खसरे से बचाव का एकमात्र उपाय टीकाकरण है - डा. पियाली भट्टाचार्या



लखनऊ - बच्चों को 12 जानलेवा बीमारियों से बचाने के लिए नियमित  टीकाकरण किया जाता है। खसरा अर्थात मीसल्स और  रुबेला इन्हीं 12 जानलेवा बीमारियों में से एक है | खसरा रोग बच्चों में होने वाला एक अत्यंत संक्रामक रोग है ।  इसके संपर्क में आने वाले लोगों का अगर टीकाकरण नहीं हुआ है, तो वे इसके शिकार हो जाते हैं | यह पैरामाइक्सो वायरस परिवार के एक वायरस के कारण होने वाली जानलेवा बीमारी है । यह बीमारी खाँसने छींकने, गले और नाक के स्राव, तथा परस्पर संपर्क के मध्यम से फैलता है ।

एसजीपीजीआई की वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डा. पियाली भट्टाचार्या बताती हैं कि खसरे से बचाव का एकमात्र उपाय टीकाकरण है । बच्चों में खसरा एवं रुबेला से बचाव हेतु एक संयुक्त टीका, एमआर(MR) साल 2017 में लांच किया गया था । संयुक्त टीके के खुराक से  खसरा एवं रुबेला दोनों ही बीमारियों से बचाव होता है |  एमआर की पहली खुराक 9 महीने की उम्र पर दी जाती है | इसके बाद 15 महीने की उम्र हो जाने पर दूसरी  खुराक वेरीसेला वैक्सीन के साथ दी जाती है । डा. पियाली बताती हैं कि भारत सरकार ने दिसंबर 2030  तक खसरे और रूबेला के उन्मूलन का लक्ष्य रखा है ।

खसरा होने के बाद न केवल बच्चे का वजन कम हो जाता है बल्कि बच्चे का संज्ञानात्मक विकास भी धीमा हो जाता है और बच्चा पढ़ाई में भी कमजोर पड़ने लगता है । खसरा बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता को भी कमजोर कर देता है जिससे वह अन्य संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है ।

वहीं अगर रूबेला की बात करें तो रूबेला का जोखिम बचपन से लेकर किशोरावस्था और प्रजनन आयु तक रहता है। रूबेला के लक्षण खसरे  के समान होते हैं, जैसे कि बुखार, शरीर में चकत्ते पड़ना इत्यादि। गर्भवती यदि रूबेला से संक्रमित है तो इसका वायरस प्लसेन्टा से गर्भस्थ शिशु तक पहुंचकर की उसकी आँख, दिमाग, दिल आदि को नुकसान पहुंचा  सकता है।  ऐसा बच्चा जन्मजात विसंगतियों के साथ जन्म लेता है जैसे कि मोतियाबिन्द, बहरापन, वृद्धि में रुकावट और हृदय रोग।  एमआर का टीका एक शॉट में ही दोनों बीमारियों बचाता है।
 
डा. पियाली बताती हैं कि यदि हमें अपने बच्चे को खसरे के प्रकोप से बचाना है तो हमारे लिए उसके लक्षणों से भली भाँती परिचित होना आवश्यक है । खसरे के विषाणु के संपर्क में आने पर दस से बारह दिन में ही खसरे के लक्षण दिखाई देने लगते हैं ।

खसरे के लक्षणों में आमतौर पर शामिल हैं : बुखार, सूखी खांसी , गले में खराश, आँखों में सूजन, गाल और मुंह के अंदरूनी हिस्से में लाल सतह पर नीले सफ़ेद केन्द्रों के साथ छोटे दाग (जिसे 'कोप्लिक स्पॉट' भी कहा जाता है) , त्वचा पर एक प्रकार के चकत्ते जो कि बड़े और सपाट ददोरे व धब्बों से बनते हैं ।

इस रोग के कारण शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है। यह संक्रमण आमतौर से 14 दिनों तक रहता है । खसरे से सम्बंधित मृत्यु का कारण उस दौरान होने वाली जटिलताएं हैं जिनमें इन्सेफेलाइटिस( दिमागी बुखार), निमोनिया और दस्त द्वारा होने वाला निर्जलीकरण सम्मिलित है ।

खसरा किनको हो सकता है ?

  • नवजात शिशु जिन्हें खसरे का टीका अभी लगा ही नहीं है
  • ऐसे बच्चे जिनका समय पर टीकाकरण नही हुआ हो
  • कुपोषित बच्चों, ऐसे बच्चे जिनमें विटामिन ए की कमी है तथा एचआईवी/एड्स से ग्रसित बच्चों में भी गंभीर खसरा होने की संभावना रहती है
  • गर्भवती जिन्हें टीका नहीं लगा है

जो महिलाएं गर्भवती हैं यदि वो इससे प्रभावित हो जाएँ उनमें गर्भपात तथा समय से पूर्व प्रसव होने की सम्भावना बढ़ जाती है। सही समय पर इलाज न मिलने पर भी यह स्थिति गंभीर परिस्थिति में बदल सकती है | इसलिए हर माता पिता की यह नैतिक जिम्मेदारी है कि वह अपने बच्चे को एमआर के टीके जरूर लगवाएं।