विश्व शौचालय दिवस पर विशेष - कई खतरनाक बीमारियों को जन्म देते हैं गंदे शौचालय



- महिलाओं में होती है यूटीआई नामक बीमारी

लखनऊ, 19 नवंबर - आप शायद इस बात से अनजान  हों कि गंदे शौचालय हैजा और डायरिया जैसी तमाम तरह की खतरनाक बीमारियों को जन्म  देते हैं। इसके अलावा घर में शौचालय का न होना भी कई तरह की बीमारियों को न्यौता देता है। विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालय न होने अथवा उनकी सफाई व्यवस्था बेहतर न होने से महिलाएं कई बीमारियों से ग्रसित  हो जाती हैं। ऐसी ही एक बीमारी यूरीनरी ट्रेक्ट इंफेक्शन (यूटीआई) है। इसकी प्रमुख वजह पेशाब लगने के बावजूद बहुत देर तक शौचालय न जाना है।

गंदे शौचालय के इस्तेमाल से संक्रमण का खतरा बढ़ता है। शौचालय की खराब सफाई व्यवस्था के कारण तमाम महिलाएं यूटीआई से पीड़ित होती हैं, वहीं शहरी और खासकर कामकाजी महिलाएं भी गंदे सार्वजनिक शौचालयों के कारण इस समस्या से ग्रसित  हो रही हैं। यदि शौचालय गंदा है तो वहां माैजूद कीटाणुओं से पीलिया, लीवर, आंत्रशोध, डायरिया, हैजा, कालरा जैसी बीमारियों के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। वहीं दूसरी तरफ खुले में शौच पर मक्खी आदि के बैठने से डायरिया, कालरा, हैजा जैसी बीमारियों की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। इसके अलावा विशेष परिस्थितियों में यूरिन को देर तक रोकने से उसका कुप्रभाव सीधे गुर्दा, लीवर और आंत पर पड़ता है।

यूटीआई बीमारी महिलाओं और पुरुषों दोनों में होती है, लेकिन पुरुषों की तुलना में महिलाएं इसकी ज्यादा शिकार हैं। यूटीआई को महिलाओं में सबसे आम बैक्टीरियल इंफेक्शन माना जाता है। लगभग 50 से 60 प्रतिशत महिलाएं अपने जीवन में कम-से-कम एक बार यूटीआई से पीड़ित होती हैं। स्वच्छ सार्वजनिक शौचालयों का अभाव और कार्यस्थलों पर भी ऐसे टॉयलेट का अभाव एक बड़ी समस्या है। इससे होने वाली बीमारियों के बारे में  स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. नीलम सिंह कहती हैं कि जो महिलाएं ऑफिस में काम करती हैं या बाहर ट्रैवल करती हैं उन्हें यूरिन लगने पर तुंरत टायलेट का न मिलना बीमारी की तरफ भेजता है। यूरिन लगने पर रोकना पथरी का भी कारण बन सकता है।

यूटीआई के लक्षण : डॉ. नीलम बताती हैं कि बार-बार पेशाब लगना, पेशाब करने के दौरान जलन, बुखार, बदबूदार पेशाब होना और पेशाब का रंग धुंधला या फिर हल्का लाल होना और पेट के निचले हिस्से में दबाव महसूस होना इस बीमारी के प्रमुख लक्षण हैं। यूटीआई के साथ मुख्य समस्या यह होती है कि एक बार ठीक होने के बाद इस संक्रमण के दोबारा होने की आशंका काफी ज्यादा होती है। अमूमन 50 प्रतिशत महिलाओं को एक साल के भीतर दोबारा यह संक्रमण हो जाता है। इसलिए यूटीआई होने पर एंटीबायोटिक का कोर्स पूरा करना जरूरी होता है। साथ ही दवा बंद करने के एक सप्ताह बाद फिर से यूरिन टेस्ट करवाने की सलाह दी जाती है, ताकि दोबारा संक्रमण होने की आशंका को दूर किया जा सके।

ऐसे बचें यूटीआई से : स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. नीलम सिंह बताती हैं कि पेशाब लगने पर तुरंत शौचालय जाएं। सार्वजनिक शौचालयों के इस्तेमाल के वक्त सतर्कता बरतें। 80 प्रतिशत से ज्यादा मामलों में संक्रमण यहीं से होता है। सार्वजनिक शौचालय का इस्तेमाल करने से पहले और बाद में फ्लश जरूर करें। साथ ही अगर वेस्टर्न शौचालय है तो इस्तेमाल करने से पहले उसकी शीट को साफ करें। रोज 10 गिलास पानी जरूर पिएं। अगर आपको बार-बार संक्रमण हो रहा है तो पानी की मात्रा 10 प्रतिशत बढ़ा दें। अगर आपको खुद में यूटीआई का कोई लक्षण नजर आए तो हर दिन पीने वाले तरल पदार्थों की मात्रा को दोगुना कर दें।