- खसरा प्रतिरक्षण दिवस (16 मार्च 2022) पर विशेष
- स्वास्थ्य विभाग द्वारा निःशुल्क उपलब्ध कराया जाता है मीजिल्स-रूबेला का टीका
- तेजी से फैलने वाला संक्रामक रोग है खसरा
गोरखपुर - मीजिल्स रूबेला (एमआर) टीके की दोनों डोज से ही खसरे से पूर्ण प्रतिरक्षण प्राप्त होता है । यह टीका स्वास्थ्य विभाग द्वारा निःशुल्क उपलब्ध कराया जा रहा है । तेजी से फैलने वाले इस संक्रामक रोग से बचाव में टीकाकरण की अहम भूमिका है, क्योंकि इस बीमारी का सिर्फ लाक्षणिक उपचार उपलब्ध है । खसरे से जुड़ी जटिलताओं के कारण मृत्यु भी हो सकती है । ऐसे में खसरे के टीके के प्रति समुदाय के बीच जागरूकता का संदेश देने के लिए हर साल 16 मार्च को खसरा प्रतिरक्षण दिवस मनाया जाता है ।
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ एएन प्रसाद ने बताया कि खसरा ज्यादातर बच्चों को प्रभावित करता है और इसका पहला लक्षण तेज बुखार है । वायरस के संपर्क में आने के दस से बारह दिनों के बाद बुखार की शुरूआत खांसी, सर्दी, आंखों में लालिमा और चकत्ते के साथ होती है । मरीज के खांसने, छींकने, नजदीकी संपर्क, संक्रमित नाक या गले के स्राव द्वारा इस बीमारी का प्रसार होता है । यह बीमारी छोटे बच्चों में होने वाली मृत्यु और दिव्यांगता का एक प्रमुख कारण है ।
डॉ. प्रसाद ने बताया कि कम पोषण, विटामिन ए की कमी और एचआईवी या एड्स की स्थिति में खसरे की जटिलताएं बढ़ जाती हैं । खसरे के कारण होने वाले अंधापन, इंसेफेलाइटिस, गंभीर अतिसार और निमोनिया के कारणों से भी जटिलाएं बढ़ती हैं । इन स्थितियों से बचने का सबसे बेहतर उपाय है कि नौ से 12 महीने की उम्र में एमआर टीके की पहली डोज, जबकि 16 से 24 माह की उम्र में दूसरी डोज अवश्य दी जाए। सभी अभिभावकों को समझना होगा कि खसरा पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु का एक प्रमुख कारण है, इसलिए इसका टीका नहीं छूटना चाहिए ।
21.1 मिलियन के प्राणों की रक्षा : भारत सरकार के नेशनल हेल्थ पोर्टल पर मार्च 2019 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2017 में विश्व के 85 फीसदी बच्चों ने अपने पहले जन्मदिन पर खसरे की पहली खुराक ली और 67 फीसदी बच्चों ने दूसरी खुराक प्राप्त की । इसके परिणामस्वरूप खसरे से वर्ष 2000 से 2017 के बीच विश्व में होने वाली मृत्यु में 80 प्रतिशत की गिरावट आई। इस अवधि के दौरान खसरा प्रतिरक्षण ने अनुमानित 21.1 मिलियन लोगों के प्राण बचाए । जिन बच्चों ने खसरे का प्रतिरक्षण नहीं लिया है उनके इससे पीड़ित होने की आशंका अधिक होती है ।
85.5 फीसदी ने ली पहली डोज : राष्ट्रीय पारिवारक स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (वर्ष 2019-21) के मुताबिक गोरखपुर जिले के 12 से 23 माह उम्र वर्ग के 85.5 फीसदी बच्चों ने खसरे के टीका का पहला डोज ले लिया है । प्रदेश स्तर पर यह आंकड़ा 83.3 फीसदी है। सर्वेक्षण के मुताबिक 24-35 माह आयु वर्ग के 23.9 फीसदी बच्चों ने टीके की दूसरी डोज भी ले ली है । प्रादेशिक स्तर पर यह 30.2 फीसदी है । खसरे से संपूर्ण प्रतिरक्षण टीके के दोनों डोज के बाद ही प्राप्त होता है ।
यथाशीघ्र चिकित्सक से करें संपर्क : जिला प्रतिरक्षण अधिकारी ने बताया कि न केवल बच्चों बल्कि किसी भी उम्र के व्यक्ति को बुखार एवं घमौरीनुमा बिना पानी वाली दाने व इसके साथ खांसी या नाक बहना या आंखों के लाल होने जैसे लक्षण दिखें तो बिना देरी किये चिकित्सक को दिखाएं। ऐसे लोग खसरे के संभावित मरीज हो सकते हैं । खसरे से प्रभावित बच्चों में घमौरीनुमा दाने होने से दो से तीन सप्ताह के भीतर जटिलता होने की आशंका होती है । खसरे के संभावित मरीज को दाने आने के बाद चार दिनों के लिए आइसोलेशन में रखना चाहिए, लेकिन ऐसे मरीज से भेदभाव नहीं करना है । मास्क, हाथों की स्वच्छता जैसे नियम इस संक्रमण से बचाव में भी कारगर हैं ।
यह भी जानिये -
• अगर 16 माह से पांच वर्ष का बच्चे ने एमआर टीके का कोई डोज नहीं लिया है तो उसे नियमित टीकाकरण सत्र पर पहली खुराक तुरंत देनी है और एक महीने बाद दूसरी खुराक भी देनी है ।
• अन्य टीकों के साथ एमआर का टीका दिया जा सकता है और यह पूरी तरह से सुरक्षित है ।
• खसरा ग्रसित बच्चों को उम्र के अनुसार ड्यू डेट पर खसरे का टीका लगाना है।