टीबी के लक्षणों की जानकारी होना बहुत जरूरी : जिला क्षय रोग अधिकारी



  • विश्व क्षय रोग दिवस पखवाड़ा के तहत 12,654 लोगों को किया गया जागरूक

लखनऊ - राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जनपद में मार्च के द्वितीय सप्ताह में विश्व क्षय रोग दिवस पखवाड़ा आयोजित किया गया था जिसके तहत शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को टीबी के लक्षण, बचाव और उपचार संबंधी जानकारी देने के लिए विभिन्न गतिविधियां आयोजित की जा रही हैं। जिसमे बैठकें, जादू का शो जागरूकता कार्यक्रम आदि प्रमुख हैं।

जिला क्षय रोग अधिकारी डा. ए.के.सिंघल ने बताया कि टीबी उन्मूलन तभी संभव है जब हर व्यक्ति को टीबी के लक्षणों, बचाव और उपचार की जानकारी हो। लोगों को इस बात की जानकारी होना बहुत जरूरी है कि टीबी पूरी तरह से ठीक हो सकती है और केवल फेफड़ों की टीबी संक्रामक है। टीबी के संक्रमण और भ्रांतियों के चलते लोग इसे छुपाते हैं। इसलिए लोगों को सही जानकारी देनी बहुत जरूरी है। जब जानकारी होगी तभी जांच कराएंगे और टीबी की पुष्टि हो पाएगी। लक्षण छुपाने से बीमारी न केवल गंभीर रूप ले लेती है बल्कि अन्य स्वस्थ लोग भी संक्रमित होते हैं।

जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि 10 स्कूलों और नर्सिंग कॉलेजों में जादू के कार्यक्रम आयोजित कर छात्र-छात्राओं को जागरूक किया गया। इसके साथ ही शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के 64 सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त और निजी स्कूलों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर 6342 विद्यार्थियों, शिक्षकों और स्टाफ को जागरूक किया गया। इसके अलावा बाल गृह, नारी गृह, आईटीआई स्थित रेमंड सिलाई केंद्र में भी टीबी को लेकर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित हुआ। इस तरह से विश्व क्षयरोग दिवस पखवाड़ा में एनटीईपी के सदस्यों द्वारा 12,654 लोगों को जागरूक किया गया।

कार्यक्रम के दौरान न केवल टीबी के लक्षणों की जानकारी दी गई बल्कि टीबी के कारणों की भी जानकारी दी गई कि बंद घरों मे रहने वाले,  वायु प्रदूषण वाली जगहों पर रहने वाले और सीलन वाली जगहों पर रहने वाले लोगों की टीबी होने की संभावना अधिक होती है। इसके साथ ही जो लोग, तंबाकू, शराब का सेवन करते हैं, एचआईवी डायबिटीज से पीड़ित हैं,  उन्हें टीबी होने की संभावना अधिक होती हैं | जिनके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है उन्हें भी टीबी होने की संभावना अधिक होती है। टीबी नाखून, बाल और दांतों के इनेमल को छोड़कर कहीं भी हो सकती है । निक्षय पोषण योजना के तहत टीबी के इलाज के दौरान  पोषण के लिए 500 रुपये की राशि रोगी के खाते में भेजी जाती है ।

इसके साथ ही यह भी बताया गया कि टीबी की जांच और उपचार स्वास्थ्य केंद्रों पर निःशुल्क होता है। कार्यक्रमों के दौरान टीबी से संबंधी प्रश्नोत्तरी आयोजित की गईं आर विजेताओं को प्रमाणपत्र और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया । रेमंड सिलाई केंद्र की प्रशिक्षणार्थी शिवानी गुप्ता ने कार्यक्रम के बाद कहा कि उन्हें टीबी के लक्षणों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। अब वह लोगों को इसके बारे में बतायेंगी और किसी में   ऐसे लक्षण दिखेंगे तो उन्हें स्वास्थ्य केंद्र पर जांच कराने के लिए कहेंगे । जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि जनपद में वर्तमान में 12,596 टीबी मरीजों का इलाज चल रहा है ।