लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को अपने सरकारी आवास पर श्रम एवं सेवायोजन विभाग की समीक्षा बैठक की और विभागीय कार्यों की विस्तार से समीक्षा करते हुए अधिकारियों को श्रमिक और औद्योगिक क्षेत्र के समन्वित विकास के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि श्रमिक और उद्योगपति एक-दूसरे के पूरक हैं, प्रतिस्पर्धी नहीं। प्रदेश की औद्योगिक प्रगति श्रम कानूनों में संतुलन और सरलीकरण से ही संभव है। उन्होंने निर्देश दिया कि श्रम कानूनों को इस प्रकार सरल बनाया जाए कि जहां उद्योगों को सुविधा मिले वहीं श्रमिकों के अधिकारों की भी पूरी सुरक्षा हो। किसी भी प्रकार के शोषण या अमानवीय व्यवहार की संभावना नहीं होनी चाहिए।उन्होंने कहा कि “हर हाथ को काम” देने का उद्देश्य तभी साकार होगा जब उद्योगों को सशक्त किया जाएगा। उद्योगों का विस्तार ही रोजगार सृजन का प्रमुख माध्यम है। दुर्घटना की स्थिति में श्रमिकों को सम्मानजनक मानदेय और बीमा सुरक्षा देना अनिवार्य है। सरकार का लक्ष्य उत्तर प्रदेश को देश का सबसे बड़ा श्रमिक-हितैषी और उद्योग समर्थ राज्य बनाना है।
बाल श्रम के मुद्दे पर मुख्यमंत्री ने कहा कि बाल श्रमिकों के पुनर्वासन की दिशा में मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना और अन्य प्रायोजित योजनाओं के माध्यम से तेजी से कार्य हो। अटल आवासीय विद्यालयों की गुणवत्ता की सतत निगरानी की जाए ताकि भावी पीढ़ी को सुरक्षित और उज्ज्वल भविष्य मिल सके।मुख्यमंत्री ने श्रमिक अड्डों को मॉडल के रूप में विकसित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इन स्थानों पर डोरमेट्री, स्वच्छ शौचालय, पेयजल, कैंटीन और ट्रेनिंग जैसी सुविधाएं अनिवार्य रूप से उपलब्ध हों। कैंटीन में श्रमिकों को 5 से 10 रुपये में चाय, नाश्ता और भोजन उपलब्ध कराया जाए। असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की स्किल मैपिंग कर न्यूनतम मानदेय की गारंटी व्यवस्था लागू करने के निर्देश भी दिए गए। यह असंगठित श्रमिकों को संगठित श्रम शक्ति में बदलने की दिशा में एक क्रांतिकारी पहल होगी।मुख्यमंत्री ने विदेश जाने वाले निर्माण श्रमिकों को तकनीकी प्रशिक्षण के साथ-साथ उस देश की भाषा सिखाने पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि यह न केवल उनकी कार्यक्षमता को बढ़ाएगा बल्कि सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर मुख्यमंत्री ने आयुष्मान भारत योजना की तर्ज पर निजी अस्पतालों को ईएसआई योजना से जोड़ने का सुझाव दिया। इससे संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्रों के श्रमिकों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकेंगी।
बैठक में जानकारी दी गई कि 1947 से 2016 तक प्रदेश में कुल 13,809 कारखाने पंजीकृत हुए थे, जबकि पिछले नौ वर्षों में 13,644 नए कारखानों का पंजीकरण हुआ है। यह 99 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। भारत सरकार के बीआरएपी रिकमेंडेशन के क्रियान्वयन में उत्तर प्रदेश के श्रम विभाग को अचीवर स्टेट का दर्जा भी प्राप्त हुआ है। मुख्यमंत्री ने इन उपलब्धियों को अभूतपूर्व बताते हुए विभाग की सराहना की।