- विश्व निमोनिया दिवस (12 नवंबर) पर विशेष
लखनऊ - सर्दी के मौसम में छोटे बच्चों का खास ख्याल रखने की जरूरत होती है ताकि वह निमोनिया बीमारी की गिरफ्त में आने से बच सकें | इसके लिए जरूरी है कि छह माह तक बच्चों को माँ के दूध के अलावा कुछ भी बाहरी चीज न दें और छह माह पूरे होने के बाद स्तनपान के साथ ऊपरी आहार देना शुरू करें | इससे उनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित होगी और वह बीमारियों की जद में आने से बच सकेंगे |
बलरामपुर जिला अस्पताल के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डा. देवेन्द्र सिंह बताते हैं – निमोनिया किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है लेकिन यह सबसे ज्यादा पाँच साल तक के बच्चों को प्रभावित करता है | पूरी दुनिया में निमोनिया पाँच साल से कम आयु के बच्चों में होने वाली मौतों का एक प्रमुख कारण है | लोगों को निमोनिया के बारे में जागरूक करने के उद्देश्य से हर वर्ष 12 नवंबर को विश्व निमोनिया दिवस मनाया जाता है |
डा. देवेन्द्र के अनुसार – निमोनिया फेफड़ों में होने वाला एक संक्रमण है जो बैक्टीरिया , फंगस एवं वायरस आदि के कारण होता है | इससे फेफड़ों में सूजन आ जाती है और उसमें तरल पदार्थ भर जाता है | इसके लक्षण सर्दी जुकाम के लक्षण से बहुत कुछ मिलते-जुलते हैं | इसलिए जब भी ऐसा कुछ लगे तो पहले इसके लक्षणों की पहचान कर लें |
डा. देवेन्द्र ने बताया- बच्चों को ठंड से बचायेँ | नवजात को पूरे कपड़े पहनायें, नवजात के सिर, कान और पैर ढँक कर रखें और अगर वह दूध न पिए , सुस्त रहे, रोए या बुखार हो तो प्रशिक्षित डाक्टर से अवश्य जांच कराएं | बच्चे की सांस यदि तेज चले,कफ की आवाज आए तो निमोनिया हो सकता है | निमोनिया के अन्य लक्षणों में सामान्य से तेज़ सांस या सांस लेने में परेशानी, सांस लेते या खांसते समय छाती में दर्द, खांसी के साथ पीले, हरे या जंग के रंग का बलगम, बुखार, कंपकंपी या ठंड लगना, पसीना आना, होंठ या नाखून नीले होना, उल्टी होना, पेट या सीने के निचले हिस्से में दर्द होना, कंपकंपी, शरीर में दर्द, मांसपेशियों में दर्द भी हैं |
इससे बचाव के लिए बच्चों का समय से टीकाकरण करवाना चाहिए | निमोनिया का टीका न्यूमोकॉकॉल कोन्जुगेट है जो कि बच्चे को डेढ़ माह, ढाई माह, साढ़े तीन माह और 15 माह में लगाए जाते हैं | यह बच्चे को निमोनिया की बीमारी से बचाते हैं |
डा. देवेंद्र ने बताया - आज के समय में कोरोना का भी खतरा है ऐसे में बच्चों में कोविड अनुरूप व्यवहार का पालन कराना सुनिश्चित करें | निमोनिया सहित अधिकतर बीमारियाँ प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने के कारण होती हैं | इसलिए नवजात को छह माह तक केवल माँ का दूध पिलाना चाहिए और छह माह के बाद बच्चे को पौष्टिक ऊपरी आहार शुरू कर देना चाहिए |