“स्वयं और समाज के लिए योग” थीम पर मनाया जा रहा दिवस - मुकेश कुमार शर्मा



  • अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (21 जून) पर विशेष
  • शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग अपनाएं, निरोगी काया पाएं

जीवन का असली आनन्द पूर्ण रूप से स्वस्थ रहने में ही है, चाहे वह शारीरिक स्वास्थ्य हो या मानसिक। जीवन में जल्दी से जल्दी सब कुछ हासिल कर लेने और एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ में आज लोगों के पास अपने लिए वक्त ही नहीं है। समय से सोने, खाने और शारीरिक श्रम के नियम का पालन न करने का परिणाम यह रहा कि लोगों को असमय कई तरह की बीमारियाँ घेरने लगीं। इसी को ध्यान में रखते हुए देश ही नहीं विदेश में भी आज योग को इतनी महत्ता मिल रही है और हर साल 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। इसके माध्यम से योग को जीवन का अहम हिस्सा बनाने की अपील की जाती है और जगह-जगह योगाभ्यास भी कराया जाता है। इसके साथ ही यह सन्देश भी जन-जन तक पहुंचाया जाता है कि पूर्ण रूप से स्वस्थ, खुशहाल व प्रसन्न व्यक्ति ही अपने साथ समाज और राष्ट्र की समृद्धि में मददगार बन सकता है।

योग को देश की प्राचीन परम्परा का एक अमूल्य उपहार माना जाता है, जो शरीर के साथ दिमाग की भी सेहत को दुरुस्त रखता है। हमारी बदलती लाइफस्टाइल में यह एक तरह की ऊर्जा का संचार करता है और बदलते जलवायु परिवर्तन से निपटने में भी मददगार साबित हो सकता है। इस अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की इस साल की थीम-“स्वयं और समाज के लिए योग” तय की गयी है। इसका मूल उद्देश्य है कि योग न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य को बढ़ाता है बल्कि सामाजिक कल्याण में भी योगदान देता है। योग मनुष्य को लम्बी उम्र का वरदान भी प्रदान करता है। इसे 21 जून को मनाये जाने के पीछे एक कारण यह भी माना जाता है कि इस दिन उत्तरी गोलार्ध में सबसे लम्बा दिन होता है, जिसका सीधा जुड़ाव लम्बी उम्र से माना गया है।
 
योगासन शरीर को लचीला बनाने, पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने के साथ ही लीवर-किडनी व शरीर के अन्य आंतरिक अंगों को स्वस्थ बनाने में बहुत ही लाभकारी है। रीढ़ की हड्डी, पेट व कमर के लिए जैसे अर्ध मत्स्येन्द्रासन को बहुत उपयोगी बताया गया है। इसी तरह से सूर्य नमस्कार और प्राणायाम को तो हर किसी के लिए उपयोगी बताया गया है जो कि कई तरह की बीमारियों से शरीर को सुरक्षित बनाते हैं। इनके दैनिक अभ्यास से शरीर निरोगी, स्वस्थ और चेहरे की चमक बढ़ जाती है। पेट की चर्बी घटती है और तनाव को दूर करता है। मासिक धर्म को नियमित करता है और हड्डियों को मजबूत बनाता है। मांशपेशियों में लचीलापन आता है और रक्त का संचार संतुलित मात्रा में होता है ।       

इस तरह साफ़ कहा जा सकता है कि योग मात्र शारीरिक व्यायाम ही नहीं, अपितु एक सम्पूर्ण चिकित्सा विज्ञान भी है। योग जीवन दर्शन है, एक दार्शनिक चिंतन और सहज-सरल संतुलित जीवन शैली है। योग शरीर, मन व जीवन के समग्र रूपान्तरण की क्रियात्मक वैज्ञानिक व व्यावहारिक प्रक्रिया है। योग वस्तुतः स्वस्थ व्यक्ति और स्वस्थ समाज का आधार है। योग सभी प्रकार के भेदभाव से मुक्त एक सशक्त जीवन पद्धति है, जो सम्पूर्ण मानवता को रोगमुक्त कर स्वस्थ व सुखी जीवन प्रदान करता है। योग सभी को खुशहाल रखता है। अतः योग बीमारियों से बचने की दवा है। योग के पथ पर चलने के साथ ही यह भी जरूरी है कि हम अपने जीवन में सत्य, अहिंसा, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह, सोच, संतोष, तप और स्वाध्याय को भी शामिल करें तभी सही मायने में योग का लाभ मिल सकता है।

 

(लेखक पापुलेशन सर्विसेज इंडिया के एक्जेक्युटिव डायरेक्टर हैं)