“स्वस्थ शुरुआत, आशाजनक भविष्य” थीम पर मनेगा विश्व स्वास्थ्य दिवस - मुकेश कुमार शर्मा
स्वास्थ्य व विकास के बीच गहरा नाता होता है और इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य देश के विकास में अहम भूमिका निभाते हैं। अत: स्वस्थ और विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए आज से ही स्वस्थ स्वास्थ्य व्यवहार और जीवनशैली अपनाने की जरूरत हर किसी को है। स्वस्थ शरीर के बल पर ही इस धरा की हर चुनौतियों का सामना करते हुए अपनी मंजिल को आसानी से हासिल किया जा सकता है। इसीलिए कहा जाता है कि जीवन की सबसे बड़ी पूँजी बेहतर स्वास्थ्य ही है, क्योंकि इसके बगैर हर उपलब्धियां निरर्थक साबित हो जाती हैं। बेहतर स्वास्थ्य के लिए जरूरी बिन्दुओं पर जागरूकता के लिए ही हर साल सात अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है। ज्ञात हो कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) अपने स्थापना दिवस सात अप्रैल को ही विश्व स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाता है। इस साल इस खास दिवस की थीम “ स्वस्थ शुरुआत,आशाजनक भविष्य” तय की गयी है, जो हमें महिलाओं का गर्भावस्था के दौरान से ही खास ख्याल रखने और प्रसव के दौरान और प्रसव के बाद तक उनकी सेहत पर खास निगाह रखकर उनके सुखद भविष्य का निर्माण करने के बारे में जागरूक करती है।
समग्र स्वास्थ्य के लिए जरूरी है कि शिशु के जन्म से पहले ही उसके स्वास्थ्य का ख्याल पूरा घर-परिवार रखे। भ्रूण के गर्भ में आने के साथ ही गर्भवती की सेहत का ख्याल रखना केवल पति ही नहीं बल्कि घर के हर छोटे-बड़े की जिम्मेदारी बन जाती है। गर्भावस्था में पौष्टिक खानपान का ख्याल रखने, पर्याप्त आराम देने के साथ ही समय-समय पर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर परीक्षण कराएं। चिकित्सक के परामर्श के अनुसार आयरन-कैल्शियम की गोलियों का सेवन कराएँ। प्रसव नजदीकी सरकारी स्वास्थ्य केंद्र पर ही कराएँ ताकि किसी तरह की असुविधा का सामना न करना पड़े। प्रसव के बाद 48 घंटे तक अस्पताल में रुककर स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की देखभाल में रहें और परिवार कल्याण के लिए परिवार नियोजन साधनों के बारे में जानें और उनका लाभ उठायें। प्रसव के तीन साल बाद ही महिला का शरीर पूर्ण रूप से दूसरे गर्भ धारण के योग्य बन पाता है, इसलिए दूसरे बच्चे के जन्म में पर्याप्त अंतर रखने के लिए परिवार नियोजन के साधन बहुत ही कारगर और सुरक्षित हैं। इसके अलावा पहले बच्चे की पर्याप्त देखभाल और स्तनपान के लिहाज से भी यह अंतर रखना बहुत जरूरी है क्योंकि कहा जाता है कि “शुरू के दिन हजार- स्वस्थ जीवन के आधार” । इसके अलावा इससे मातृ एवं शिशु मृत्यु दर पर भी नियन्त्रण पाया जा सकता है।
इसके साथ ही इस साल की विश्व स्वास्थ्य दिवस की थीम- ‘स्वस्थ शुरुआत-आशाजनक भविष्य’ हमें यह भी सीख देती है कि आज विकास की तेज रफ़्तार के साथ पर्यावरण का भी ख्याल रखना जरूरी है, प्रकृति के असली गहने जल-जंगल, जमीन और हवा को बचाने के बारे में भी जरूर सोचें, क्योंकि पर्यावरणीय कारणों से आज कई तरह की बीमारियाँ पाँव पसार रहीं हैं और बड़ी तादाद में लोग उनके शिकार हो रहे हैं। हरियाली को बनाये रखने के लिए सघन वृक्षारोपण करें, पानी को व्यर्थ न जाने दें बल्कि जल संरक्षण के अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करें और जमीन की उर्वरा शक्ति को बनाए रखने के लिए प्राकृतिक खादों का ही इस्तेमाल करें।
आज का यह दिवस संकल्प लेने का है कि हम खुद स्वस्थ स्वास्थ्य व्यवहार और जीवन शैली अपनाएंगे और अपनों को भी इसके लिए जरूर प्रेरित करेंगे। स्वस्थ स्वास्थ्य व्यवहार के लिए जरूरी है कि अपनी दिनचर्या को व्यवस्थित करें। धूम्रपान, तम्बाकू और अल्कोहल के सेवन से बचें । शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए घर का बना ताजा भोजन करें, फास्ड फ़ूड पर निर्भर न रहें। घर और आस-पास साफ़-सफाई का पूरा ख्याल रखने के साथ ही भोजन से पहले और शौच के बाद हाथों को अच्छी तरह साबुन-पानी से जरूर धुलें। भोजन में हरी सब्जियों और मौसमी फलों को जरूर शामिल करें। समय से पर्याप्त आराम करें। शारीरिक श्रम जरूर करें जैसे- पैदल चलें, योग-व्यायाम और प्राणायाम करें। तनाव और थकान को दूर भगाने के लिए कुछ वक्त अपनों और परिवार के साथ जरूर बिताएं और कुछ अपनी कहें व कुछ उनकी सुनें। किसी भी तरह की स्वास्थ्य समस्या होने पर नजदीकी सरकारी स्वास्थ्य केंद्र पर ही जाएँ, जहाँ प्रशिक्षित चिकित्सक द्वारा परामर्श प्रदान करने के साथ ही बेहतर जांच व इलाज की सुविधा भी उपलब्ध है ।
(लेखक पापुलेशन सर्विसेज इंटरनेशनल इंडिया के एक्जेक्युटिव डायरेक्टर हैं)