआरआई संस्था के ड्रिस्ट्रिक्ट लीड अमित कुमार श्रीवास्तव, रामेंद्र, डीपीसी धर्मवीर प्रताप और पीपीएम समन्वयक अभय नारायण मिश्र ने भी सम्बोधित किया ।

पूरा सहयोग दिया जाएगा : कार्यशाला के प्रतिभागी आयुष चिकित्सक अमरनाथ तिवारी ने बताया कि टीबी मरीजों को खोजने और संदर्भित करने में पूरा सहयोग दिया जाएगा । उन्हें खानपान संबंधी परामर्श देना है और साथ ही प्रेरित करना है कि उनकी दवा कभी भी बंद न होने पाए ।