लखनऊ - स्मार्टफोन और इंटरनेट आज के जीवन का अहम हिस्सा हो गए हैं जिनके बिना जीवन असंभव सा लगता है | स्मार्टफोन ने पूरी दुनिया एक मुट्ठी में ला दी है | सूचना का आदान प्रदान, मनोरंजन, शैक्षणिक अनुसंधान, वाणिज्य सभी के लिए इंटरनेट एक बेहतर साधन है जिसके लिए हम लैपटॉप व स्मार्टफोन पर निर्भर हैं |
राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डा. राजेन्द्र कुमार चौधरी बताते हैं कि इंटरनेट वर्ल्ड स्टेटस के अनुसार दिसंबर 2006 में दुनिया में इंटरनेट उपभोक्ताओं की आबादी लगभग 36 करोड़ थी जो जून 2019 में बढ़कर लगभग 4.54 अरब हो गई है | भारत में वर्तमान में इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या लगभग 70 करोड़ है और साल 2025 में संख्या बढ़कर एक अरब होने की संभावना है |
जहां एक तरफ स्मार्टफोन और इंटरनेट के उपयोग ने जीवन को आसान बना दिया है वहीं इसके नकारात्मक प्रभाव भी अब सामने आ रहे हैं | विशेषकर कोरोना की वजह से इसके उपयोग को और बढ़ावा मिला है | ऑनलाइन काम करने एवम पढ़ाई ने स्मार्टफोन और इंटरनेट को मान्यता दे दी है |
वयस्क ही नहीं बच्चे भी इसके आदी होते जा रहे हैं | जहां पहले बच्चे खाली समय में घर से बाहर खेलने जाते थे, परिवार के साथ समय बिताते थे वहीँ अब घंटों इंटरनेट पर समय बिताते हैं | शॉपिंग भी ऑनलाइन होती है | इससे न केवल हमारा शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है | इसे इम्पलसिव कंट्रोल डिसॉर्डर कहा जाता है | इसके लक्षण हैं कि गुस्सा आना, नींद न आना, ऑनलाइन न रहने पर उत्तेजित रहना, ईमेल या सोशल एकाउंट को दिन में कई बार चेक करना, कार्यस्थल पर ऑनलाइन समय बिताना, दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ समय न बिताना जबकि ऑनलाइन जो दोस्त बनाए हैं उनसे बातचीत करना |
इंटरनेट और स्मार्ट फोन के उपयोग से एकाग्रता में कमी, अकेलापन, याददाश्त में कमी, वास्तविकता को कल्पना से अलग करने में कमी, सामाजिक अलगाव, चिड़चिड़ापन, बात-बात पर गुस्सा आना जैसी समस्याएं होती हैं | अगर यह लक्षण और समस्याएं दिखायी दें तो मनोचिकित्सक की सलह लें | साइकोथेरेपी और दवाओं के द्वारा इन समस्याओं से निजात पाया जा सकता है |
डा. चौधरी कहते हैं कि हमें यह ध्यान में रखना चाहिए कि इंटरनेट और स्मार्टफोन हमसे है हम इंटरनेट और स्मार्टफोन से नहीं | इसलिए इनके उपयोग का समय निश्चित करें | बाहर घूमने जाएं, परिवार के सदस्यों, दोस्तों और बच्चों के साथ समय बिताएं, अपनी रुचि के कामों को करें, किताबें पढ़ें | इंटरनेट और स्मार्टफोन पर समय व्यर्थ न करें |