दीपोत्सव-2025: ग्रामीण महिलाओं के हाथों से बने पांच लाख दीयों से जगमगाएगी रामनगरी



महिला सशक्तिकरण को मिलेगा नया आयाम

लखनऊ । दीपोत्सव-2025 की तैयारियों के तहत उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग ने महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण रोजगार को प्रोत्साहित करने के लिए महत्वपूर्ण पहल की है। इस दीप पर्व पर अयोध्या शहर में ग्रामीण महिलाओं द्वारा बनाए गए लगभग पांच लाख पारंपरिक मिट्टी के दीयों से रामनगरी जगमगाएगी। इन दीयों की रोशनी दीपोत्सव की दिव्यता को बढ़ाएगी और ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में भी अहम योगदान देगी। यह जानकारी पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने दी।

पर्यटन मंत्री ने बताया कि विभाग का प्रयास है कि दीपोत्सव सिर्फ रोशनी का उत्सव न रहकर सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण का प्रतीक बने। ग्रामीण महिलाएं इस पहल की वास्तविक प्रतिमूर्ति हैं। उन्होंने कहा कि ग्रामीण पर्यटन एवं होम स्टे विकास कार्यक्रम के तहत महिलाओं को दीयों का प्रशिक्षण दिया गया और 15 अक्टूबर से ये हस्तनिर्मित दीये अयोध्या पहुंचने लगे हैं।अयोध्या के गौराछार, रामपुरवा और बाराबंकी जिले के भगहर झील क्षेत्र के गांवों की महिलाओं ने दीपोत्सव-2025 को ध्यान में रखते हुए लगभग पांच लाख दीयों का निर्माण किया है। ये हस्तनिर्मित दीये न केवल रामनगरी को दीपोत्सव के अवसर पर और अधिक आकर्षक बनाएंगे, बल्कि दीप निर्माण से जुड़े परिवारों के लिए यह साल भर की आमदनी का महत्वपूर्ण साधन भी बनेगा।

दीपोत्सव के दौरान अयोध्या के राम कथा पार्क में ग्रामीण महिलाओं को अपने दीयों और हस्तशिल्प उत्पादों की बिक्री के लिए निशुल्क स्टॉल प्रदान किए जाएंगे। इस पहल के माध्यम से हजारों पर्यटक और श्रद्धालु अयोध्या के दिव्य दीपोत्सव का आनंद लेने के साथ-साथ उत्तर प्रदेश की ग्रामीण परंपराओं और शिल्पकला के साक्षी भी बनेंगे।जयवीर सिंह ने कहा कि दीपोत्सव केवल भक्ति और सांस्कृतिक आस्था का पर्व नहीं है, बल्कि यह ग्रामीण सशक्तिकरण और आत्मनिर्भर भारत की भावना को भी प्रस्तुत करता है।

इस वर्ष पर्यटन विभाग ने दीपोत्सव को ग्रामीण पर्यटन से जोड़कर ग्रामीण महिलाओं की मेहनत और हुनर को वैश्विक स्तर पर मान्यता दिलाने की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं।उन्होंने बताया कि इस पहल से ग्रामीण अंचलों में रोजगार, स्वाभिमान और पहचान बढ़ेगी। प्रदेश सरकार का उद्देश्य है कि उत्तर प्रदेश के प्रत्येक जनपद की पारंपरिक कला और संस्कृति को पर्यटन के माध्यम से विश्व स्तर पर प्रस्तुत किया जाए, ताकि स्थानीय कारीगर और महिलाएं अपनी कला और प्रतिभा के लिए विशिष्ट पहचान प्राप्त कर सकें।दीपोत्सव-2025 के इस आयोजन से रामनगरी की पवित्रता और सौंदर्य तो बढ़ेगा ही, साथ ही ग्रामीण महिलाओं की मेहनत, हुनर और आर्थिक सशक्तिकरण को भी एक नया आयाम मिलेगा।