- नौ दुर्गा के समय नौवीं विशिष्ट क्लीनिक का शुभारम्भ
लखनऊ - किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय का रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग अपना 75 वाँ स्थापना वर्ष (प्लेटिनम जुबली स्थापना वर्ष) मना रहा है। 75 वीं वर्षगॉठ वर्ष में विभाग विभिन्न प्रकार के 75 आयोजन कर रहा है। इसी कड़ी में रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग ने मंगलवार को ’’लंग कैंसर क्लीनिक’’ की शुरूआत की है।
रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष एवं इंडियन सोसाइटी फॉर स्टडी ऑफ लंग कैंसर की राष्ट्रीय कार्यकारणी के सदस्य डा. सूर्यकान्त ने बताया कि देश में लंग कैंसर के मरीजो की संख्या लगातार बढ़ रही है। देश में लगभग एक लाख लंग कैंसर के मरीज हैं, जिनमें पुरुषों की संख्या लगभग 70 हजार है एवं महिलाओं की संख्या 30 हजार है। इसका मुख्य कारण विगत वर्षों में बढ़ता हुआ प्रदूषण, कीटनाशक दवाओं का ज्यादा उपयोग एवं अन्य मुख्य कारणों में धूम्रपान, घरों के चूल्हों से निकला हुआ धुआं व परोक्ष धूम्रपान है। आम जनमानस में फेफड़ों के कैंसर के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए इसके लक्षणों के बारे में बताया गया जिसमें लगातार खांसी आना, सांस फूलना, खांसी के साथ खून का आना, सीने में दर्द, वजन कम होना और बार बार लंग इंफेक्शन होना शामिल है। लंग कैंसर पुरूष एवं महिलाओं में मुख्य पांच प्रकार के कैंसरों में से एक है। फेफड़ों के कैंसर का उपचार चार तरीकों से किया जाता है- सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडियोथेरिपी एवं इम्यूनोथेरेपी। उन्होने लंग कैंसर के इलाज की प्रमुख समस्या के बारे में बताया कि 90 प्रतिशत रोगी लंग कैंसर की अंतिम अवस्था में चिकित्सकों के पास पहुंचते है जिससे उनका इलाज संभव नहीं हो पाता है।
डा. सूर्यकान्त ने बताया कि विभाग में आठ विशिष्ट क्लीनिक पहले से ही चल रही है। इस नौं दुर्गा के पावन अवसर पर नौवीं विशिष्ट ’’लंग कैंसर क्लीनिक’’ का शुभारम्भ किया गया है। फेफड़ों के कैंसर की यह क्लीनिक रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में प्रत्येक वृहस्पतिवार को अपरान्ह एक बजे से तीन बजे के बीच चलायी जायेगी। इस क्लीनिक में मरीज दिखाने के लिए पहले से आनलाइन पंजीकरण कराना होगा, पंजीकरण हेतु केजीएमयू की साइट पर उपलब्ध फोन नम्बर 0522-2258880 पर काल करके व www.ors.gov.in पर जा कर बुक कर सकते हैं। साथ ही रोगी कोविड की नेगेटिव रिपोर्ट के साथ तय तिथि पर उपचार हेतु आ सकता है।
डा. सूर्यकान्त ने बताया कि लंग कैंसर के लक्षण और टी.बी. के रोग के लक्षण मिलते जुलते हैं अतः कई बार प्रारम्भिक अवस्था में ऐसे रोगियों को एक्स रे में धब्बे के आधार पर टी.बी. का इलाज दे दिया जाता है। इसीलिए डा. सूर्यकान्त पिछले 25 वर्षों से लगातार लंग कैंसर के जागरूकता कार्यक्रमों में कहते आए हैं कि जैसे- ’’हर चमकती चीज सोना नही होती, वैसे ही एक्स-रे का हर धब्बा टी.बी. नही होती’। अतः लंग कैंसर की जांच के लिए केवल एक्स-रे पर्याप्त नही है इसकी जांच के लिए सीटी-स्कैन, ब्राकोंस्कोपी, बायोप्सी एवं हिस्टोपैथोलोजिकल एक्जामिनेशन कराने की भी जरूरत पड़ती है जो कि रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग एवं केजीएमयू के अन्य विभागों में यह सुविधा उपलब्ध है।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि केजीएमयू के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. एस. एन. शंखवार ने विभाग के अध्यक्ष डा. सूर्यकान्त व सभी सीनियर एवं जूनियर चिकित्सकों को बधाई दी एवं विश्वास जताया कि आने वाले समय में लंग कैंसर की विशिष्ट क्लीनिक फेफड़ो के कैंसर के रोगियों के निदान एवं उपचार हेतु विशेष लाभकारी सिद्ध होगी। ज्ञात रहे कि रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग फेफड़ों के कैंसर का निदान व उपचार 1989 से कर रहा है परन्तु विशिष्ट ’’लंग कैंसर क्लीनिक’’ का शुभारम्भ आज किया गया। इस लंग कैंसर क्लीनिक के उद्घाटन समारोह में रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के सभी चिकित्सक- डा. एस के वर्मा, डा. आर ए एस कुशवाहा, डा. संतोष कुमार, डा. राजीव गर्ग, डा. अजय कुमार वर्मा, डा. आनन्द श्रीवास्तव, डा. डी के बजाज, डा. अंकित कुमार, डा. ज्योति बाजपेई व रेजिडेन्ट डाक्टर्स एवं मेडिकल आंकोलॉजी विभाग की डा. ईशा जफा, सर्जिकल आंकोलॉजी विभाग के प्रो. विजय कुमार, डा. शिव राजन, रेडियोथिरेपी विभाग की डा. मृणलिनी वर्मा थोरेसिक सर्जरी विभाग के प्रो. शैलेन्द्र यादव उपस्थित रहे।