- पहली बार दो माह तक चलाया जा रहा है डायरिया रोको अभियान, बचाव में जनजागरूकता अहम
- देश में हर साल पचास हजार बच्चों की मौत का कारण है डायरिया
गोरखपुर - बच्चों को दस्त आने पर की गयी लापरवाही उनके लिए जानलेवा साबित हो सकती है । किसी के भी बच्चे को दस्त आ रहा है तो वह आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता से सम्पर्क कर ओआरएस और जिंक की गोलियां प्राप्त कर सकता है। यह दोनों चीजें दस्त से रक्षा में कारगर है। यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने दी।
उन्होंने बताया कि पहली बार शासन के निर्देश पर दो माह तक डायरिया रोको अभियान चलाया जा रहा है । इसमें लोगों को डायरिया के प्रति जागरूक करने के साथ साथ आशा और आंगनबाड़ी को निर्देश दिया गया है कि जिन घरों में बच्चे हैं, ऐसे प्रत्येक घर में ओआरएस का दो पैकेट जरूर दें। जिन घरों में दस्त पीड़ित बच्चें हैं वहां ओआरएस के साथ जिंक की गोलियां भी दी जानी हैं।
भारत सरकार के मृत्यु के कारणों से संबंधित एक आंकड़े के मुताबिक हर साल डायरिया से भारत में पांच साल से कम उम्र के करीब 50000 बच्चों की मौत हो जाती है। यह देश में कम उम्र वर्ग के बच्चों में होने वाली मौतों का 5.8 फीसदी है। इन मौतों को थोड़ी सी सतर्कता और सावधानी बरत कर रोका जा सकता है। अभियान का उद्देश्य लोगों को सतर्कता का संदेश देने के साथ साथ सेवा भी मुहैय्या कराना है। यह एक जुलाई को शुरू हुआ था और 31 अगस्त तक चलेगा।
सीएमओ ने बताया कि स्तनपान करने वाले शिशु जब तीन से अधिक बार ऐसा मल त्याग करते हैं जिनमें पानी की मात्रा अधिक हो तो इसे दस्त कह सकते हैं। सामान्य दस्त का प्रबंधन ओआरएस के घोल और जिंक की गोलियों के उचित मात्रा में सेवन से हो सकता है, लेकिन अगर खूनी दस्त या 14 से अधिक दिनों का लगातार दस्त हो तो तुरंत अस्पताल पहुंचना चाहिए। दस्त शुरू होते ही बच्चों को ओआरएस दिया जाना चाहिए। साथ ही दो माह से छह माह तक के बच्चों को जिंक की आधी गोली (10 मिलीग्राम) और छह माह से पांच वर्ष तक के बच्चों को 20 मिलीग्राम की एक गोली देनी होती है । दस्त के दौरान बच्चे का स्तनपान और पूरक आहार बंद नहीं करना है। दस्त पीड़ित बच्चों का शौच शौचालय में ही निस्तारित किया जाना चाहिए और साथ में अभिभावक को साबुन पानी से हाथ धुलना आवश्यक है। ओआरएस के साथ जिंक की गोली 14 दिनों तक दी जानी चाहिए।
डॉ दूबे ने बताया कि ओआरएस और जिंक देने के बावजूद अगर बच्चे की तबीयत खराब है तो उसे तुरंत नजदीकी सरकारी अस्पताल में दिखाना जरूरी है। खासतौर से तब, जबकि बच्चे ने स्तनपान बंद कर दिया हो, वह कुछ भी खा या पी नहीं रहा हो और उसे बुखार है या फिर मल के साथ खून आ रहा है। दस्त के दौरान बच्चों को ऊपर से चीनी मिला कर फलों का रस न दें, सॉफ्ट ड्रिंक न दें, काफी, चाय या ग्लूकोज तो बिल्कुल ही नहीं देना चाहिए। बच्चों को ओआरएस का घोल साफ व उबले हुए पानी को ठंडा कर उसमें बना कर देना चाहिए। जिंक की गोली मां के दूध या फिर साफ पानी में मिला कर दिया जाना चाहिए।
मिथकों का शिकार हो जाते हैं लोग : जिला महिला अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक और वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ जय कुमार का कहना है कि दस्त के प्रति समाज में एक मिथक यह है कि जब बच्चों को दांत आने लगता है तो ऐसा होना स्वाभाविक है। जबकि यह बात सही नहीं है और न ही इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण है । बच्चा जब भी कोई दूषित चीज खा लेता है या दूषित जल का सेवन कर लेता है, गंदे खिलौने मुंह में डालता है तो उसके डायरिया से संक्रमित होने की आशंका बढ़ जाती है। डायरिया एक सामान्य बीमारी है जिसे त्वरित हस्तक्षेप से नियंत्रित किया जा सकता है। पानी उबाल कर पानी चाहिए, उसे ढक कर रखना चाहिए और खाने पीने की हर चीज ढक कर रखी जाए तो इसके प्रसार को रोका जा सकता है।
दस्त से ऐसे होगा बचाव :
- बच्चों को स्तनपान कराने और भोजन कराने से पूर्व हाथों को अच्छी तरह से धोएं।
- खाना बनाने, खिलाने, परोसने से पहले और कोई भी गंदी चीज छूने के बाद हाथ जरूर धोएं।
- बच्चों का शौच और डायपर इधर उधर न फेकें।
- बच्चों को भी शौच के बाद हाथ धोना सिखाएं।
- दूषित और काफी देर से खुले में रखी चीजें न खाएं।
- बरसात के मौसम में पानी की टंकी में क्लोरिन की गोलियां अवश्य डालें।