मन से भ्रान्ति करो दूर, सही जानकारी रखो भरपूर



- कोरोना को देनी है मात तो गलत जानकारी शेयर करने वालों का न दो साथ

लखनऊ, 21 दिसम्बर 2020 -  कोविड-19 को लेकर समुदाय में तरह-तरह की भ्रांतियां घर कर गयी हैं, जिसे दूर किये बगैर सही मायने में कोरोना को पूरी तरह से परास्त करना संभव नहीं प्रतीत होता । चिकित्सकों का भी यही कहना है कि कोरोना को लेकर किसी तरह की गलत जानकारी को अपनों से न शेयर करें क्योंकि ऐसा करना कोरोना के खिलाफ चल रही लड़ाई को कमजोर करने वाला कदम साबित हो सकता है । विश्व स्वास्थ्य संगठन भी बराबर लोगों को सही और गलत के बीच के फर्क को समझाने में जुटा है, इसके लिए पोस्टर, पम्पलेट और संदेशों के जरिये लोगों तक कोरोना के बारे में सही जानकारी पहुंचाने की कोशिश हो रही है ।

मिथक : कोरोना के मुकाबले टीबी की वजह से ज्यादा लोगों की मौत होती है, तो फिर कोरोना को इतना महत्त्व क्यों दिया जा रहा है ?
सत्यता : क्षय रोग उन्मूलन स्टेट टास्क फ़ोर्स के चेयरमैन व किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. सूर्यकान्त का कहना है - हालाँकि टीबी व कोरोना वायरस दोनों ही जानलेवा हैं, लेकिन टीबी का इलाज संभव है और इसकी दवा भी उपलब्ध है लेकिन कोरोना वायरस का इलाज व वैक्सीन दोनों ही उपलब्ध नहीं है ।  

मिथक : कोरोना वायरस महामारी नहीं है, इसे महामारी का रूप दिया जा रहा है ?
सत्यता : विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक महामारी उस बीमारी को कहा जाता है जो विश्व स्तर पर या अंतरराष्ट्रीय सीमा से परे कई देशों में बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित करती है ।  चूंकि कोविड-19 ने 200 से अधिक देशों को प्रभावित किया है, पूरे विश्व में इसके 22 करोड़ से अधिक मामले हैं ।  

मिथक : यह सर्दी-जुकाम की तरह साधारण फ्लू है ?
सत्यता : डॉ. सूर्यकान्त का कहना है - यह इन्फ्लुएंजा वायरस की वजह से होने वाला साधारण सर्दी-जुकाम नहीं है, कोविड-19 नोवल कोरोना वायरस सार्स-कोव-2 (SAARS-COV-2) की वजह से होता है । हालंकि दोनों के लक्षण एक जैसे हो सकते हैं लेकिन कोरोना वायरस मौसमी फ्लू से अधिक घातक हो सकता है ।

मिथक : कोरोना से बचने के लिए बाहर निकलने पर अल्कोहल आधारित सेनेटाइजर के इस्तेमाल से खून में अल्कोहल की मात्रा बढ़ जाती है ?
सत्यता : विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसे पूरी तरह से निराधार बताया है । डब्ल्यूएचओ का कहना है कि इस तरह के कोई सबूत सामने नहीं आये हैं, उसके अनुसार अल्कोहल आधारित सेनेटाइजर के इस्तेमाल के बाद भी खून में अल्कोहल की मात्रा नगण्य पायी गयी है ।