- फ़ाइलेरिया परजीवी के प्रसार को रोककर ही, फ़ाइलेरिया का उन्मूलन सुनिश्चित होगा : डॉ वी .के. चौधरी, वरिष्ठ क्षेत्रीय निदेशक, एनसीवीबीडीसी , भारत सरकार
- राष्ट्रीय सेवा योजना की टीम के सहयोग से 100 प्रतिशत लाभार्थियों को फ़ाइलेरिया रोधी दवाएं खिलाने का लक्ष्य पाना आसान होगा : डॉ. ए. के. चौधरी, संयुक्त निदेशक एवं राज्य कार्यक्रम अधिकारी, फ़ाइलेरिया
- सेवा ही हमारा मूलमंत्र, सेवा ही हमारा संकल्प है , हाथीपांव मुक्त भारत ही हमारा लक्ष्य है : राज्य राष्ट्रीय सेवा योजना अधिकारी डॉ. मंजू सिंह
लखनऊ। प्रदेश सरकार फ़ाइलेरिया उन्मूलन के लिए प्रत्येक स्तर पर हरसंभव प्रयास कर रही है और इसीलिए फ़ाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत आयोजित किये जाने वाले एमडीए कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए अन्य विभागों के साथ समन्वय बनाकर कार्य कर रही है | इसी क्रम में मंगलवार को लखनऊ में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग एवं प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल द्वारा युवा मामले एवं खेल मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा संचालित राष्ट्रीय सेवा योजना, उत्तर प्रदेश के 27 जनपदों के 54 कार्यक्रम अधिकारियों एवं 10 कार्यक्रम समन्वयकों का फ़ाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम पर उन्मुखीकरण किया गया ।
एमडीए कार्यक्रम में राष्ट्रीय सेवा योजना की भूमिका महत्वपूर्ण : राष्ट्रीय सेवा योजना का उद्देश्य सेवा के माध्यम से शिक्षा है । इनका आदर्श वाक्य है “ नॉट मी, बट यू” । एक राष्ट्रीय सेवा योजना का स्वयंसेवी, स्वयं से पहले समुदाय को स्थान देता है । फ़ाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के लिए ऐसे ही सेवा भाव की आवश्यकता है । इसीलिए, फ़ाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत आयोजित होने वाले एमडीए कार्यक्रम में राष्ट्रीय सेवा योजना की टीम की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है ।
आज के कार्यक्रम में राज्य राष्ट्रीय सेवा योजना अधिकारी डॉ. मंजू सिंह ने कहा कि सेवा ही हमारा मूलमंत्र, सेवा ही हमारा संकल्प है , हाथीपांव मुक्त भारत ही हमारा लक्ष्य है । इसके बाद उन्होंने बताया कि मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम में राष्ट्रीय सेवा योजना की टीम गत अगस्त 2023 से सहयोग कर रही है और समुदाय में फ़ाइलेरिया जैसी गंभीर बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक कर रहें हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि एमडीए कार्यक्रम के दौरान सभी लाभार्थी स्वास्थ्यकर्मियों के सामने ही फ़ाइलेरिया रोधी दवाएं खाएं ।
इस अवसर पर डॉ वी .के. चौधरी, वरिष्ठ क्षेत्रीय निदेशक, एनसीवीबीडीसी, भारत सरकार ने बताया कि भारत सरकार की फ़ाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम में मुख्य रूप से 2 रणनीति है । मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन, यानि फ़ाइलेरिया से बचाव के लिए 2 दवाओं डीईसी और अलबंडाज़ोल और 3 दवाओं डीईसी, अलबंडाज़ोल और आईवरमेकटिन फ़ाइलेरिया रोधी दवाओं का प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों के सामने ही सेवन करवाना और मोर्बिडिटी मैनेजमेंट एंड डिसेबिलिटी प्रिवेंशन (एम.एम.डी.पी.) यानि रुग्णता प्रबंधन एवं विकलांगता की रोकथाम द्वारा लिम्फेडेमा से संक्रमित व्यक्तियों की देखभाल एवं हाइड्रोसील के मरीजो का समुचित इलाज प्रदान किया जा रहा है। उन्होंने सुझाव दिया कि अगर फ़ाइलेरिया के परजीवी का प्रसार रोक दिया जाये तो फ़ाइलेरिया रोग का उन्मूलन सुनिश्चित होगा । पूरे प्रयास करें कि अपने आस-पास मच्छर पनपने ही न दें ।
डॉ. ए. के. चौधरी, संयुक्त निदेशक एवं राज्य कार्यक्रम अधिकारी, फ़ाइलेरिया ने बताया कि इस रोग से लोगों को सुरक्षित रखने के लिए साल में 2 चरणों में मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन आयोजित किये जाते हैं | इसी क्रम में प्रदेश सरकार द्वारा फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत 10 अगस्त से 27 जनपदों के 340 चिन्हित ब्लॉक में मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन अभियान चलाया जा रहा है जिनमें से 17 जनपदों फर्रुखाबाद, इटावा, औरैया, कन्नौज, बहराइच, श्रावस्ती, गोंडा, बलरामपुर, बस्ती, संतकबीर नगर, सिद्धार्थनगर, महराजगंज, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, गाजीपुर और सुल्तानपुर के चिन्हित ब्लाक में दो दवा यानी डीईसी और अल्बेंडाजोल के साथ तथा 10 जनपदों लखीमपुर-खीरी, सीतापुर, हरदोई, कानपुर नगर, कानपुर देहात, फतेहपुर, रायबरेली, कौशाम्बी, चंदौली और मिर्जापुर के चिन्हित ब्लाक में तीन दवा यानी डीईसी, अल्बेंडाजोल और आइवरमेक्टिन के साथ मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन अभियान चलाया जा रहा है। इस दौरान प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा समुदाय के लगभग 7 करोड़ 68 लाख लाभार्थियों को बूथ एवं घर घर जा कर निःशुल्क फाइलेरिया रोधी दवाइयाँ खिलाई जायेगी। ये दवायें पूरी तरह से सुरक्षित हैं। हमें याद रखना है कि यह दवायें खाली पेट नहीं खानी हैं और सभी लाभार्थियों को स्वास्थ्यकर्मी के सामने ही दवाओं का सेवन करना है। सामान्य लोगों को इन दवाओं के खाने से किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव नहीं होते हैं और अगर किसी को दवा खाने के बाद उल्टी, चक्कर, खुजली या जी मिचलाने जैसे लक्षण होते हैं तो यह इस बात का प्रतीक हैं कि उस व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के परजीवी मौजूद हैं, जोकि दवा खाने के बाद परजीवियों के मरने के कारण उत्पन्न होते हैं । उन्होंने कहा कि कार्यक्रम के दौरान किसी लाभार्थी को दवा सेवन के पश्चात किसी प्रकार की कोई कठिनाई प्रतीत होती है तो उससे निपटने के लिए हर ब्लॉक में रैपिड रेस्पोंस टीम तैनात रहेगी । उन्होंने यह भी बताया कि यदि समुदाय के सभी लोग 5 साल तक लगातार साल में केवल 1 बार फाइलेरिया रोधी दवाओ का सेवन करे तो प्रदेश से फाइलेरिया का उन्मूलन संभव है