डायरिया के लक्षण नजर आएं तो बच्चे को ओआरएस का घोल देकर सुरक्षित बनाएं : डॉ. हंसराज



  • स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में “स्टॉप डायरिया कार्यक्रम” के तहत पीएसआई इंडिया व केनव्यू के सहयोग से चलाया जा रहा ‘डायरिया से डर नहीं’ कार्यक्रम

फिरोजाबाद । बच्चे को दिन में तीन बार से अधिक पतली दस्त हो, प्यास ज्यादा लगे और आँखें धंस गयी हों तो यह डायरिया सकता है। ऐसी स्थिति में बच्चे को जल्दी से जल्दी ओआरएस का घोल देना शुरू करें और निकटतम स्वास्थ्य केंद्र पर सम्पर्क करें। ओआरएस का घोल तब तक देते रहें जब तक की दस्त ठीक न हो जाए। इसके अलावा स्थानीय एएनएम या आशा दीदी के सहयोग से जिंक की गोली प्राप्त कर लें और उनके द्वारा बताये गए तरीके से 14 दिनों तक बच्चे को अवश्य दें। यह कहना है राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन के नोडल अधिकारी डॉ. हंसराज सिंह का।       

डॉ. सिंह का कहना है कि बारिश और उमस के चलते बच्चों में उल्टी-दस्त (डायरिया) की शिकायत बढ़ जाती है, ऐसे में उनका ख्याल रखना बहुत जरूरी है। तापमान कम-ज्यादा होने के चलते पाचन शक्ति पर सीधा असर पड़ता है और बच्चा आसानी से डायरिया की गिरफ्त में आ जाता है। डायरिया की सही समय पर पहचान जरूरी है क्योंकि लम्बे समय तक बच्चा डायरिया की चपेट में रहा तो अन्य शारीरिक समस्याएं पैदा हो सकती हैं। डॉ. सिंह का कहना है कि बारिश और उमस में बच्चा डायरिया की चपेट में कई कारणों से आ सकता है, जैसे- दूषित जल पीने से, दूषित हाथों से भोजन बनाने या बच्चे को खाना खिलाने, खुले में शौच करने या बच्चों के मल का ठीक से निस्तारण न करने आदि से। इसलिए शौच और बच्चों का मल साफ़ करने के बाद, भोजन बनाने और खिलाने से पहले हाथों को साबुन-पानी से अच्छी तरह अवश्य धुलें। माताएं छह माह से ऊपर के बच्चों को स्तनपान कराती रहें और हमेशा साफ़-सुथरा पानी ही पिलायें। छह माह से कम उम्र के बच्चों को स्तनपान के अलावा बाहरी कोई भी चीज न दें यहाँ तक कि पानी भी नहीं। इस अवस्था में बाहरी चीज देने से संक्रमण का जोखिम बना रहता है। मां के दूध में बच्चे की जरूरत के मुताबिक़ पानी की मात्रा होती है, इसलिए बाहर से पानी न पिलाएं।   

डॉ. सिंह का कहना है कि डायरिया से बच्चों को पूरी तरह सुरक्षित बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में “स्टॉप डायरिया कार्यक्रम” चलाया जा रहा है, इसी के तहत पापुलेशन सर्विसेज इंटरनेशनल इंडिया (पीएसआई-इंडिया) और केनव्यू कम्पनी के सहयोग से एक अनूठी पहल की गयी है। इसके तहत जिले में ‘डायरिया से डर नहीं’ कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसके तहत फ्रंटलाइन वर्कर आशा, आंगनबाड़ी और एएनएम के साथ महिला आरोग्य समितियों की सदस्यों का संवेदीकरण किया जा रहा है ताकि डायरिया से बच्चों को सुरक्षित बनाने के लिए समुदाय स्तर पर लोगों को जागरूक करें। लोगों को डायरिया से जुड़े मिथक (भ्रांतियों) के बारे में बताएं। माताओं को बताएं कि ओआरएस का घोल शरीर में पानी की कमी को पूरा करता है। यह सिर्फ दस्त को ही नहीं रोकता बल्कि बच्चों को जोखिम से सुरक्षित भी बनाता है।