- शहरी समन्वय समिति की बैठक में स्वास्थ्य सेवा सुदृढ़ीकरण पर विस्तार से हुई चर्चा
गोरखपुर - मातृ शिशु स्वास्थ्य सेवा, परिवार नियोजन कार्यक्रम, संचारी रोगों की रोकथाम और अन्य स्वास्थ्य सेवाओं को शहरी क्षेत्र में मजबूती प्रदान करने में स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) की अहम भूमिका हो सकती है । समुदाय स्तर पर इन समूहों के साथ समन्वय स्थापित कर स्वास्थ्य कार्यक्रमों को सुदृढ़ किया जाए । यह बातें अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी आरसीएच डॉ एके चौधरी ने कहीं । वह बुधवार की शाम को उनके कक्ष में हुई शहरी समन्वय समिति की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।
एसीएमओ आरसीएच ने कहा कि स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को उन अभियानों से भी जोड़ा जाए जिनके तहत प्रोत्साहन राशि का प्रावधान है । समुदाय स्तर पर जब भी कोई बैठक हो, समूह की सदस्यों को भी आमंत्रित किया जाए । शहरी क्षेत्र में विभिन्न समूहों से जुड़ कर करीब बाइस हजार से अधिक महिलाएं काम कर रही हैं जो स्वास्थ्य सेवा सुदृढ़ीकरण में अहम योगदान दे सकती हैं । स्वयंसेवी संस्था पापुलेशन सर्विसेज इंटरनेशन (पीएसआई) इंडिया के सहयोग से हुई इस बैठक में निजी क्षेत्र की मदद से परिवार नियोजन कार्यक्रम को सुदृढ़ करने के बारे में विशेष तौर पर चर्चा हुई ।
डॉ चौधरी ने कहा कि परिवार नियोजन की उपलब्ध सेवाओं के बारे में शहरी स्वास्थ्य केंद्रों और निजी अस्पतालों में परामर्श के पक्ष को मजबूत बनाने की आवश्यकता है । उन्होंने आशा कार्यकर्ता और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के बीच समन्वय मजबूत बना कर काम करने के लिए कहा । निजी अस्पतालों के जरिये परिवार नियोजन की अस्थायी सेवाएं सरकारी प्रावधानों के तहत उपलब्ध कराने के लिए भी कहा गया ।
बैठक में शहरी स्वास्थ्य मिशन के समन्वयक सुरेश सिंह चौहान, चिकित्सक डॉ एके वर्मा, किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम की समन्वयक डॉ अर्चना, क्वालिटी सेल से विजय श्रीवास्तव, टीबी डिपार्टमेंट से धर्मवीर प्रताप सिंह, मिर्जा आफताब बेग, पीएसआई इंडिया संस्था की प्रतिनिधि कृति पाठक, प्रियंका सिंह, आईसीडीएस, एनयूएलएम, फॉग्सी और सीफार के प्रतिनिधिगण भी मौजूद रहे।
हर तीन माह पर होती है बैठक : प्रतिभागी चिकित्सक डॉ एके वर्मा ने बताया कि प्रत्येक तीन माह पर समन्वय समिति की बैठक की जाती है। इसका उद्देश्य स्वास्थ्य और पोषण सेवाओं को मजबूती प्रदान करना है । इस बार भी कार्यक्रम की बाधाओं के बारे में चर्चा हुई और उनके संभावित समाधानों के बारे में भी बात हुई। स्वयं सहायता समूहों का भी योगदान लेने के लिए कहा गया है। इस संबंध में समूहों के साथ समन्वय स्थापित किया जाएगा ।
शहरी स्वास्थ्य सेवा की स्थिति : बारह लाख से अधिक आबादी वाले गोरखपुर शहर को 23 शहरी स्वास्थ्य केंद्रों और 40 क्रियाशील आयुष्मान आरोग्य मंदिर के जरिये स्वास्थ्य सेवाएं दी जा रही हैं। इन सेवाओं से जोड़ने के लिए 335 आशा कार्यकर्ता शहरी क्षेत्र में कार्य कर रही हैं । इन स्वास्थ्य केंद्रों के जरिये प्रसव पूर्व जांच, नियमित टीकाकरण, परिवार नियोजन सेवाएं, बुखार के रोगियों की जांच व इलाज जैसी सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं।