- विश्व जनसंख्या दिवस (11 जुलाई) पर विशेष
- ‘युवाओं को एक निष्पक्ष और आशापूर्ण दुनिया में अपने मनचाहे परिवार की रचना करने के लिए सशक्त बनाना’ थीम पर मनाया जा रहा विश्व जनसंख्या दिवस
आज विश्व के अधिकतर देश आर्थिक अनिश्चितता, लैंगिक असमानता, जलवायु संकट, स्वास्थ्य चुनौतियों जैसी तमाम समस्याओं से जूझ रहे हैं, फिर भी युवा वर्ग बेहतर प्रदर्शन कर विकास की रफ़्तार को बनाये रखने की हरसम्भव कोशिश में जुटा है। ऐसे में आज दुनिया के सभी देशों को ऐसी नीतियों को तैयार करने व व्यवस्था बनाने की आवश्यकता है जो भविष्य के कर्णधारों को अच्छी शिक्षा, उच्च स्वास्थ्य सेवा, बेहतर कार्य संस्कृति और प्रजनन अधिकारों की पूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित कराने वाली हो। यह भी जरूरी है कि युवाओं के सामने ऐसे सुविधाजनक विकल्प आसानी से मौजूद हों कि वह अपने मनचाहे परिवार के आकार के बारे में स्वतंत्र रूप से निर्णय ले सकें। इस विश्व जनसंख्या दिवस पर हमें तमाम युवाओं पर ध्यान केन्द्रित करने के साथ ही उनको परिवार की रूपरेखा तैयार करने के लिए बेहतर विकल्प मौजूद कराना भी सुनिश्चित करना चाहिए। इसी को देखते हुए इस साल विश्व जनसंख्या दिवस की थीम-‘युवाओं को एक निष्पक्ष और आशापूर्ण दुनिया में अपना मनचाहा परिवार बनाने के लिए सशक्त बनाना’ तय की गयी है। यह थीम यह भी सीख देती है कि युवा वर्ग को स्वस्थ, सुखी और समृद्ध भारत के निर्माण में अनवरत संलग्न रहने के अनुकूल वातावरण प्रदान करना हम सभी की बड़ी जिम्मेदारी है।
युवा वर्ग भी स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर खुलकर हर हाल में आपस में बात करें। पति-पत्नी आपस में बात करें कि उन्हें कब और कितने बच्चे चाहिए और बच्चों के जन्म में अंतर रखने के लिए किस साधन को कब अपनाना बेहतर होगा। यह सुविधाएँ किस तरह के सुविधा केंद्र से प्राप्त की जा सकती हैं। इस तरह खुद के साथ घर-परिवार की बेहतरी और माँ-बच्चे की अच्छी सेहत व खुशहाल भविष्य के लिए जरूर सोच-समझकर ही कोई फैसला लें। परिवार नियोजन में युवा दम्पति अहम भूमिका निभा सकते हैं । इसके लिए जरूरी है कि वह शुरू के दो-तीन साल जरूर परिवार को बढ़ाने से बचें क्योंकि यह वह समय होता है जब वह एक-दूसरे को भलीभांति समझें। आर्थिक रूप से भी अपने को मजबूत बनायें फिर परिवार बढ़ाने के बारे में पति-पत्नी आपस में बात करें और परिवार के बड़ों की सलाह से ही बच्चे का प्लान करें। परिवार की भी बड़ी जिम्मेदारी बनती है कि शादी के तुरंत बाद बच्चे के लिए दम्पति पर दबाव बनाने से बचें।
सरकारी स्वास्थ्य इकाइयों पर बच्चों के जन्म में पर्याप्त अंतर रखने के लिए अस्थायी साधन के तहत ओरल पिल्स, पुरुष कंडोम, आईयूसीडी, त्रैमासिक गर्भ निरोधक इंजेक्शन अंतरा व हार्मोनल गोली छाया (सैंटोक्रोमान) उपलब्ध हैं। स्वास्थ्य केन्द्रों पर परिवार नियोजन किट (कंडोम बॉक्स) की भी व्यवस्था की गयी है ताकि पुरुषों को बिना झिझक वहां से कंडोम या महिलाओं को अन्य परिवार नियोजन के साधन प्राप्त करने में आसानी हो। इसमें कंडोम के साथ प्रेगनेंसी चेकअप किट और आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियों को भी शामिल किया गया है। इसके अलावा सरकारी स्वास्थ्य इकाइयों पर परिवार नियोजन के स्थायी साधन के तहत महिला व पुरुष नसबंदी (एनएसवी) की सेवा उपलब्ध है, जो कि परिवार पूरा होने पर अपनाई जाने वाली सुरक्षित और कारगर सेवा है। शारीरिक बनावट के मुताबिक़ महिला नसबंदी की अपेक्षा एनएसवी बेहद सरल और सुरक्षित है। इसमें महज कुछ मिनट लगते हैं। एनएसवी के दो-तीन दिन बाद पुरुष अपने काम पर भी आराम से जा सकते हैं जबकि महिलाओं को कम से कम एक हफ्ते तक पूरी तरह से आराम की जरूरत होती है। इसलिए पुरुष यह न सोचें कि परिवार नियोजन या परिवार की सेहत का ख्याल रखना सिर्फ और सिर्फ महिलाओं की जिम्मेदारी है। इसमें वह भी बराबर की जिम्मेदारी निभाएं और परिवार को स्वस्थ व खुशहाल बनाने में भागीदार बनें।
(लेखक पापुलेशन सर्विसेज इंटरनेशनल इंडिया के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर हैं)