संक्रामक रोग प्रभावित क्षेत्रों में कोविड की गंभीरता समझें



- कोविड प्रोटोकाल का पालन करें, संक्रामक रोगों से भी बचें : डॉ. सूर्यकान्त
- लक्षणों में समानता के चलते कोविड को नजरंदाज करना पड़ सकता है भारी
- बुखार, खांसी, थकान व आँखों में जलन/खुजलाहट हो तो डाक्टर से संपर्क करें  

लखनऊ, 18 नवम्बर-2020 । सर्दी की दस्तक के साथ ही मौसमी व संक्रामक बीमारियों ने पाँव पसारना शुरू कर दिया है । डेंगू, मलेरिया व अन्य संक्रामक बीमारियों और कोविड के लक्षणों की बहुत कुछ समानता के चलते इस समय इन लक्षणों की सही पहचान भी बहुत ही जरूरी हो गयी है । इस बारे में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी संक्रामक रोगों से प्रभावित क्षेत्रों में रह रहे लोगों के लिए कुछ जरूरी निर्देश जारी किये हैं कि यदि उनमें सांस लेने में दिक्कत महसूस हो, छाती में दर्द हो, बोलने में समस्या हो और भ्रम जैसी स्थिति पैदा हो तो तत्काल अपने निकट के स्वास्थ्य केंद्र या हेल्पलाइन की मदद जरूर लें ।

​किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष व कोरोना टास्क फ़ोर्स के सदस्य डॉ. सूर्यकान्त का कहना है कि इस समय सर्दी-जुकाम व बुखार होने का प्रमुख कारण मौसम में बदलाव भी हो सकता है । हालांकि कोरोना को देखते हुए इस समय सर्दी-जुकाम व बुखार के साथ अगर सांस लेने में दिक्कत, थकान, छाती में दर्द और आँखों में लालिमा, जलन या खुजलाहट है तो ऐसे में तत्काल चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए । इन स्थितियों में बगैर चिकित्सक के सलाह के केमिस्ट से सामान्य सर्दी-जुकाम की दवा लेकर सेवन करना सेहत को और गंभीर बना सकता है । डॉ. सूर्यकान्त का कहना है कि सर्दी-जुकाम व बुखार के साथ गले में खराश, सिर दर्द, बदन दर्द, दस्त, त्वचा पर लाल चकत्ते, उँगलियों की दरारों में खुजलाहट या कटे का निशान भी कोरोना के सामान्य लक्षण हो सकते हैं । इन स्थितियों में कोविड प्रोटोकाल का पालन करने से संक्रामक रोगों पर भी नियंत्रण संभव है ।  

​डॉ. सूर्यकांत का कहना है कि खासकर डेंगू-मलेरिया व अन्य संक्रामक रोग प्रभावित क्षेत्रों में रह रहे लोगों में अगर इस तरह के लक्षण नजर आते हैं तो उनको तत्काल हेल्पलाइन या चिकित्सक की मदद लेनी चाहिए । डेंगू-मलेरिया या अन्य संक्रामक बीमारियों में भी रोग प्रतिरोधक क्षमता पर असर पड़ता है और ऐसे में कोरोना भी उनको अपनी चपेट में आसानी से ले सकता है । इसलिए सही मर्ज की पहचान और उसकी सही दवा मिल जाने से अन्य बीमारियों से आसानी से बचा जा सकता है ।

कोविड प्रोटोकाल का पालन बहुत जरूरी : ​डॉ. सूर्यकांत का कहना है कि संक्रामक बीमारियों को देखते हुए इस समय कोविड प्रोटोकाल के तीनों मूल मन्त्रों का पालन करना सभी के लिए और भी जरूरी हो गया है । यह मूल मन्त्र हैं – घर से बाहर पाँव रखने से पहले सुनिश्चित करें कि मास्क से नाक व मुंह अच्छे से मास्क से ढके हों, बाहर किसी से भी मिलें तो दो गज की दूरी बनाकर रखें और किसी भी वस्तु व सतह को छूने के बाद हाथों को साबुन-पानी से अच्छी तरह से अवश्य धुलें ।

रोग प्रतिरोधक क्षमता बरक़रार रखें : ​डॉ. सूर्यकांत का कहना है कि चाहे वह मौसमी बीमारियाँ हों, कोविड हो या कोई अन्य वह शरीर पर तभी हमला बोलती हैं जब शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है । ऐसे में वह सभी बिन्दुओं का ध्यान रखें जिससे इम्युनिटी बनी रहे । इसके लिए खानपान में उन वस्तुओं को जरूर शामिल करें जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाती हैं । इसके अलावा व्यायाम, योग, ध्यान व प्राणायाम भी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने में बहुत ही मददगार हैं, इसलिए उनको भी जरूर अपनाएँ ।