लखनऊ 14 अक्टूबर 2020 - भारतीय बालरोग अकादमी जो भारत के 30000 से अधिक बालरोग विशेषज्ञों का प्रतिनिधित्व करती है, ने कोविड-19 महामारी के दौरान बच्चों के स्वस्थ्य और स्कूल खुलने के विषय को संज्ञान में ले कर एक टास्क फ़ोर्स की 18 जून 2020 को रचना की जिसने 3 माह तक सघन अध्ययन करके अपने दिशानिर्देश जारी किये हैं । इस अहम् टास्क फ़ोर्स में लखनऊ के दो बालरोग विशेषज्ञ भी चयनित हुए थे: डॉ पियाली भट्टाचार्य और डॉ उत्कर्ष बंसल । गहन अध्ययन और शोध के उपरांत जारी हुए इस दिशानिर्देश के मूल बिन्दुओं के बारे में बताते हुए डॉ उत्कर्ष बंसल ने कहा की स्कूलों को फिर से तभी खोला जा सकता है जब :
- स्थानीय स्तर पर महामारी के आंकड़े अनुकूल हो
- प्रशासन पर्याप्त बुनियादी सुविधाओं और स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं से लैस हो,
- और हितधारक (शिक्षक, छात्र, अभिभावक और सहायक कर्मचारी) नए माहौल से सामंजस्य के लिए तैयार हो।
भारत भर में विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न सामाजिक स्थितियों और कोविड-19 महामारी की भिन्न परिस्तिथि को देखते हुए, स्कूलों के खुलने के बारे में निर्णय जिला स्तर पर स्थानीय अधिकारियों द्वारा लिया जाना चाहिए, न कि राष्ट्रीय या राज्य स्तर पर। जिला प्रशासन को स्कूलों को फिर से खोलने की घोषणा करने से पहले पिछले दो हफ्तों में निम्नलिखित मापदंडों को जिले में सुनिश्चित करना चाहिए:
- जिले में पाए जाने वाले कोविड-19 के नए मामलों की संख्या लगातार कम हो रही हो।
- केस पॉज़िटिविटी दर 5 से कम हो (यानी, प्रति दिन जिले में किए गए कुल कोविड-19 परीक्षणों का 5% से कम सकारात्मक होना)
- जिले में प्रति दिन प्रति लाख जनसंख्या पर नए मामलों की संख्या 20 से कम हो।
- “स्वस्थ ना होने पर घर पर रहे“ की नीति स्कूल में सभी के लिए होनी चाहिए।
- स्कूल को समय सारिणी बदल के पालियों में बड़ी कक्षा के छात्रों के साथ खोलना चाहिए।
- कक्षाओं को हवादार रखा जाना चाहिए।
- कम से कम 1 मीटर की दूरी का कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए।
- छात्रों को स्कूल कम से कम वस्तुओं को लाना चाहिए।
- आगंतुकों को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।
- सभी के लिए मास्क अनिवार्य होना चाहिए।
- जिसके शरीर का तापमान 37.3°C या 99.4°F से अधिक हैं या जिसे पिछले 24 घंटों में बुखार रहा हो या बुखार महसूस कर रहे हों, उन्हें स्कूल में प्रवेश नहीं देना चाहिए।
स्वास्थ्य विभाग को पर्याप्त परीक्षण क्षमता (75% संपर्क में आये लोगों की ताकि महामारी की दूसरी लहर को रोका जा सके), संपर्क अनुरेखण, आइसोलेशन, अस्पताल के बिस्तर और किसी भी आपात स्तिथि से सामना करने के लिए सुविधाओं से सुसज्जित होना चाहिए। डॉ पियाली भट्टाचार्य ने बताया की इस बीच, दूरस्थ शिक्षा (मीडिया-आधारित और / या अन्यथा) का प्रयोग कर हर छात्र तक निर्बाध शिक्षा बनाए रखना चाहिए। भारत सरकार के प्रज्ञता दिशानिर्देश, तकनीक की मदद से दूरस्थ शिक्षा प्रदान करने के विभिन्न तरीकों का वर्णन करते हैं। तकनीक आधारित ऑनलाइन कक्षाओं की पहुँच हरवर्ग के छात्रों तक नहीं है। गैर-तकनीक आधारित दूरस्थ शिक्षा को सभी स्कूलों में और सभी वर्गों में अनिवार्य रूप से शामिल किया जाना चाहिए, भले ही वहां ऑनलाइन कक्षाओं की सुविधाएं उपलब्ध हों, जिसमें छात्रों तक पढाई के लिए नोट्स व् कार्यपुस्तिका पहुंचाई जाये।
पाठ्यक्रम को संशोधित करने की आवश्यकता है, जिसमें विषय की मूल धारणा पर ध्यान रखना चाहिए।
- शैक्षिक बोर्डों को सभी कक्षाओं के सभी विषयों के लिए पाठ्यक्रम के 50% कम करना चाहिए।
- सभी शिक्षण छात्र केंद्रित होना चाहिए। रटने द्वारा सीखने के बजाय गतिविधि आधारित शिक्षा पद्धति से भागीदारी और अवलोकन द्वारा सीखने को बढ़ावा दिया जाना चाहिए ।
- शिक्षकों और अभिभावकों के लिए समय-समय पर प्रशिक्षण सत्रों को आयोजित करना चाहिए कि महामारी के दौरान बच्चों की मदद कैसे करें और मनोवैज्ञानिक समस्याओं वाले बच्चों की पहचान कैसे करें ।
- अनौपचारिक शिक्षा द्वारा मनोसामाजिक सशक्तिकरण और दैनिक जीवन में कौशल विकास को तनावपूर्ण औपचारिक शिक्षा के बजाय प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
- आयु उपयुक्त तरीकों से विभिन्न सह-पाठ्यक्रम द्वारा कौशल प्रदान करने पर अधिक जोर दिया जाना चाहिए।