प्यार के दो बोल मरीज के दर्द पर लगाते हैं मरहम



  • अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस  (12 मई) पर विशेष

लखनऊ । आमजन के लिए चिकित्सक जहां भगवान का रूप होते हैं तो नर्सें भी भगवान से कम नहीं हैं । उनके बिना अस्पताल की कल्पना करना भी बेकार हैं। वह लगन, मेहनत और आत्मीयता के साथ मरीजों की सेवा और उपचार करती हैं।

ऐसी ही नर्स हैं – अवन्तिका वर्मा। वह केजीएमयू के क्वीन मेरी अस्पताल के मातृ शिशु  (जच्चा - बच्चा) वार्ड में साल 2021 से असिस्टेंट नर्स सुप्रिटेंडेंट हैं । साल 2022 में भी बेहतर काम करने के लिए केजीएमयू के कुलपति द्वारा उन्हें प्रशस्ति पत्र मिला है। वह नर्सिंग के पेशे में साल 2005 से हैं। शुरू से ही उन्होंने जच्चा –बच्चा वार्ड में काम किया है। मातृ शिशु देखभाल, लेबर रूम,  मिल्क बैंक और कंगारू मदर केयर से संबंधित  प्रशिक्षण भी उन्होंने लिया है । वह (केएमसी) की प्रमुख हैं।

पिता और चाचा से मिली प्रेरणा : अवन्तिका बताती हैं कि उनके पिता जी और चाचा जी स्वास्थ्य के क्षेत्र में ही कार्यरत थे। उन्हें देखते देखते बड़ी हुई। जब परिवार को बताया कि वह नर्सिंग के पेशे में जाना चाहती हैं तो सभी ने प्रोत्साहित किया। परिवार का पूरा सहयोग मिला।

19 साल का है अनुभव : अवन्तिका को इस क्षेत्र में काम करते हुए लगभग 19 साल हो गए हैं |इस 19 सालों में अनगिनत मरीजों के साथ काम किया। वह शुरू से ही जच्चा-बच्चा वार्ड में हैं।

अपनों ने छोड़ा लेकिन अवन्तिका ने निभाया अपना फर्ज  : अवन्तिका बताता हैं कि यहाँ पर बहिउत से ऐसे मरीज भी आते हैं जिनको उनके रिश्तेदारों ने छोड़ दिया होता है या रिशतेदार उन्हें यहाँ छोड़कर चले  जाते हैं।  ऐसी हि एक महिला के बारे में बताती हैं कि मानसिक रूप से कमजोर गर्भवती थी जो कि यहां लायी गई । उसकी देख रेख,  जाँचें सभी मैंने की। वह पूरे वार्ड में घूमा करती थी। उसका खान-पान, कपड़े और अन्य जरूरत की चीजें हम सभी नर्सें मिलकर मुहैया कराते थे। सभी के सहयोग से उसने स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया जिसे बाद में बाल गृह भेज दिया गया। जब उसका बच्चा यहाँ से गया तो मैं ही नहीं पूरा स्टाफ दुखी था क्योंकि उसकी देखभाल सभी ने बड़ी आत्मीयता से की थी।

मरीजों का स्वस्थ होकर मुस्कराना सबसे बड़ी उपलब्धि : अवंतिका कहती हैं कि वह 19 साल के पेशे में उनके लिए सबसे बड़ी उपलब्धि है मरीज का स्वस्थ होकर हंसते मुस्कुराते हुए यहां से वापिस घर जाना। यह दिल को सुकून देता है। मरीज और उसके तीमारदार जो आशीर्वाद देते हैं वह ही कहीं न कहीं हमें और बेहतर काम करने के लिए प्रोत्साहित करता है।

चुनौतियों भी हैं लेकिन व्यवहार संतुलित रखें : अवंतिका कहती हैं कि उनके पेशे में चुनौतियाँ भी बहुत हैं। कभी-कभी मरीज का या तीमारदार का व्यवहार सही नही होता है। इसका कारण है उनका  तकलीफ में होना। उन्हें चिकित्सीय प्रक्रिया की जानकारी नहीं होती है ऐसे में उनका संयम बिगड़ जाता है लेकिन हमें संयम नहीं खोना चाहिए और व्यवहार संतुलित रखना चाहिए।

अन्य सभी नर्सों के लिए संदेश : वह अन्य सभी नर्सों को संदेश देना चाहती हैं कि समर्पित होकर  काम  करें तभी परिणाम बेहतर आएंगे। मरीजों के साथ आत्मीयता से बात करें क्योंकि व्यक्ति की आधी तकलीफें तो प्यार से बोलने से ही कम हो जाती हैं।

क्या कहते हैं तीमारदार : क्वीन मेरी के जच्चा बच्चा वार्ड में भर्ती  प्रिया की मां रेनू राठौर कहती हैं कि अवंतिका दीदी का व्यवहार बहुत ही अच्छा है । उन्हें जब भी बुलाओ वह आ जाती हैं और कोई भी समस्या हो उसे सुनती हैं और उसका समाधान निकालती हैं । वह कहती हैं कि मैं अपनी बेटी को अस्पताल में उन्हीं के भरोसे छोड़कर जाती हूं ।

क्या कहती हैं  वरिष्ठ चिकित्सक : क्वीन मेरी की वरिष्ठ महिला रोग विशेषज्ञ और नर्सिंग की प्रमुख डा. सुजाता देव कहती हैं अवन्तिका बहुत ही अच्छी नर्स हैं। वह बहुत ही कुशलता और सौम्य स्वभाव से मरीजों के ठीक होने में न केवल सहायता करती हैं बल्कि लोगों का दिल भी जीत लेती हैं।

डा. सुजाता कहती हैं कि नर्सें स्वास्थ्य तंत्र की रीढ़ की हड्डी हैं। नर्सें मरीजों की देखभाल  और काउंसलिंग करती हैं । वह मरीजों और  तीमारदारों के साथ ज्यादा समय बिताती हैं।

क्यों मनाते हैं अंतर्राष्ट्रीय नर्सेज दिवस ? 12 मई को मशहूर नर्स फ्लोरेन्स नाइटिंगेल का जन्म हुआ था। उनकी याद में हर साल किसी न किसी थीम के साथ अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया मनाया जाता है।

इस साल इस दिवस की थीम है -'Our Nurses-Our Lives, 'The economic power of care'.