बारिश में मच्छर को पनपने से रोकें और डेंगू-मलेरिया से बचें : डॉ. त्रिपाठी



  • विश्व मच्छर दिवस पर वर्चुअल अभिमुखीकरण कार्यक्रम आयोजित

लखनऊ - विश्व मच्छर दिवस  पर शुक्रवार को स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में  वर्चुअल अभिमुखीकरण कार्यक्रम आयोजित हुआ |  फेमिली हेल्थ इण्डिया ‘एम्बेड‘ के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम में कम्युनिटी वालंटियर,  बिहैवियर चेंज कम्युनिकेशन फैसिलिटेटर, मलेरिया इंस्पेक्टर, सीनियर मलेरिया इंस्पेक्टर और असिस्टेंट मलेरिया ऑफिसर शामिल हुए |

इस मौके पर राष्ट्रीय वेक्टर जनित नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी एवं अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. के.पी.त्रिपाठी ने कहा - जल भराव, नमी और गन्दगी में मच्छर पनपते हैं | बारिश का मौसम मच्छरजनित परिस्थितियां  उत्पन्न करने में  अहम् भूमिका निभाता है | इसलिए  इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि घरों व  आस-पास मच्छरजनित परिस्थतियाँ उत्पन्न न होने पायें |

बरसात  में जलजमाव के कारण मच्छर अधिक पनपते  हैं | इसलिए घर व  आस-पास साफ़-सफाई रखें , पानी न इकठ्ठा होने दें | पूरी बांह के कपड़े पहनें  | मच्छररोधी क्रीम लगायें |  घर के ताजा व अच्छे से पका हुआ खाना खाएं |  रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले फल व सब्जियों का सेवन करें,  बाहर के खाने से परहेज करें | यह सारी बातें समुदाय में लोगों को बताएं |

डॉ. त्रिपाठी ने बताया - वायरल बुखार मुख्यतः बदलते मौसम के कारण होता है | लोगों को जागरूक करें कि  शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत कर इससे बच सकते हैं | वायरल बुखार के मुख्य लक्षण हैं-  खांसी, जुकाम, गले में दर्द, बुखार, जोड़ों में दर्द, उल्टी  तथा दस्त होते हैं  जबकि मलेरिया में सर्दी और कंपकपी के साथ में एक दिन छोड़कर बुखार आता है,  तेज बुखार और सिर  दर्द होता है | बुखार उतरने पर पसीना आता है, कमजोरी महसूस होने के साथ उल्टी  आती है |

डेंगू में तेज बुखार के साथ तेज सिर दर्द, ऑखों के आस-पास और जोड़ों में दर्द होता है, आँखें लाल हो जाती हैं,  हथेली और पैर लाल होने लगते हैं |  गंभीर स्थति में नाक  और मसूड़ों से खून भी आने लगता है | किसी भी प्रकार के बुखार की दशा में जल्दी से जल्दी नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र पर बुखार की जांच करायें स्वयं कोई इलाज न करें |

मण्डलीय वरिष्ठ कीट वैज्ञानिक डा.  मानवेन्द्र त्रिपाठी ने बताया कि पूरे विश्व में लगभग 3000 प्रकार के मच्छर पाये जाते हैं ,  कुछ मच्छर ऐसे भी हैं जो जानवरों के रक्त पीते है। उन्होंने बताया कि भारत मे पाये जाने 52 प्रकार के मच्छरों में से नौ  प्रकार के मच्छर मनुष्यों के लिए ज्यादा घातक होते हैं। उन्होंने मादा एनाफिलीज जो कि मलेरिया के लिए उत्तरदायी है एवं एडीज एजेप्टाई मच्छर को पीपीटी के माध्यम से पहचान बताई।

जिला मलेरिया अधिकारी डी. एन.  शुक्ला ने बताया -  लोग मच्छरों के लार्वा खोजने एवं उसे नष्ट करने की कार्यवाही में सहयोग करें जिससे कि मच्छर न पनपें  और लोगों को मलेरिया एवं डेंगू जैसी बीमारियां  न  हों। उन्होने “प्रत्येक रविवार, मच्छरों पर वार” एवं “बुखार में देरी पडेगी भारी” जैसे संदेशों के माध्यम से मच्छरों के ब्रीडिंग स्थलों को नष्ट करने का संदेश दिया।

एम्बेड के जिला समन्वयक धर्मेंद्र त्रिपाठी ने कहा- मच्छरों का जीवनकाल 20 से 25 दिनों का होता है, जिसमें वह 9-10 दिनों तक रूके हुए पानी के अन्दर रहता है,  उसके बाद  मच्छर प्रौढ होकर हवा में उड़ जाते है। हम इन रूके हुए पानी को नष्ट कर इनके पैदा होने वाले स्रोतों को नष्ट कर सकते है।

यदि सभी लोग प्रति सात दिवस में जमा हुए पानी को साफ करें एवं डेंगू मलेरिया का  लार्वा नहीं पनपनें दें तो इन बीमारियो ंसे स्वयं को संक्रमित होने से बचाव किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग के समन्वय से एम्बेड परियोजना आमजन के व्यवहार को परिवर्तन करने जैसे सोते समय मच्छरदानी का  प्रयोग करने, घरों के आस-पास पानी न जमा होने देने, पूरी बांह  के कपडे पहनने और बुखार आने पर नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र जाने के लिए सजग कर रही है।

यूनिसेफ के डा सुजीत सिंह ने कोविड-19 से बचाव के लिए टीकाकरण, दो गज की दूरी, मास्क एंव सैनिटाइजर के निरंतर उपयोग को अत्यंत आवश्यक बताया। एम्बेड की सामुदायिक सहयोगी लवकुशनगर से सना खातून ने बताया कि वह लोगों को मच्छरों के ब्रीडिंग स्थलों को नष्ट किये जाने हेतु स्थानीय लोगों से फालोअप करती है। इस अवसर पर 30 लोगों ने प्रतिभाग किया।
इस मौके पर उपस्थित लोगों ने मच्छरजनित परिस्थितियाँ न उत्पन्न करने, जल  स्त्रोतों की सफाई रखने, किसी भी व्यक्ति की डेंगू मलेरिया और चिकनगुनिया से मृत्यु न हो इसका पूरा प्रयास करने  और इन सभी बातों के बारे में लोगों को  जागरूक करने की शपथ ली |