- फाइलेरिया उन्मूलन में छात्र-छात्राओं की भूमिका अहम - डॉ आरपी मिश्रा
- फाइलेरिया नेटवर्क सदस्यों ने साझा किये अपने अनुभव
- विश्व लिम्फोडिमा दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित हुई उन्मुखीकरण कार्यशाला
कानपुर नगर - जब मुझे फाइलेरिया हुआ तो मै इस बीमारी से अपरिचित था। जब बीमारी के बारे में पता चला तो जानने वाले लोगों ने तरह-तरह की जड़ी बूटी और गैर वैज्ञानिक उपायों से यह बीमारी ठीक होने की सलाह दी। लोगों की सलाह पर जगह जगह भटकते रहे। धीरे धीरे परेशानी बढ़ने लगी और पैर में दर्द और सूजन बढ़ता गया। बीमारी के कारण उन्हें सामाजिक उपेक्षा और भेदभाव भी झेलना पड़ा। लोगों को यह लगता था कि उनके पैर के पानी से उन्ह भी संक्रमण हो जाएगा। मै शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर हुआ । पर अब फाइलेरिया रोगी नेटवर्क से जुड़कर विशेषज्ञों से बीमारी के बारे में कई प्रमुख जानकारी ली और देखभाल के तरीके सीखे। और आज दूसरे लोगों को इस बीमारी के प्रति व्याप्त भ्रांतियों के बारे में जागरूक कर रहे हैं। यह बातें कल्याणपुर ब्लॉक के फाइलेरिया नेटवर्क के सक्रिय सदस्य रामसनेहीं ने की।
रामसनेही मंगलवार को विश्व लिम्फोडिमा दिवस (6 मार्च) की पूर्व संध्या पर लिम्फोडिमा के प्रति राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) उन्मुखीकरण कार्यशाला में अपने अनुभव साझा करें । चमनगंज स्थित हलीम मुस्लिम पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता संचारी रोगों के नोडल अधिकारी व एसीएमओ डॉ आरपी मिश्रा ने की। कार्यक्रम में करीब 100 से अधिक छात्र छात्राओं को लिम्फोडिमा (हाथ, पाँव और स्तन में सूजन) के प्रति जागरुक किया गया व इससे बचाव के उपायों से भी अवगत कराया गया।
कार्यक्रम में सभी चिकित्सा अधिकारियों का स्वागत प्राचार्य प्रो मुज़म्मिल हुसैन सिद्दीकी ने किया। राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के कार्यक्रम अधिकारी डॉ० सरफ़राज़ अहमद ने कार्यक्रम का संचालन किया। राज्य स्तर से फाइलेरिया एक्सपर्ट के तौर पर कार्यक्रम में जुड़े फाइलेरिया नियंत्रण अधिकारी सुदेश कुमार ने भी सभी प्रतिभागियों से कहा कि यह मच्छर के काटने से होने वाली बीमारी है | इसलिए हमें मच्छरजनित परिस्थितियाँ नहीं उत्पन्न करनी चाहिए |
नोडल अधिकारी डॉ आरपी मिश्रा ने छात्र छात्राओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि फ़ाइलेरिया बीमारी से जान तो नहीं जाती है लेकिन बीमारी हो जाने पर यह जीना मुश्किल कर देती है। इसलिए इसकी गंभीरता समझनी चाहिए। उन्होंने कहा की इस बीमारी के उन्मूलन के लिए जब युवा आगे आयेंगे तो जागरूकता से बीमारी का विनाश होगा। जिला मलेरिया अधिकारी अरुण कुमार सिंह ने कहा की दुनिया में कई ऐसी बीमारियां हैं, जिनका इलाज संभव नहीं। उन्होंने कहा की जिले में फाइलेरिया उन्मूलन की दिशा में रोग से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करते हुए रोग प्रबंधन व दिव्यांगता रोकथाम के प्रति लोगों को जागरूक करने में आप युवा अहम योगदान दे सकते है ।
कार्यक्रम में पहुंचे फाइलेरिया समूह के सदस्य रघुवीर प्रसाद और महेंद्र सिंह ने भी बताया की कैसे इन्होने फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन नहीं किया और आज इस बीमारी के दर्द के साथ ही जी रहे हैं। उन्होंने बताया कि एक बार हाथीपांव हो गया तो ठीक नहीं होता है। सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम के दौरान साल में एक बार लगातार तीन साल तक फाइलेरिया से बचाव की दवा खा कर इससे बचा जा सकता है ।
मिली उपयोगी जानकारी : उन्मुखीकरण कार्यशाला की प्रतिभागी स्नातक की छात्रा ज़नीर ने बताया कि पहली बार एचआईवी के साथ फाइलेरिया के बारे में भी उपयोगी जानकारियां मिली हैं। इन संदेशों को समुदाय तक पहुंचाने का पूरा प्रयास होगा । इलाज से अधिक बचाव पर जोर देना है ।
इस दौरान सहयोगी संस्था यूनिसेफ के डीएमसी फ़ुजैल अहमद सिद्दीकी, सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च के प्रतिनिधि प्रमुख रूप से मौजूद रहे।