विश्व स्तनपान सप्ताह के उपलक्ष्य में संगोष्ठी आयोजित



लखनऊ । माँ के दूध से न केवल शिशु शारीरिक रूप से स्वस्थ होता है बल्कि उससे मानसिक व भावनात्मक विकास भी होता है। इसीलिए शिशु  के लिये माँ का दूध अमृत के समान है। यह जानकारी हिन्द आयुर्विज्ञान संस्थान और भारतीय बालरोग अकादमी द्वारा आयोजित संगोष्ठी में लखनऊ बालरोग अकादमी के सचिव डॉ.उत्कर्ष बंसल ने दी।  उन्होंने कहा कि शोध में पाया गया है कि जो शिशु माँ का दूध पीते हैं उनका मानसिक विकास (आई.क्यू.) अधिक होता है। प्राचार्य डॉ. दीपक मालवीय ने कहा हर मां को स्तनपान में सहायता की जानी चाहिए और कामकाजी माताओं के लिए कार्यस्थल पर स्तनपान कक्ष होने चाहिये।

इस दौरान डॉ. तनिमा सिंघल ने बच्चे को दूध पिलाने की विधि को और कैसे मां और शिशु की मदद करें के बारे में सिखाया। डॉ.प्रगति सिसोदिया के अनुसार बच्चे के बेहतर स्वास्थ्य के लिए नवजात को प्रसव के तुरंत बाद स्तनपान कराना चाहिए। स्तनपान प्राकृतिक है और पूरे परिवार की जिम्मेदारी है। डॉ. अंजना अग्रवाल के अनुसार स्तनपान कराने के लिए महिलाओं को गर्भावस्था में ही प्रेरित करना है। ऐसी प्रसूति जिन्हें सिजेरियन से प्रसव हुआ हो उन्हें भी शीघ्र स्तनपान कराना चाहिए।  डॉ.सोनिया लूथरा के अनुसार स्तनपान से माँ में स्तन और ओवरी कैंसर की संभावना कम हो जाती है। डॉ. एस.एन.एस.यादव के अनुसार पहले तीन दिन माँ के दूध कोलेस्ट्रम होता जिसमे सबसे ज्यादा एंटीबाडी होती है। यह बच्चे को इंफेक्शन से बचाता है। डॉ. पी. कांगेस्वरी ने स्तनपान को स्वस्थ जीवन की नींव बताया। डॉ.आर.आहूजा के अनुसार शिशु को छह माह तक सिर्फ माँ का दूध पिलाना चाहिए।

कार्यक्रम में डॉ. जी.के.सिंह, डॉ. नीरज, डॉ. पूजा, डॉ. प्रभात, डॉ. अंकित, डॉ. निवेदिता, डॉ विजय, डॉ.वेंकट, डॉ. मीनाक्षी, डॉ. दिव्य राज, डॉ.दिव्या, डॉ.अखिल, डॉ.सूरज, डॉ. ईशान, डॉ. प्रमथेश, डॉ. निर्मला, डॉ. सरथ, डॉ. कुंदन, डॉ. ईशा, डॉ.अर्चना, ग़ज़ल, अनुष्का, सिमरन, नरेंद्र और अन्य चिकित्सक मौजूद थे।