- रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में मनाया गया तम्बाकू निषेध जागरूकता दिवस
- वाकाथन के जरिये भी चिकित्सकों व छात्र-छात्राओं ने लोगों को किया जागरूक
लखनऊ । किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में शुक्रवार को विश्व तम्बाकू निषेध दिवस मनाया गया। इस दिवस की इस वर्ष की थीम 'बच्चों को तंबाकू उद्योग के हस्तक्षेप से बचाना' है। इस अवसर पर रोगियों के परिजनों की एक सभा में रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डा. सूर्यकान्त ने बताया कि 16वीं शताब्दी में अकबर के शासनकाल में पुर्तगाली पहली बार तम्बाकू लेकर भारत आये थे, लेकिन सदियां बीत गईं, तम्बाकू व्यापार और उपभोग पर लेश मात्र भी अंकुश नहीं लग पाया है। उन्होंने यह भी बताया कि तम्बाकू के धुएं से 7000 हानिकारक रासायनिक पदार्थ निकलते हैं, जिनमें लगभग 70 ऐसे तत्व पाये जाते हैं जो कि अलग-अलग प्रकार के कैंसर के कारक होते हैं। इसके साथ ही बताया कि तम्बाकू 65 का पैकेज होता है जो कि 40 प्रकार के कैंसर व 25 प्रकार की बीमारियों को जन्म देता है। इसके अलावा केजीएमयू के विभिन्न विभागों के चिकित्सक, पी जी छात्र, नर्सिग एवं पैरामेडिकल के छात्रो ने वाकाथन में शामिल होकर तम्बाकू के दुष्प्रभावों से जुड़े नारे लगाये। तम्बाकू से नाता तोड़ो, स्वास्थ्य से नाता जोड़ो। तम्बाकू क्या देता है, कैंसर जैसी मौत देता है।
डा. सूर्यकान्त ने बताया कि प्रतिवर्ष तम्बाकू एवं धूम्रपान के कुप्रभाव के कारण विश्व में लगभग 80 लाख तथा भारत में 13.5 लाख लोगों की मृत्यु हो जाती है। इस तरह भारत में लगभग 3000 से अधिक लोगों की मृत्यु प्रतिदिन तम्बाकू और इसके उत्पादों के स्वास्थ्य पर होने वाले खतरनाक दुष्प्रभावों के कारण होती है। उत्तर प्रदेश का आंकड़ा देखा जाये तो लगभग 2.5 लाख मौतें प्रतिवर्ष तम्बाकू एवं धूम्रपान के कुप्रभाव के कारण होती हैं। उत्तर प्रदेश में अनुमानतन 5.5 करोड़ वयस्क किसी न किसी प्रकार के तम्बाकू का सेवन करते हैं, जिनमें से 13 से 15 वर्ष के लगभग 40 लाख बच्चे इसके कुप्रभाव से सीधे तौर पर प्रभावित हैं। उन्होंने यह भी बताया कि बीड़ी या सिगरेट का धुआं उसको पीने वाले के फेफडे़ में 30 प्रतिशत जाता है व आस-पास के वातावरण में 70 प्रतिशत रह जाता है। इससे परिवार के लोग और और विशेषकर बच्चे प्रभावित होते हैं, इसे हम परोक्ष धूम्रपान कहते हैं। इस परोक्ष धूम्रपान से यदि गर्भवती महिला प्रभावित होती है तो इसके गर्भ में पल रहे शिशु का विकास रूक सकता है तथा गर्भ के अन्दर शिशु की मृत्यु भी हो सकती है।
डॉ. सूर्यकान्त ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और वैश्विक तंबाकू उद्योग पर निगरानी रखने वाली संस्था स्टॉप द्वारा संयुक्त रूप से शुरू की गई एक नई रिपोर्ट "हुकिंग द नेक्स्ट जेनरेशन" का हवाला देते हुए बताया कि कैसे तंबाकू उद्योग, उत्पादों को डिजाइन करता है, मार्केटिंग अभियानों का आयोजन करता है और दुनिया के युवाओं को नशे की लत की ओर नीतिगत माहौल के तहत ढकेलता है। ऐसे में जहां बच्चे देश का भविष्य हैं तो वहां उन्हें इस तम्बाकू, बीड़ी व सिगरेट के ज़हर से बचाना और भी आवश्यक हो जाता है। ज्ञात रहे कि रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में तम्बाकू उन्मूलन क्लीनिक लम्बे समय से चल रही है।
जागरूकता कार्यक्रम में डा. संतोष कुमार, डा. अजय कुमार वर्मा समेत समस्त जूनियर डाक्टर्स, रोगी व उनके परिजन तथा केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में बने पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन केन्द्र की टीम के सभी सदस्य उपस्थित रहे। सभा के अंत में सभी रोगियों एवं उनके परिवारजनों को अच्छा व पौष्टिक खाने की सलाह के साथ फल का वितरण किया गया।
वाकाथन में शामिल डॉ. रमेश भारती ने कहा कि तम्बाकू पान मशाला से ओरल कैंसर, मुंह का कम खुलना जैसी समस्या पैदा हो जाती है। डॉ. सूर्यकान्त और डॉ. रमेश भारती ने बीडी-सिगरेट व तम्बाकू न सेवन करने की शपथ दिलाई। इस मौके पर उपस्थित लड़कियों ने शपथ में जोड़ा कि वह उसी से शादी करेंगी जो बीडी-सिगरेट या तम्बाकू का सेवन न करता हो ।