लखनऊ - लखनऊ में आयोजित दिव्य गीता प्रेरणा उत्सव का शुभारम्भ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने संयुक्त रूप से किया। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय परम्परा में धर्म केवल उपासना विधि नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला है। श्रीमद्भगवद्गीता की दिव्य वाणी जीवन के प्रत्येक मोड़ पर सही दिशा दिखाने वाली है और 140 करोड़ भारतीयों के लिए यह दिव्य मंत्र के समान है। उन्होंने कहा कि गीता का प्रथम श्लोक ‘धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे’ इस बात का प्रमाण है कि भारत ने कर्तव्य और आचरण को ही धर्म का आधार माना है। उन्होंने कहा कि अच्छे कर्म व्यक्ति को पुण्य का भागीदार बनाते हैं, जबकि कर्तव्य से विमुख होकर किया गया कार्य पाप की दिशा में ले जाता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता के 700 श्लोक भारतीय जीवनदर्शन की सार्थक व्याख्या करते हैं। 18 अध्यायों में संकलित यह ग्रंथ सनातन धर्मावलम्बियों को धर्म, कर्तव्य और आत्मबोध की वास्तविक प्रेरणा प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि स्वामी ज्ञानानन्द द्वारा जीओ गीता के माध्यम से जीवन के हर क्षेत्र में गीता के व्यावहारिक प्रयोग को सरल ढंग से प्रस्तुत किया गया है, जो श्रमिक, किसान, विद्यार्थी, महिला, युवा, चिकित्सक, अधिवक्ता, व्यापारी तथा सैनिक जैसे प्रत्येक वर्ग के लिए मार्गदर्शक है।मुख्यमंत्री ने भारतीय परम्परा की उदारता का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत ने कभी अपनी उपासना विधि को सर्वोच्च नहीं बताया। यहाँ ‘जियो और जीने दो’ की भावना को सर्वोच्च स्थान मिला है। उन्होंने कहा कि भारत ने ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ का संदेश देकर विश्व मानवता को एकता और समरसता की राह दिखाई है। गीता के अंतिम श्लोक—‘यत्र योगेश्वरः कृष्णो… तत्र श्रीर्विजयो’—का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि जहाँ धर्म और कर्तव्य होंगे, वहाँ विजय निश्चित है। अधर्म के मार्ग पर चलकर कोई भी सफलता प्राप्त नहीं कर सकता।मुख्यमंत्री ने कहा कि भगवान कृष्ण द्वारा दिया गया संदेश—‘कर्मण्येवाधिकारस्ते’—हमें निष्काम भाव से कर्म करने के लिए प्रेरित करता है। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मोहन भागवत इसी निष्काम कर्म के जीवंत प्रेरणा स्रोत हैं। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की कार्यप्रणाली पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संघ सेवा को किसी सौदे से नहीं जोड़ता, बल्कि समाज के हर जरूरतमंद व्यक्ति तक बिना भेदभाव के सहायता पहुँचाता है। सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि गीता को जीवन में उतारना प्रत्येक व्यक्ति के लिए आवश्यक है। यदि कोई प्रतिदिन दो श्लोक पढ़कर उनपर मनन करे और उन्हें व्यवहार में लाए, तो एक वर्ष में जीवन गीतामय हो सकता है। उन्होंने कहा कि आज विश्व भी उसी प्रकार मोहग्रस्त है जैसे कुरुक्षेत्र में अर्जुन हुए थे, परंतु धर्मानुसार कर्म करने से ही सही परिणाम प्राप्त होगा। कार्यक्रम में जियो गीता के संस्थापक स्वामी ज्ञानानन्द, स्वामी परमात्मानन्द, स्वामी श्रीधराचार्य, स्वामी संतोषाचार्य, स्वामी धर्मेन्द्र दास सहित अनेक संत-महात्मा एवं गणमान्य लोग उपस्थित रहे।