फाइलेरिया से बचाव के लिए दवा का सेवन जरूर करें



  • संक्रमण के पांच  से 15 साल में उभरती है बीमारी
  • स्वास्थ्य कर्मियों का   रुग्णता प्रबंधन एवं दिव्यांगता प्रबंधन (एमएमडीपी) पर प्रशिक्षण

कानपुर नगर - राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत  बुधवार को जनपद के सभी ब्लॉक  के स्वास्थ्य कर्मियों को पाथ संस्था के सहयोग से फाइलेरिया मरीजों के रुग्णता प्रबंधन एवं दिव्यांगता प्रबंधन (एमएमडीपी) के बारे में प्रशिक्षण दिया गया। अब यही प्रशिक्षक ब्लाक स्तर पर और शहरी क्षेत्र में सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों सहित एएनएम, आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देंगे | फाइलेरिया रोगी नेटवर्क के सदस्यों ने रोग प्रबंधन के बारे में जरूरी टिप्स भी दिए ।

जिला मलेरिया अधिकारी एके सिंह ने बताया कि फाइलेरिया एक गंभीर बीमारी है। यह व्यक्ति को जिन्दगी भर के लिए दिव्यांग बना देती है। क्यूलेक्स मच्छर जब फाइलेरिया संक्रमित व्यक्ति को काटने के बाद किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को काटता है तो उसे भी संक्रमित कर देता है।  संक्रमण के लक्षण पांच से 15 साल में उभरकर सामने आते हैं। फाइलेरिया से बचाव के लिए जरूरी है कि साल में एक बार और लगातार पांच साल दवा का सेवन किया जाए | आशा कार्यकर्त्ता घर-घर जाकर यह दवा खिलाती हैं |

उन्होंने कहा कि  सिर्फ दो साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती और गंभीर बीमारी से ग्रसित   को छोड़कर सभी को फाइलेरिया से बचने  के लिये दवा का सेवन करना चाहिये । साथ ही कहा की आप सभी अपने ब्लाक में हर फाइलेरिया मरीज को रोग प्रबंधन के प्रशिक्षण के साथ ही फाइलेरिया किट यानि मॉरबिटी मैनेजमेंट डिसिबेलिटी प्रीवेंशन (एमएमडीपी) किट भी प्रदान करें ।

उप जिला मलेरिया अधिकारी यूपी सिंह ने बताया कि इस रोग को हाथी पांव भी कहते हैं क्योंकि इस स्थिति में पैरों में बहुत ज्यादा सूजन आ जाती है । फाइलेरिया रोग शरीर के हर लटकते हुए अंग में हो सकता है, जैसे कि हाथ, पैर, महिलाओं में स्तन, पुरुषों में अंडकोष  आदि में  | फाइलेरिया ग्रसित अंगों की साफ-सफाई रखने से इंफेक्शन का डर नहीं रहता है और सूजन में भी कमी रहती है,  इस पर ध्यान न देने से अंगों की स्थिति खराब होने लगती हैं, जिससे तकलीफ बढ़ जाती है।

प्रशिक्षण में ब्लॉक कल्याणपुर के गाँव बिसार से नेटवर्क सदस्य महेंद्र और गाँव सचेंडी से नेटवर्क सदस्य राम सनेही , जयशंकर बाजपेयी व अक्षयलाल सोनकर ने बताया कि  फाइलेरिया ग्रसित  मरीजों को अपने अंगों को साबुन से नियमित साफ सफाई करनी चाहिए। इसके साथ ही चिकित्सक द्वारा बताए गए नियमित व्यायाम को करने से सूजन नहीं बढ़ती है और व्यक्ति सामान्य जीवन जी पाता है। उन्होंने व्यायाम करके भी दिखाये और (एमएमडीपी) किट के माध्यम से इसका सही इस्तेमाल भी बताया।

इस मौके पर पाथ संस्था के क्षेत्रीय समन्वयक डॉ. अनिकेत झा, समस्त ब्लाकों के चिकित्सा अधीक्षक, बीसीपीएम, बीपीएम, शहरी मलेरिया व फाईलेरिया निरीक्षक , स्टाफ नर्स समेत कुल 60 लोगों ने प्रतिभाग किया ।