- विश्व मलेरिया दिवस पर चारबाग रेलवे स्टेशन को प्रकाशित करके, संदेशो के माध्यम से फैलाई गयी जागरूकता
लखनऊ - मलेरिया रोग से सुरक्षित रहने और इसके बारे में जन-समुदाय में जागरूकता फ़ैलाने के लिए पूरी दुनिया में प्रत्येक वर्ष 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है | इसी क्रम में, इस वर्ष राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम, निदेशालय, भारत सरकार के दिशा-निर्देश में रेलवे, लखनऊ मंडल के साथ समन्वय स्थापित करते हुए लखनऊ के चारबाग स्टेशन की दीवारों को नारंगी और बैंगनी रंगों से आलोकित किया गया | इसके साथ ही प्रकाश के माध्यम से मलेरिया के संदेशों को भी दिखाया गया | रेलवे प्लेटफार्म पर उपलब्ध एनाउंसमेंट सिस्टम के द्वारा मलेरिया से सम्बंधित ऑडियो संदेशों का भी प्रसार किया गया |
मलेरिया रोग, मादा एनोफिलीज़ मच्छर के काटने से होने वाला संक्रामक और जानलेवा रोग है | जब कभी कोई संक्रमित मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो इस मच्छर में मौजूद प्लाजमोडियम नाम का परजीवी उस व्यक्ति के शरीर में जाकर उसे संक्रमित कर देता है | मलेरिया रोगी में कपकपी लगकर बुखार आना, पसीना निकलना, शरीर में दर्द होना, और उल्टी होने जैसे लक्षण पैदा हो जाते हैं | ऐसी दशा में तुरंत नज़दीकी स्वास्थ्य केन्द्रों पर संपर्क करना चाहिए |
संयुक्त निदेशक व राज्य कार्यक्रम अधिकारी मलेरिया, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, उत्तर प्रदेश, डॉ ए.के. यादव ने बताया कि पहले लोग दवा खाकर जब लक्षण हल्के हो जाते थे तो दवा छोड़ देते थे। ऐसे में उनमें मलेरिया का प्लाजमोडियम बना रहता था। जब उन्हें एनाफ्लीज मच्छर काटता था तो वो संक्रमण दूसरों तक ले जाता था। हमने इसी चेन को ब्रेक करने के लिए ट्रिपल टी फार्मूला बनाया। इसमें पहले हमने ज्यादा से ज्यादा टेस्टिंग की। इसमें आशा एएनएम ने घर जाकर एंटिजन किट से टेस्टिंग शुरू की। इसके बाद जो संक्रमित आए उनका ट्रीटमेंट किया। इसकी चेन तोड़ने के लिए ट्रैकिंग शुरू की यानी मरीज का फॉलोअप। वो दवा खा रहे हैं या नहीं ये भी जानना करना शुरू किया। इससे जो पहले दवा छोड़ मलेरिया के कैरियर बन जाते थे वो अब नहीं बनते जिससे संक्रमण बहुत कम हुआ है। डॉ. यादव ने यह भी बताया कि प्रत्येक वर्ष 25 अप्रैल को पूरी दुनिया में मलेरिया के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है | इस तरह के दिवस आयोजित करने से मलेरिया के बारे में जन-समुदाय में मलेरिया से सुरक्षित रहने और इससे संक्रमित होने की दशा में नियमित उपचार कराने की प्रवृति में वृद्धि हुई है जिसका परिणाम है कि पांच साल में मलेरिया के मरीजों की संख्या में बहुत कमी आई है | प्रदेश को 2030 तक मलेरिया मुक्त करने का लक्ष्य है। इसके लिए हमें वर्ष 2027 तक प्रदेश के सभी जनपदों में मलेरिया के केस शून्य करने होंगे। तीन साल तक जब केस शून्य रहेंगे तभी प्रदेश मलेरिया मुक्त घोषित किया जा सकेगा। इसकी शुरुआत हो गई है और गत वर्ष 2 जिलों में मलेरिया का एक भी केस नहीं था जबकि 34 जनपद ऐसे थे जहां 25 से भी कम केस चिन्हित हुए थे। आंकड़ों की बात करें तो साल 2017 व 2018 में लखनऊ में मलेरिया की संक्रमण दर दस 0.10 फीसदी थी। जबकि 2018 में यह 0.08 फीसदी हुई जबकि पिछले दो साल से यह दर महज 0.03 फीसदी ही है। वहीं पूरे प्रदेश की बात करें तो 2018 में यूपी में मलेरिया की संक्रमण दर 1.63 व 2019 में 1.58 फीसदी थी लेकिन 2020 में घटकर 1.03 हो गयी है जबकि पिछले साल यह संक्रमण दर महज 0.25 पर आ गई थी । 2020 से वर्ष 2021 में संक्रमण दर की तुलना करें तो यह महज एक चौथाई ही रह गई है।
स्वास्थ्य विभाग ने दिमागी मलेरिया पर भी विशेष नियंत्रण किया है जिससे अब सामान्य मलेरिया के मरीज ही ज्यादा चिन्हित हो रहे हैं जो आसानी से ठीक हो जाते हैं। लखनऊ की बात करें तो यहां पांच साल से दिमागी मलेरिया का एक भी मरीज चिन्हित नहीं हुआ है। जितने भी मरीज मिले हैं वह सामान्य मलेरिया के रहे हैं। जबकि प्रदेश की बात करें तो इसकी संख्या महज 13 फीसदी रह गई है। वर्ष 2021 में मलेरिया के कुल 10792 केस रिपोर्ट हुए। इसमें दिमागी मलेरिया के महज 1464 केस ही प्रदेश में मिले हैं। जबकि 2020 की तुलना में यूपी में अब दिमागी मलेरिया के मरीज एक चौथाई ही है। 2020 में 6486 केस मिले थे।
मलेरिया के केस
साल लखनऊ (केस ) उत्तर प्रदेश (केस)
2018 168 86486
2019 146 92732
2020 25 28668
2021 34 10792
2022 अब तक 9 430
डॉ. यादव ने बताया कि प्रदेश सरकार मलेरिया के उन्मूलन के लिए प्रतिबद्ध है और यही कारण है कि प्रदेश में चलाये जा रहे दस्तक अभियान में भी मलेरिया रोग को शामिल किया गया है | दस्तक अभियान के दौरान आशा और आंगनवाड़ी घर-घर जाकर मलेरिया रोगियों की पहचान करती हैं ताकि उनका समय से उपचार किया जा सके | प्रदेश को मलेरिया मुक्त बनाने के लिए जन-सहभागिता बहुत जरूरी है। साफ़-सफाई रखें, आस पास लोग गंदगी न पनपने दे जिससे मच्छर जनित स्थितियां न पैदा हों और बारिश का पानी न जमा हो। मच्छरदानी और स्प्रे का उपयोग करें और मलेरिया के लक्षण दिखाई देने पर खून की जांच करवाएं और यदि संक्रमित हैं तो पूरा उपचार करवाएं | हम सबके सामूहिक प्रयास से ही उत्तर प्रदेश मलेरिया मुक्त प्रदेश बनेगा |
इस अवसर पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, उत्तर प्रदेश के अधिकारी , उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के रेलवे अधिकारी एवं अन्य सहयोगी संस्थाओं के प्रतिनिधि एवं स्थानीय मीडिया सहयोगी भी उपस्थित थे |