लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय, लखनऊ ने डॉ. सूर्यकान्त को एग्जीक्यूटिव काउंसिल का मेम्बर बनाया है। इससे पूर्व भी वह देश के अनेक प्रमुख चिकित्सा महाविद्यालयों एवं एम्स जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में विभिन्न पदों पर अपनी अभूतपूर्व कार्यशैली द्वारा योगदान दे चुके हैं। डॉ. सूर्यकान्त ने केजीएमयू की कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानन्द को एग्जीक्यूटिव काउंसिल में नामित करने के लिए हार्दिक धन्यवाद दिया है। रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के सभी चिकित्सकों ने डॉ. सूर्यकान्त को इस विशिष्ट जिम्मेदारी के लिए बधाई दी है। ज्ञात रहे कि केजीएमयू की 18 सदस्यीय एग्जीक्यूटिव काउंसिल ही चिकित्सकों और एम्पलॉईस की नियुक्तियां, प्रमोशन, नियम, पाठ्यक्रम आदि सभी विषयों के लिए सर्वोच्च नियामक संस्था है।
रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सूर्यकान्त वर्तमान में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), पटना की स्टेंडिंग सिलेक्शन कमेटी के चेयरमैन हैं। वह बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट, राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय, जयपुर के सदस्य रह चुके हैं। वह लखनऊ विश्वविद्यालय तथा उत्तर प्रदेश मेडिकल यूनिवर्सिटी, सैफई, इटावा की एग्जीक्यूटिव काउंसिल के मेम्बर रह चुके हैं।
डॉ. सूर्यकान्त की विशेषज्ञता कई प्रतिष्ठित पदों पर उनकी भूमिका से परिलक्षित होती है। वे पूर्व में इण्डियन कॉलेज ऑफ एलर्जी, अस्थमा एंड एप्लाइड इम्यूनोलॉजी, इंडियन चेस्ट सोसाइटी, नेशनल कॉलेज ऑफ चेस्ट फिजिशियन्स (एनसीसीपी) और इंडियन साइंस कांग्रेस एसोसिएशन के मेडिकल साइंस प्रभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं। साथ ही, वह इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) लखनऊ के अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश आईएमए एकेडमी ऑफ मेडिकल स्पेशलिटीज के चेयरमैन और इंडियन स्टडी अगेंस्ट स्मोकिंग के महासचिव भी रहे हैं। वर्तमान में, डॉ. सूर्यकान्त राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के जोनल टास्क फोर्स (नॉर्थ जोन) के अध्यक्ष हैं, जिसमें छह राज्य और तीन केंद्र शासित प्रदेश आते हैं। वे इण्डियन सोसाइटी फॉर स्टडी ऑफ लंग कैंसर के एडवाजरी बोर्ड के मेम्बर भी है तथा डॉ0 सूर्यकान्त पूर्व से ही 30 से अधिक राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय जर्नल्स के सलाहकार/सम्पादकीय बोर्ड के सदस्य भी है।
डॉ. सूर्यकान्त को विश्व के सर्वोच्च 2 प्रतिशत वैज्ञानिकों की श्रेणी में भी स्थान प्राप्त है। वह रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में विगत 26वर्षों से चिकित्सा शिक्षक, 20 वर्षों से प्रोफेसर व 14 वर्षों से विभागाध्यक्ष के पद पर सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। इसके अलावा वह चिकित्सा विज्ञान सम्बंधित विषयों पर 22 किताबें भी लिख चुके हैं तथा एलर्जी, अस्थमा, टी.बी. एवं कैंसर के क्षेत्र में उनके अब तक लगभग 1000 से अधिक शोध पत्र राष्ट्रीय एवं अर्न्तराष्ट्रीय जर्नल्स में प्रकाशित हो चुके हैं साथ ही 2 अंतर्राष्ट्रीय पेटेन्ट का भी उनके नाम श्रेय जाता है। लगभग 200 एमडी/पीएचडी विद्यार्थियों का मार्गदर्शन, 50 से अधिक शोध परियोजनाओं का निर्देशन, 22 फैलोशिप, 20 ओरेशन एवार्ड का भी श्रेय उन्हें जाता है। उन्हें अब तक अन्तर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय एवं प्रदेश स्तर की विभिन्न संस्थाओं द्वारा 216 पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। डॉ. सूर्यकान्त पिछले 25 वर्षों से अधिक समय से अपने लेखों व वार्ताओ एवं टी.वी. व रेडियों एवं इलेक्ट्रानिक/प्रिंट/सोशल मीडिया के माध्यम से लोगो में टी.बी., अस्थमा, एलर्जी, लंग कैंसर व श्वसन संबंधी अन्य बीमारियों से बचाव व उपचार के बारे में जागरूकता फैला रहे हैं।