विश्व मलेरिया दिवस (25 अप्रैल 2022)पर विशेष : मलेरिया का इलाज प्रशिक्षित चिकित्सक से ही कराएं



लखनऊ - मलेरिया एक प्रमुख वेक्टरजनित रोग है जो संक्रमित मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने से होता है | अगर मलेरिया का संक्रामक मच्छर काट लेता है तो स्वस्थ मनुष्य में 10 से 14 दिन बाद यह रोग विकसित होता है। इस बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने से उद्देश्य से हर साल 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है | इस साल इस दिवस की थीम है – “मलेरिया रोग के बोझ को कम करने और जीवन बचाने के लिए नवाचार का उपयोग करें” | यह कहना है राष्ट्रीय वेक्टरजनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डा. संदीप सिंह का |

नोडल अधिकारी बताते हैं कि तेज बुखार, सिरदर्द, शरीर दर्द, ठंड लगना, अत्यधिक पसीना आना,  मिचली व उल्टी जैसे लक्षण दिखें तो इसे नजरअंदाज न करें और न ही स्वयं कोई इलाज करें | ये मलेरिया के लक्षण हैं ,  तुरंत आशा कार्यकर्ता या स्वास्थ्यकर्मी से संपर्क करें या पास के स्वास्थ्य केंद्र पर जाएं | जिला स्तरीय अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी), प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) और हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स (एचडब्ल्यूसी) पर मलेरिया की जांच निःशुल्क है ।

 मलेरिया में परजीवी संक्रमण और लाल रक्तकोशिकाओं के नष्ट होने के कारण थकान की वजह से एनीमिया, दौरा या चेतना की हानि की स्थिति बन जाती है। कभी कभी परजीवी रक्त के जरिये मस्तिष्क तक पहुंच जाते हैं और यह शरीर के अन्य अंगों में भी पहुंच कर हानि पहुंचाते हैं । गर्भवती को तो विशेष ध्यान रखने की जरूरत है क्योंकि इससे गर्भवती के साथ गर्भस्थ और नवजात को भी खतरा होता है | विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार   गर्भवती को मलेरिया प्रभावित क्षेत्रों में नहीं जाना चाहिए क्योंकि उनमें मलेरिया होने से जटिलताएं बढ़ जाती हैं ।
मच्छरों से बचाव और लक्षण दिखने पर तुरंत जांच और इलाज मलेरिया से बचाव का बेहतर उपाय है । समय से जांच व इलाज न होने से मलेरिया जानलेवा हो सकता है ।

नोडल अधिकारी बताते हैं कि यदि मलेरिया के लक्षण समाप्त हो गए हैं तो इसका मतलब यह नहीं है कि दवा का सेवन बंद कर दें | चिकित्सक की सलाह के अनुसार दवा लेनी है बीच में नहीं छोड़नी है |

जिला मलेरिया अधिकारी(डीएमओ) डा. रितु  बताती हैं कि मलेरिया निरीक्षकों की टीम जिले में मच्छरों के लार्वा को नष्ट करने के लिए संबंधित विभागों और सामुदायिक योगदान के जरिये अभियान में जुटे हुए हैं, लेकिन लोगों की सतर्कता अधिक आवश्यक है । मलेरिया बचाव का सबसे बेहतर उपाय है कि पूरे बांह के कपड़े पहने, मच्छरदानी का इस्तेमाल करें, मच्छररोधी क्रीम, घर में मच्छररोधी अगरबत्ती का इस्तेमाल करें । घरों में किटनाशकों का छिड़काव करें, खुली नालियों में मिट्टी का तेल डालें ताकि मच्छरों के लार्वा न पनपने पाएं, मच्छरों के काटने के समय शाम व रात को घरों और खिड़कियों के दरवाजे बंद कर लें। इन उपायों के बावजूद अगर लक्षण दिखें तो मलेरिया की जांच करवा कर इलाज करवाएं ।

 जिला मलेरिया अधिकारी के अनुसार मलेरिया का मच्छर सामान्यतः शाम और सुबह के बीच काटता है । अगर किसी स्वस्थ व्यक्ति को मलेरिया का संक्रमित मच्छर काटता है तो वह स्वयं तो संक्रमित होगा ही, दूसरे को भी संक्रमित कर सकता है । मच्छर के काटने के बाद इसका परजीवी लीवर के जरिये लाल रक्त कोशिकाओं तक पहुंचता है और संक्रमण पूरे शरीर में फैलने लगता है और यह रक्त कोशिकाओं को तोड़ने लगता है । संक्रमित रक्त कोशिकाएं हर 48 से 72 घंटे में फटती रहती हैं और जब भी फटती हैं बुखार, ठंड लगना और पसीना आने जैसे लक्षण भी सामने आते हैं ।

डीएमओ के अनुसार विश्व मलेरिया दिवस पर सोमवार को जयपुरिया स्कूल, फैजुल्लागंज वार्ड  और चारबाग रेलवे स्टेशन पर जागरूकता और मोबिलाइजेशन संबंधी गतिविधियां आयोजित की जाएंगी |