सैकड़ों बच्चों की जिंदगी में खुशियां बिखेर रहा आरबीएसके



  • अब तक करा चुका 315 बच्चों की सफल सर्जरी

लखनऊ - मैं बहुत ही खुश हूँ कि मेरा बच्चा राजू ठीक हो गया है। जनवरी 2023 में उसका जन्म हुआ था। जन्म के बाद  हमें पता चला कि  उसको दिमाग संबंधी बीमारी (न्यूरल ट्यूब डिफ़ेक्ट) है। यह कहना है माल ब्लॉक के देवरी गाँव निवासी रवि का, जो कि पेशे से मजदूर हैं। रवि बताते हैं कि वह मजदूरी करते हैं और दिन का 400 से 500 कमा लेते हैं। रोज काम भी नहीं मिलता। ऐसे में कुछ समझ नहीँ आ रहा था कि क्या करें  लेकिन जब डाक्टर ने राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के बारे में बताया और कहा कि बच्चे का इलाज संभव है और पैसा भी नहीं लगेगा तो कुछ आशा बंधी। आरबीएसके टीम ने जांच कर मेडिकल कॉलेज स्थित डिस्ट्रिक्ट अर्ली इंटरवेंशन(डीईआईसी) सेंटर भेजा। जहां पर बच्चे के पंजीकरण के बाद राम मनोहर लोहिया अस्पताल में दो ऑपरेशन हुए और सफल रहे। ऑपरेशन और अस्पताल में हमारा एक भी पैसा नहीं लगा। आरबीएसके हम जैसे गरीबों के लिए वरदान है। सभी को इसके बारे में जानकारी होनी चाहिये। ऐसे ही रहीमाबाद निवासी नौ  वर्षीय अंश, काकोरी निवासी छह वर्षीय अब्बास (बदला हुआ नाम) भी सफल कहानियों के नायक हैं जो कि जन्मजात हृदय संबंधी बीमारी से ग्रसित थे, जिनका सफल ऑपरेशन हुआ और वह स्वस्थ हो गए। सवा तीन साल के कृष्णा को जन्मजात मोतियाबिंद था जिसका ऑपरेशन हुआ और वह भी ठीक हैं । आरबीएसके की  ऐसी अनेकों कहानियाँ है जिसमें  बच्चों की सफल सर्जरी हुई और वह स्वस्थ हुए।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. मनोज अग्रवाल बताते हैं कि साल 2013 में यह कार्यक्रम शुरू हुआ था। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत संचालित आरबीएसके न केवल बच्चों के जीवन में खुशियां बिखेर रहा है बल्कि परिवार को भी चिंता मुक्त बना रहा है।

आरबीएसके  का उद्देश्य  शून्य से 19  वर्ष के बच्चों में चार प्रकार की विसंगतियों  की जांच कर उनका इलाज करना है। इनको फोर डी भी कहते हैं – डिफ़ेक्ट एट बर्थ, डेफिशिएन्सी, डिजीज, डेव्लपमेंट डिलेज इंक्लुडिंग डिसेबिलिटी यानि किसी भी प्रकार का विकार, बीमारी, कमी और विकलांगता। इस कार्यक्रम के तहत 42 जन्मजात बीमारियों विकारों का इलाज किया जाता है। इन बीमारियों से  प्रभावित बच्चों को आरबीएसके  निःशुल्क सर्जरी सहित प्रभावी उपचार प्रदान कराता है।

आरबीएसके के तहत अब तक जन्मजात गंभीर बीमारियों से ग्रसित  315 बच्चों की सफल सर्जरी की जा चुकी है। जिसमें  न्यूरल ट्यूब डिफ़ेक्ट की 138 सर्जरी राम मनोहर लोहिया अस्पताल के पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग द्वारा की गई हैं। इसके साथ ही कंजनाईटल हार्ट डिजीज(सी एचडी) की 144, क्लब फुट की 14, कंजनाईटल कैटरेक्ट की 19 सफल सर्जरी की जा चुकी है।

 इसके अलावा कटे होंठ तालू  वाले  लगभग 1000 बच्चों की भी सफल सर्जरी कर उनके चेहरे पर मुस्कान लाई गई है । कटे होंठ तालू वाले बच्चों की सर्जरी के लिए स्माइल ट्रेन संस्था का राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के साथ करार है।

सामान्य जन्मजात विकारों में कटे  होंठ तालू, हृदय संबंधी रोग, न्यूरल ट्यूब इफेक्ट, सेरेब्रल पाल्सी, क्लब फुट, डाउन सिंड्रोम सहित 42 जन्मजात बीमारियाँ और विकार हैं। जन्मजात विकार बच्चों को विरासत में या पर्यावरणीय कारकों के कारण हो सकते हैं।

आरबीसके के तहत हर ब्लॉक पर दो मोबाईल टीम होती है जिसमें दो आयुष चिकित्सक,एक फार्मासिस्ट और एक एएनएम होती है। यह टीमें रोस्टर वाइज आंगनबाड़ी केंद्रों और स्कूलों का भ्रमण कर बच्चों की जांच कर विकार,कमी, बीमारी और दिव्यांगता को पहचान कर उनका इलाज सुनिश्चित करवाती हैं। आरबीएसके के तहत बच्चों को अस्पताल ले जाने और लाने के लिए भी वाहन की सुविधा है। जिन बच्चों की सर्जरी होनी होती हैं डीईआईसी के माध्यम से केजीएमयू और आरएमएल  जैसे उच्च स्वास्थ्य सुविधाओं में रिफ़र कर दिया जाता है।

आरबीएसके की सेवाएं उन सभी बच्चों को मिलती हैं जिनका जन्म  सरकारी स्वास्थ्य सुविधा पर हुआ हो, जो आंगनबाड़ी केंद्रों पर पंजीकृत हों और सरकारी स्कूल या सहायता प्राप्त स्कूलों में पढ़ते हों।