संक्रमण से बचाव में प्रभावी और सस्ते तरीकों में से एक है हैंडवाशिंग



  • बीमारी से रखनी है दूरी तो हाथ धोना है जरूरी - डीपीओ
  • बच्चों को डायरिया, निमोनिया व सांस की बीमारियों से बचाएं
  • जनपद के सभी आंगनवाडी केंद्रों पर मनाया गए हैंडवाशिंग डे

कानपुर नगर - भारत में बाल मृत्यु के लिए दस्त और श्वसन संक्रमण सबसे प्रमुख कारण है, क्योंकि इन दो बीमारियों का सीधा संबंध सही तरीके से हाथ न धोने से है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे- 5 (2019 -21) के अनुसार जनपद में पाँच साल से कम उम्र के लगभग 7.1 प्रतिशत बच्चे डायरिया से एवं लगभग 3.9 प्रतिशत बच्चे श्वसन संक्रमण से पीड़ित पाये गये हैं। साबुन से हाथ धोकर डायरिया और श्वसन संक्रमण जैसी बीमारियों से बच्चों को बचाया जा सकता है, जो कि सबसे प्रभावी और सस्ते तरीकों में से एक है।

जिला कार्यक्रम अधिकारी दुर्गेश प्रताप सिंह ने बताया कि बुधवार को जनपद के सभी आंगनवाड़ी केंद्रों पर  हैंड वाशिंग डे मनाया गया।  उनका कहना है कि अगर हाथों की स्वच्छता का पूरा ख्याल रखा जाए तो इस आंकड़े में निश्चित रूप से कमी लाते हुए बच्चों के जीवन को बचाया जा सकता है। लम्बे समय तक डायरिया की चपेट में रहने से बच्चे कुपोषण की जद में भी आ जाते हैं जो कि उनके पूरे जीवन चक्र को प्रभावित करता है। इसलिए जरूरी है कि बचपन में ही हाथों की सही सफाई की आदत बच्चों में डालें और इसे उनके व्यवहार में शामिल करने की कोशिश करें। यह ध्यान रहे कि मां बच्चे को छूने व स्तनपान कराने से पहले, खाना बनाने व खाने से पहले, खांसने-छींकने के फ़ौरन बाद, बीमार व्यक्तियों की देखभाल के बाद और शौच के बाद साबुन-पानी से 40 सेकेण्ड तक अच्छी तरह से हाथों को अवश्य धोएं ।

ब्लॉक बिधनू की बाल विकास परियोजना अधिकारी (सीडीपीओ) रतना श्रीवास्तव का कहना है कि कोरोना ने हर किसी को हाथों की पूर्ण स्वच्छता की अहमियत को अच्छी तरह से समझा दिया है। हाथों को स्वच्छ रखकर कोरोना ही नहीं बल्कि सभी संक्रामक बीमारियों से बचा जा सकता है, क्योंकि हाथों के जरिये मुंह व नाक के रास्ते बीमारियाँ शरीर के अन्दर प्रवेश कर जाती हैं। इस बारे में समुदाय को पूरी तरह जागरूक करने के लिए सभी आँगनवाड़ी कार्यकर्ता अपने अपने केंद्रों पर गतिविधियाँ आयोजित करती हैं।

द स्टेट ऑफ हैंड वॉशिंग की 2021 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार हाथ धोने की प्रक्रिया को अधिकतर लोग अब भी गंभीरता से नहीं लेते हैं, खासतौर से बच्चे।  इसी वजह से बच्चे आये दिन डायरिया और निमोनिया जैसी बीमारियों के शिकार होते हैं। इसी रिपोर्ट के अनुसार भारत में 85.6 प्रतिशत स्कूल जाने वाले बच्चों को हाथ धोने के बारे में पता है, लेकिन इसमें सिर्फ 24.9 प्रतिशत बच्चे ही नियमित रूप से हाथ धोते हैं।

हाथों की सही सफाई ‘सुमन-के’ (एसयूएमएएन-के) ने समझाई : ब्लॉक बिधनू के ग्राम कुल्हौली की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता कविता का कहना है कि साबुन-पानी से हाथों की सही तरीके से सफाई के छह प्रमुख चरण बताये गए हैं, जिसे सुमन-के (एसयूएमएएन-के) विधि से समझा जा सकता है। एस का मतलब है पहले सीधा हाथ साबुन-पानी से धोएं, यू- फिर उलटा हाथ धोएं , एम-फिर मुट्ठी को रगड़- रगड़कर धोएं, ए- अंगूठे को धोएं, एन-नाखूनों को धोएं और के- कलाई को अच्छी तरह से धोएं। इस विधि से हाथों की सफाई की आदत बच्चों में बचपन से ही डालनी चाहिए और उसकी अहमियत भी समझानी चाहिए।

इन स्थितियों में हाथों की स्वच्छता का रखें खास ख्याल :

- खाना बनाने और खाना खाने से पहले
- शौच के बाद
- नवजात शिशु को हाथ लगाने से पहले
- खांसने या छींकने के तुरंत बाद
- बीमार व्यक्तियों की देखभाल के बाद
- कूड़ा-कचरा निपटान के बाद