- मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में हुई अन्तर्विभागीय समन्वय की बैठक
- आशा कार्यकर्ता ई कवच पर रिपोर्टिंग के साथ ही मरीज की स्क्रीनिंग के दौरान बनायेंगी आभा आईडी
- एक अप्रैल से संचारी रोग नियंत्रण अभियान, दस अप्रैल से होगी दस्तक अभियान की शुरुआत
कानपुर नगर - जिले में संचारी रोगों का नियंत्रण तभी संभव है जबकि स्वास्थ्य विभाग के साथ अन्य सभी सम्बन्धित विभाग अपने अपने हिस्से के दायित्वों का सम्पूर्ण निर्वहन करें । साथ ही सम्बन्धित विभागों में अन्तर्विभागीय समन्वय होना भी अति आवश्यक है । यह दिशा निर्देश मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) सुधीर कुमार ने शुक्रवार को सरसैया घाट स्थित नवीन सभागार में देर शाम तक चली अन्तर्विभागीय समन्वय की बैठक के दौरान दिये । जिले में एक अप्रैल से प्रस्तावित संचारी रोग नियंत्रण अभियान और दस अप्रैल से प्रस्तावित दस्तक अभियान के बारे में बैठक में विस्तार से चर्चा की गयी।
सीडीओ ने बताया कि संचारी रोग नियंत्रण अभियान में ग्राम्य विकास व पंचायती राज विभाग, आईसीडीएस, शिक्षा विभाग, नगर विकास विभाग, कृषि विभाग, पशुपालन विभाग, स्वच्छ भारत मिशन, दिव्यांग कल्याण विभाग, सूचना विभाग, संस्कृति विभाग और चिकित्सा शिक्षा विभाग एक साथ गतिविधियां करते हैं । स्वास्थ्य विभाग नोडल विभाग की भूमिका में होता है । इस बार के संचारी रोग नियंत्रण अभियान में हीट स्ट्रोक से बचाव के उपाय, मच्छरजनित बीमारियों से बचाव के उपाय और लेप्टोस्पायरोसिस व स्क्रब टाइफस से बचाव के उपायों के बारे में जनजागरूकता फैलाना एवं प्रभावी नियंत्रण के उपाय करना शामिल है ।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ आलोक रंजन ने बताया कि 12 विभागों के सहयोग से विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान चलाया जाएगा। उन्होंने बताया अभियान के दौरान आशा कार्यकर्ता ई कवच पर रिपोर्टिंग के साथ ही मरीज की स्क्रीनिंग के दौरान उनकी आभा आईडी भी क्रिएट करेंगी, साथ ही मरीज को रजिस्ट्रेशन की जानकारी देंगी। आभा आईडी बनने से हर मरीज की स्वास्थ्य कुंडली विभाग के पास रहेगी। इससे मरीजों के उपचार करने में सुविधा रहेगी। स्वास्थ्य विभाग के पास यह भी जानकारी रहेगी कि मरीज का कब और कौन सी बीमारी का इलाज हुआ। उन्होंने बताया विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ अभियान की लगातार मॉनिटरिंग करेंगे। किस विभाग ने क्या और कितना काम किया, इस पर निगाह रखी जाएगी। माइक्रो प्लान के अनुसार ही विभागों को काम करना होगा। सभी विभाग शीघ्र ही अपने माइक्रो प्लान उपलब्ध कराएंगे। विभिन्न बीमारियों के लक्षण वाले मरीजों को सरकारी अस्पताल के इलाज से जोड़ा जाएगा जबकि मच्छरों के घनत्व वाले मकानों में मच्छरों को नष्ट किया जाएगा ।
जिला मलेरिया अधिकारी एके सिंह ने पूर्व में चले अभियानों का फीडबैक साझा किया । दोनों प्रस्तुतियों और फीडबैक के आधार पर सीडीओ ने दिशा निर्देश दिया कि शिक्षा विभाग, आईसीडीएस, पंचायती राज विभाग, कृषि विभाग और नगर निकाय विभाग की भूमिका दोनों अभियानों में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है । बीमारियों की रोकथाम और सुपोषण का संदेश जन जन तक इन अभियानों के जरिये पहुंचाया जाना चाहिए । खासतौर पर दस्तक पखवाड़े के दौरान आशा कार्यकर्ता और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता समन्वय स्थापित करते हुए बुखार पीड़ित लोगों को सूचीबद्ध करें और कुपोषित बच्चों को भी ढूंढ कर स्वास्थ्य सेवा प्रणाली से जोड़ें।
जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया दस्तक अभियान में आशाओं को बताया जाएगा कि घर घर जाकर लोगों से कैसे बात करनी है और किन बीमारियों की स्क्रीनिंग करनी है। मलेरिया अधिकारी ने बताया घर-घर जाकर आशा कार्यकर्ता बुखार, आईएलआई (इन्फ्लूएंजा लाइक इलनेस), क्षय रोग और कुष्ठ रोग के लक्षण युक्त व्यक्तियों के साथ ही कुपोषित बच्चों और मच्छर प्रजनन पाए जाने वाले घरों की भी सूची तैयार करेंगी । इसके साथ ही ऐसे मकानों की सूची तैयार करेंगी, जहां घरों के भीतर मच्छरों का प्रजनन पाया गया हो। प्रतिदिन सभी रिपोर्ट ई-कवच पोर्टल पर अपलोड की जाएगी। उन्होंने बताया अभियान में संक्रमण से बचने व बुखार होने पर “क्या करें, क्या न करें” का प्रमुख स्थानों पर होर्डिंग, बैनर और पोस्टर आदि के माध्यम से प्रचार कराया जाएगा।
इस अवसर पर वेक्टर बार्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम के नोडल अधिकारी डॉ आरपी मिश्रा सहित समस्त विभागों के अधिकारी व अन्य अधिकारी प्रमुख तौर पर मौजूद रहे।