गाँव को टीबी मुक्त बनाने को आगे आयें ग्राम प्रधान



  • संवेदीकरण कार्यक्रम में खंड विकास अधिकारी ने किया आह्वान
  • टीबी मुक्त देश बनाने को जनभागीदारी बहुत जरूरी

लखनऊ - विश्व क्षय रोग दिवस (24 मार्च) पर प्रधानमंत्री ने टीबी मुक्त ग्राम पंचायत अभियान की शुरुआत की थी। इसी क्रम में मंगलवार को खण्ड विकास अधिकारी कार्यालय काकोरी पर जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ.आर.वी.सिंह के निर्देशन में ब्लॉक के ग्राम प्रधानों एवं ग्राम पंचायत अधिकारियों का एक दिवसीय संवेदीकरण कार्यक्रम आयोजित हुआ। इसके माध्यम से प्रतिनिधियों को टीबी की बारीकियों के बारे में जागरूक किया गया ।इस दौरान यह भी बताया गया कि देश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त बनाना है तो सभी को कंधे से कन्धा मिलाकर कार्य करना होगा क्योंकि बगैर जनभागीदारी के यह संभव नहीं है ।

इस अवसर पर खंड विकास अधिकारी अमित सिंह परिहार ने ब्लॉक को टीबी मुक्त बनाने में ग्राम प्रधानों को आगे आने का आह्वान किया ।उन्होंने कहा कि वह अपनी- अपनी ग्राम पंचायतों में लोगों को टीबी के बारे में  जागरूक करें और इस अभियान में अपना सक्रिय योगदान दें । सभी के सहयोग से ही यह अभियान सफल हो सकता है ।

इस मौके पर सीएचसी अधीक्षक डा.दिलीप भार्गव ने कहा कि विश्व क्षयरोग दिवस पर प्रधानमंत्री ने टीबी मुक्त ग्राम पंचायत अभियान की शुरुआत की थी। पंचायतें हमारे देश की पहली इकाई हैं। साल 2025 तक देश को टीबी मुक्त करने के लक्ष्य में यह एक अहम पहल है। पंचायतों के माध्यम से हम हर गांव के हर व्यक्ति तक पहुंचकर जनपद को टीबी मुक्त कर सकते हैं।

इस मौके पर राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एन टी ई पी) के पब्लिक प्राइवेट मिक्स समन्वयक  रामजी वर्मा ने प्रधानों और ग्राम पंचायत  अधिकारियों से कहा कि आप अपने क्षेत्र में लोगों को टीबी के लक्षणों, जांच और इलाज के बारे में जागरूक करें। उन्हें बताएं कि इस रोग को छिपायें नहीं बल्कि स्वास्थ्य केन्द्रों पर जांच और इलाज कराएं। उन्होंने टीबी को लेकर जो भ्रांतियां हैं उनके बारे में कहा कि लोगों को इस बात की जानकारी देनी बहुत जरूरी है कि सभी अंगों की टीबी संक्रामक नहीं होती है। केवल फेफड़ों को टीबी ही संक्रामक होती है। थोड़ी से सावधानी बरत कर हम संक्रमण को रोक सकते हैं । टीबी रोगी के साथ कोई भेदभाव न करें बल्कि सहयोगी बनकर जल्दी स्वस्थ बनाने में मददगार बनें।
टीबी से उपचार में रोगी की पहचान, इलाज और बचाव टीबी उन्मूलन रणनीति के मुख्य तीन स्तंभ हैं जबकि चौथा स्तंभ इससे संबंधित नीतियां और इंफ्रास्ट्रक्चर है।

इस मौके पर  स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी शशि भूषण भारती, बीसीपीएम प्रद्युम्न कुमार मौर्य, काकोरी टीबी इकाई से सुधीर, टीबीएचवी सुजीत कुमार, एसटीएस और कुल 65 प्रशिक्षणार्थी उपस्थित रहे।

यह हैं टीबी के लक्षण  : यदि किसी को दो हफ्ते से अधिक समय तक  खाँसी आए, शाम के समय बुखार आए, सीने में दर्द हो, थकान लगे, बलगम में खून आये, रात में पसीना आता हो या लगातार वजन घट रहा हो या लंबे समय तक शरीर के किसी भी अंग में दर्द रहे तो पास के स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर टीबी की जांच कराएं ।

निक्षय पोषण योजना : स्वास्थ्य केंद्रों पर टीबी की जांच और इलाज की पूरी सुविधा उपलब्ध है । इसके साथ ही निक्षय पोषण योजना के तहत क्षय रोगियों को इलाज के दौरान हर माह 500 रुपये सीधे उनके बैंक खाते में भेजे जाते हैं ।