- पीएसआई इंडिया व केनव्यू के सहयोग से चलाया जा रहा कार्यक्रम
मुजफ्फरनगर । शून्य से पांच साल तक के बच्चों को डायरिया से सुरक्षित बनाने को लेकर जनपद में एक अनूठी जन स्वास्थ्य पहल की गयी है। इसके तहत स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में पापुलेशन सर्विसेज इंटरनेशनल-इंडिया (पीएसआई-इंडिया) और केनव्यू के सहयोग से “डायरिया से डर नहीं” कार्यक्रम का मंगलवार को एक स्थानीय होटल में भव्य शुभारम्भ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुनील तेवतिया ने की। उन्होंने कहा कि जन-जन में जागरूकता की अलख जगाते हुए जनपद से डायरिया को दूर भगाएंगे।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि शून्य से पांच साल तक के बच्चों की कुल मौत का एक प्रमुख कारण डायरिया भी है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस पर नियंत्रण के लिए स्टॉप डायरिया कैम्पेन (डायरिया रोको अभियान) चलाया जा रहा है, जिसे “डायरिया से डर नहीं” कार्यक्रम से और बल मिलेगा। इसके तहत समुदाय में जागरूकता को बढ़ावा दिया जाएगा और व्यवहार परिवर्तन को प्रोत्साहित किया जाएगा ताकि दस्त प्रबन्धन को पूरी तरह प्रभावी बनाया जा सके। आशा कार्यकर्ताओं, सेवा प्रदाताओं और देखभालकर्ताओं का क्षमतावर्धन किया जाएगा जो कि दस्त प्रबन्धन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा बच्चों में ओआरएस और जिंक का वितरण सुनिश्चित कराया जाएगा, डायरिया की शीघ्र पहचान करने के साथ ही मामलों के उच्च कवरेज और प्रबन्धन को बढ़ावा दिया जाएगा।
“डायरिया से डर नहीं” कार्यक्रम के बारे में विस्तार से बताते हुए सीनियर मैनेजर प्रोग्राम अनिल द्विवेदी ने बताया कि आशा, आंगनबाड़ी, एएनएम और महिला आरोग्य समितियों के सदस्यों को डायरिया के प्रमुख बिदुओं के बारे में प्रशिक्षित करने के साथ ही ओआरएस की महत्ता, शीघ्र स्तनपान और छह माह तक सिर्फ स्तनपान के फायदे के बारे में ट्रेनिंग दी जाएगी। हाथ धुलने की सही विधि के बारे में प्रशिक्षित किया जाएगा। दीवार लेखन के माध्यम से जन-जन तक डायरिया से बचाव के प्रमुख सन्देश पहुंचाए जायेंगे। “डायरिया से डर नहीं” कार्यक्रम से बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार (आईसीडीएस) और शिक्षा विभाग के साथ ही अन्य विभागों को भी जोड़ा जाएगा। निजी क्षेत्र के चिकित्सकों और अस्पतालों को भी कार्यक्रम से जोड़ा जायेगा।
इस मौके पर जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. अलका सिंह ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रमाणित ओआरएस को दस्त के इलाज के लिए गोल्ड स्टैण्डर्ड माना गया है। डायरिया की शुरुआत में ही पहचान कर ओआरएस का घोल दिया जाए तो गंभीर स्थिति तक पहुँचने से बच्चे को बचाया जा सकता है। 24 घंटे में यदि तीन बार पतली दस्त आ रही है तो यह डायरिया के लक्षण हो सकते हैं और यह लम्बे समय तक बनी रहे तो यह गंभीर डायरिया का रूप ले सकती है। निजी क्षेत्र में अब लिक्विड के रूप में निर्मित ओआरएस का घोल उपलब्ध है। विश्व स्वास्थ्य संगठन से एसएमओ डॉ. ईशा ने रोटा वायरस वैक्सीन के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि शिशु को जन्म के तुरंत बाद स्तनपान कराएँ और छह माह तक बच्चे को मां के दूध के अलावा कोई भी बाहरी चीज न दें। मुजफ्फरनगर में इस पहल के शुभारंभ पर नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अजय साही ने कहा कि डायरिया को रोकने के लिए स्वच्छता पर ध्यान देना भी जरूरी है। पीएसआई इंडिया से मैनेजर प्रोग्राम कोमल ने उत्तर प्रदेश के 13 जिलों मे चल रहे डायरिया से डर नहीं कार्यक्रम के बारे में जानकारी उपलब्ध करायी। मुजफ्फरनगर में इस पहल के शुभारंभ पर केनव्यू के सेल्फ केयर बिजनेस यूनिट हेड, प्रशांत शिंदे ने कहा कि सरकार के डायरिया रोको अभियान को मजबूती देने के उद्देश्य से 'डायरिया से डर नहीं’ की एक बहुवर्षीय पहल की गई है। इस पहल का उद्देश्य पांच साल से कम उम्र के कमजोर बच्चों को एकीकृत दस्त प्रबंधन कार्यक्रम के माध्यम से सुरक्षित बनाना है। इसमें ओआरएस के कवरेज के विस्तार पर भी पूरा ध्यान दिया जाएगा।
कार्यक्रम में सहभागिता के लिए डॉ. दिव्यांक दत्ता ने सभी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। मौके पर अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अशोक, जिला स्वास्थ्य शिक्षा और सूचना अधिकारी डॉ. गीतांजलि, अर्बन हेल्थ कोआर्डिनेटर प्रवीण पाल, पीएसआई इंडिया से भारती रावत, शोभित सक्सेना, आदि उपस्थित रहे।